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ईरान के साथ परमाणु समझौते की समीक्षा करेगा अमेरिका

२० अप्रैल २०१७

ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि वह न सिर्फ ईरान के साथ परमाणु समझौते पर गौर करेगा बल्कि ईरान की ओर से पैदा होने वाले सभी संभावित खतरों का भी जायजा लेगा. विदेश मंत्री रैक्स टिलरसन ने ईरान पर उकसाने के आरोप लगाये हैं.

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USA Iran Gespräche (Symbolbild)
तस्वीर: C. Barria/AFP/Getty Images

टिलरसन ने कहा कि अमेरिका ईरान के उन भड़काऊ कदमों की जांच करेगा जिनका उद्देश्य मध्यपूर्व को अस्थिर करना और इस क्षेत्र में अमेरिकी हितों को प्रभावित करना है. उन्होंने साफ किया कि जिन प्रमुख नीतियों को समीक्षा के दायरे में रखा गया है उनमें ईरान और विश्व की अन्य शक्तियों के बीच साल 2015 का परमाणु समझौता भी है. इस समझौते में ईरान के अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य, जर्मनी और यूरोपीय संघ भी शामिल थे. ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में हुये इस समझौते के तहत ईरान ने अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों में राहत के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी. 

टिलरसन ने वॉशिंगटन में मीडिया से बातचीत के दौरान इस समझौते को विफल बताया और कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इसकी समीक्षा के आदेश दिये हैं ताकि यह समझा जा सके कि क्या प्रतिबंधों को हटाना अमेरिकी राष्ट्रीय हितों के लिये अहम है.

Atomgespräche in Wien abgeschlossen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Neubauer

उन्होंने कहा कि यह समझौता गैर-परमाणु ईरान के उद्देश्य को प्राप्त करने में नाकाम रहा है. टिलरसन के मुताबिक "यह समझौता अतीत की उसी विफलता को दिखाता है जिसके चलते आज हम उत्तर कोरिया के खतरे का सामना कर रहे हैं".

राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने ईरान के साथ हुये इस परमाणु समझौते को सबसे खराब सौदा करार दिया था. वहीं ईरान के क्षेत्रीय प्रतिद्वंदी इस्राएल और सऊदी अरब ने भी इस समझौते की निंदा की है क्योंकि यह समझौता ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिये बाध्य नहीं करता. 

एए/एके (रॉयटर्स, एएफपी)