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ई-कचरे से निपटने का कारगर और फायदेमंद तरीका

४ अगस्त २०१७

दुनिया भर में हर साल करोड़ों टन ई-कचरा पैदा होता है. उसके निपटारे की उचित व्यवस्था न होने से पर्यावरण को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. लेकिन इस बीच कुछ अच्छी पहलें भी हो रही हैं.

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DW eco@africa Sendung #63
तस्वीर: DW

लागोस नाइजीरिया का सबसे बड़ा शहर तो है ही, साथ ही यह दुनिया भर के इलेक्ट्रॉनिक कचरे का डंपिंग ग्राउंड भी है. वहां मशीनों को कई पुर्जों में तोड़कर कच्चे माल के रूप में बेचा जाता है. बहुत से लोगों की रोजी रोटी का यही जरिया है. लेकिन कचरे से धातु निकालने के लिए प्लास्टिक को गलाना पड़ता है, जिसके चलते जहरीला धुआं फैलता है.

नाइजीरिया की कचरा प्रंबधन समिति के प्रमुख प्रोफेसर ओलाडेले ओसिबांजो कहते हैं, "वे एक उपकरण का इस्तेमाल दूसरे को ठीक करने के लिए करते हैं. वे सिर्फ यह देखते हैं कि क्या बढ़िया है. बाकी बचे कचरे का क्या करना है, इसका उन्हें कोई आइडिया नहीं. इसीलिए वे उसे यूं ही फेंक देते हैं. उसमें आग लगा दते हैं. इससे हमारी हवा में डायऑक्सीन फैलती है. उनकी इन हरकतों से जमीन में भारी धातुओं का प्रदूषण फैल चुका है."

लेकिन नाइजीरिया में ई-टेरा नाम की एक कंपनी ने इलेक्ट्रोनिक कचरे से निपटने का एक कारोबारी मॉडल तैयार किया है. इफेआंयी ओचोनोगोर इस कंपनी के संस्थापक हैं. वह कहते हैं, "हर इलेक्ट्रॉनिक पार्ट जिसे इलेक्ट्रॉनिक कचरा समझा जाता है, हम उसे पूरी तरह मूल तत्वों या पार्ट्स में तोड़ते हैं. हमारे पास कीबोर्ड्स हैं, लोहा है, स्पीकर हैं, ये सब अलग अलग पार्ट्स हैं."

ओचोनोगोर की कंपनी इस तकनीक में निवेश करने वाली नाइजीरिया की अकेली कंपनी है. वह लोगों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना इलेक्ट्रॉनिक कचरे को ठिकाने लगाती है. खास चैंबर विषैले तत्वों को रोकता है.

आईटी सेक्टर में बहुत ही तेजी से बदलाव हो रहा है. नई मशीनें जल्द ही आउटडेटेड होकर कूड़ेदान का हिस्सा बन रही हैं. टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल, चार्जर और कई डिवाइसेस इसका सबूत हैं. नाइजीरिया की पहली ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग कंपनी इसी बाजार को पकड़ना चाहती है. पुरानी मशीनों से कई जरूरी पुर्जे मिलते हैं, जो फिर से कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होते हैं. कंपनी की कमायी इन्हीं की बिक्री से होती है. यानी ई-टेरा इस समस्या से निपटने का एक दूसरा हल लेकर आयी है. यह कंपनी सरकारी सुरक्षा मानकों पर खरी उतरती है.

एक अनुमान के मुताबिक 2017 में दुनिया पांच करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करेगी. इस कचरे का जितना बड़ा हिस्सा गैरकानूनी डंपिंग साइट्स तक पहुंचेगा, पर्यावरण और इंसान को उतना ही ज्यादा खतरा होगा.

डागमार जिंदेल