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उड़ीसा हाई कोर्ट पर बरसा सुप्रीम कोर्ट

२८ जनवरी २०११

कंधमाल दंगे के दोषी साबित हो चुके बीजेपी विधायक को जमानत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. सर्वोच्च अदालत ने उड़ीसा हाई कोर्ट के फैसले पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि किस आधार पर दोषी विधायक को जमानत दी गई.

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तस्वीर: AP

दंगों में मारे एक शख्स की विधवा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''इस पर कोई विवाद नहीं है कि एमएलए दंगों के एक से ज्यादा मामलों में शामिल रहा. हाई कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया. हाई कोर्ट तो निचली अदालत के सजा के फैसले को तक निलंबित नहीं कर सकता लेकिन यहां तो जमानत ही दे दी गई.''

उड़ीसा हाई कोर्ट ने कंधमाल दंगों को दोषी बीजेपी विधायक मोहन कुमार प्रधान को बीते साल जुलाई में जमानत दी. हाई कोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एसएस निज्जर की बेंच ने हाई कोर्ट से कहा है कि वह जमानत देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. अदालत ने कहा कि सिर्फ विधायक हो जाने के किसी को जमानत नहीं दी जा सकती. हाई कोर्ट ने जमानत देने से पहले एक भी कारण पर दोबारा विचार नहीं किया.

बीजेपी विधायक कंधमाल में ईसाई समुदाय के खिलाफ दंगों के दोषी साबित हो चुके हैं. निचली अदालत ने मोहन कुमार प्रधान को सात साल की सजा भी सुनाई. पर बाद में हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.

उड़ीसा के कंधमाल जिले में 2008 में दंगे हुए. इसमें करीब 50 लोगों की मौत हुई. मरने वालों में ज्यादातर ईसाई थे. दंगों के दौरान हिंदू कट्टरपंथियों की भीड़ ने कई चर्चों को भी आग लगा दी. बाद में मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चली. सुनवाई के दौरान कई आरोपी सबूतों के अभाव में बच निकले. जो फंसे वो बचने के लिए दूसरे तरीके अपना रहे हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ ओ सिंह

संपादन: ए जमाल