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ऊबर टैक्सी ड्राइवर दोषी करार

ईशा भाटिया२० अक्टूबर २०१५

दिल्ली की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने ऊबर के टैक्सी ड्राइवर शिव कुमार यादव को बलात्कार का दोषी करार दिया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Büttner

मामला पिछले साल दिसंबर का है जब गुड़गांव में काम करने वाली एक 25 वर्षीय महिला दिल्ली के इंद्रलोक स्थित अपने घर लौट रही थी. 5 दिसंबर को महिला ने शिकायत दर्ज कराई और 7 दिसंबर को आरोपी शिव कुमार यादव को मथुरा से गिरफ्तार कर लिया गया. अदालत ने यादव को सभी आरोपों का दोषी माना है. यादव पर बलात्कार समेत महिला की जान को खतरे में डालने और शारीरिक प्रताड़ना देने के आरोप हैं. सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि यादव को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. उत्तरी दिल्ली के डीसीपी मधुर वर्मा ने फैसला सुनाए जाने के बाद ट्वीट किया कि न्याय की जीत हुई.

दिल्ली की इस महिला के बलात्कार की खबर आने के बाद एक अन्य महिला निधि शाह ने ट्विटर के माध्यम से लोगों का ध्यान ड्राइवर की ओर खींचा और अपने अनुभव के बारे में बताया. निधि ने बताया कि कैसे पूरे सफर के दौरान यादव उन्हें "बुरी निगाहों से" देखता रहा और मुस्कुराता रहा. साथ ही उसने जीपीएस के खराब होने का भी दावा किया. हालांकि निधि ने ऊबर को इसकी शिकायत की लेकिन फिर भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया. निधि का कहना है कि अगर कंपनी ने उसी वक्त शिकायत को संजीदगी से लिया होता, तो इस घटना को रोका जा सकता था.

साथ ही यादव को पुलिस द्वारा दी गयी क्लीन चिट पर भी विवाद रहा है. इस सर्टिफिकेट को इंटरनेट पर किसने लीक किया, इसकी कोई जानकारी नहीं है लेकिन इस पर लिखा है कि पुलिस इस बात की पुष्टि करती है कि यादव का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. जबकि यादव पर इससे पहले भी बलात्कार और लूटपाट के मामले दर्ज हैं. इसके बाद भी ऊबर ने उसे नौकरी पर रखा, इस पर कंपनी भी सवालों के घेरे में है. किसी को नौकरी पर रखने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की जांच करना कंपनी की जिम्मेदारी है.

सस्ते दामों में टैक्सी सेवा देने वाली अमेरिका की ऊबर भारत के अलावा अन्य देशों में भी विवादों में घिरी रही है. बलात्कार के इस मामले के बाद दिल्ली में ऊबर पर रोक लगा दी गयी थी. हालांकि कुछ वक्त बाद इसे हटा लिया गया. सितंबर 2013 से यह कंपनी भारत में सेवाएं दे रही है. लेकिन क्या पैसे बचाने के लिए सुरक्षा को दांव पर लगाया जा सकता है?