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एक अक्टूबर को मुशर्रफ की पार्टी का एलान

१५ सितम्बर २०१०

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि वह एक अक्टूबर को अपनी पार्टी की घोषणा करेंगे. मुशर्रफ जल्द ही पाकिस्तान लौटना चाहते हैं और देश की राजनीति में वापसी के ख्वाहिशमंद हैं.

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तस्वीर: AP

एक कार्यक्रम के सिलसिले में हांगकांग पहुंचे पूर्व सैन्य शासक मुशर्रफ ने कहा, "मैं एक अक्टूबर को अपनी पार्टी की घोषणा करने जा रहा हूं. हमें पाकिस्तान में नई राजनीतिक संस्कृति की जरूरत है." उनकी पार्टी का नाम ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग होगा. हालांकि मुशर्रफ ने यह नहीं बताया कि वह अपनी पार्टी की घोषणा कहां करेंगे. संभावना है कि यह घोषणा लंदन में होगी जहां मुशर्रफ स्वनिर्वासन में रह रहे हैं.

मौजूदा राष्ट्रपति जरदारी के पद संभालने से पहले मुशर्रफ के हाथ में ही नौ साल तक पाकिस्तान की बागडोर रही. लेकिन अब स्वदेश वापसी पर उन्हें कई मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है. वह कहते हैं, "कुछ लोग हैं जो मेरा विरोध करते हैं. कुछ राजनीतिक तत्व हैं. उन्होंने ही मेरे खिलाफ केस तैयार किए हैं."

मुशर्रफ पाकिस्तान में 2013 में होने वाले आम चुनावों में हिस्सा लेना चाहते हैं. उनका मकसद खास कर युवा पीढ़ी को लुभाना रहेगा जिसमें से बहुत से लोग मुशर्रफ के दौर में किए गए कामों से खुश हैं. खास कर उन्होंने मीडिया को भरपूर आजादी दी. मुशर्रफ विश्वास जता चुके हैं कि वह फिर से पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनेंगे. मुशर्रफ के फेसबुक पेज से लगभग तीन लाख लोग जुड़े हैं जिसमें से 80 प्रतिशत की उम्र 18 से 34 के बीच है.

पाकिस्तान में इन दिनों राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की चुनी हुई सरकार काम कर रही है, लेकिन देश के सामने कई बड़ी चुनौती खड़ी हैं. खास कर चरमपंथ के बाद भीषण बाढ़ के सामने जरदारी की सरकार लाचार साबित हो रही है. लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मुशर्रफ जरदारी को ज्यादा चु्नौती नहीं दे पाएंगे. विश्लेषक मुताहिर अहमद कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि उन्हें चिंता करने की जरूरत है. हालांकि उनके साथ विश्वसनीयता की समस्या है. पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास को देखें तो रिटायर्ड जनरल ज्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं. उनकी राजनीतिक करियर नाकाम ही रहा है."

मुशर्रफ ने पड़ोसी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई पर आरोप लगाया कि उनके पास वैधता नहीं है. उन्होंने पश्चिमी देशों से कहा है कि तालिबान के खिलाफ संघर्ष को जारी रखें और अफगानिस्तान को छोड़ कर न जाएं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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