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एक जैसा हीरा और कोयला

२६ जुलाई २०१३

कार्बन यह शब्द सुनते ही पर्यावरण को होने वाला नुकसान याद आता है. कार्बन डाई या मोनो ऑक्साइड जैसी गैसें याद आती है. लेकिन इसी कार्बन से पेट्रोलियम, कोयला, ग्रेफाइट और हीरे जैसा कीमती रत्न भी मिलता है.

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तस्वीर: imago

भारत में आज से कम से कम 3,000 साल पहले हीरे के बहुमूल्य रत्न की श्रेणी में आ चुका था. दक्षिण भारत की कृष्णा और गोदावरी नदियों के किनारे हीरे की खदानें थी. गजब की चमक और अपने गुणों की वजह से हीरा विलासिता और समृद्धि की प्रतीक बन गया. ये सिंहासन या राजा के मुकुट पर लगता था. उत्तराधिकार के साथ हीरा भी अगली पीढ़ी को दिया जाता. युद्ध जीतने वाला भी हीरे का मालिक बनता. कोहिनूर कहा जाने वाला बेशकीमती हीरा, इसी तरह मुगल साम्राज्य से अंग्रेजों तक पहुंचा और फिलहाल यह ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में जड़ा है.

दुनिया भर में

पश्चिम में हीरे का जिक्र ग्रीक कथाओं में होता है. कहानियों में हीरे को आसमान से टूटा हुआ तारा कहा गया. रोमन साम्राज्य ने हीरे को दिव्य शक्तियों से जोड़ा. इसका आर्कषण कुछ ऐसा था कि 13वीं शताब्दी में फ्रांस में यह नियम बना दिया गया कि हीरा सिर्फ राजा ही पहन सकता है. भारत के बाहर पहली बार हीरे की खदान 17वीं शताब्दी में ब्राजील में खोजी गई. साम्राज्यवाद के दौर में 18वीं सदी आते आते यूरोप के धनी वर्ग में आभूषणों के प्रति दीवानगी बढ़ी. इसके बाद एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर और दक्षिणी अमेरिका जैसे महाद्वीपों में हीरे की नई नई खदानें सामने आई. हीरों को तराशने और उनकी पॉलिशिंग का काम बेहतर हो चला. लेकिन इसके बावजूद आम लोगों की हीरे तक पहुंच न के बराबर थी. इसी दौरान यूरोप और अरब जगत में कांच पर नक्काशी की कला उफान पर आई. जो हीरा न खरीद सके वो नक्काशीदार कांच खरीद लेते. अब प्लेटिनम जैसी धातुओं या चांद से लाई गई धातुओं के आभूषण चलन में हैं.

Parure mit einem Kameo aus dem 16. Jahrhundert mit dem Bildnis Karls V.
गहनों मेंतस्वीर: Qatar Museums Authority

औद्योगिक स्तर पर

हीरा भी अब पहले से कहीं ज्यादा आसानी से उपलब्ध है. आज दुनिया के 92 फीसदी हीरे गुजरात के सूरत में तराशे जाते हैं. इनका सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है. 50 फीसदी से ज्यादा हीरे वहीं बिकते हैं. इसके बाद यूरोप है. वैसे बीते एक दशक में भारत में तेजी से बढ़ते मध्य वर्ग में भी हीरा अब एक खास आभूषण के तौर पर जगह बना रहा है.

औद्योगिक स्तर पर हीरे का इस्तेमाल खनन में किया जाता है. सुरंग खोदने वाली अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीनों के कटर में हीरा इस्तेमाल किया जाता है. प्रयोगशाला में उच्च दबाव वाला पारदर्शी चैम्बर बनाने में भी हीरा इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इन सब के बावजूद हीरे को खान से बाहर निकलना अब भी आसान नहीं. एक कैरेट का हीरा पाने के लिए करीब 250 टन खनिज निकालना पड़ता है. लेकिन कभी कभार हीरे कुदरत से उपहार के तौर पर भी मिल जाते हैं. ज्वालामुखी फटने पर हीरे भी बाहर आ सकते हैं.

Sierra Leone Sieb für Diamanten
हीरा निकालने वाले अंधेरों मेंतस्वीर: DW/T. Ford

सबसे कठोर

हीरा दुनिया की सबसे कड़ा खनिज है. अच्छे हीरे पर सिर्फ हीरे से ही खरोंच लगाई जा सकती है. सामान्य तापमान पर हीरा किसी भी रसायन से क्रिया नहीं करता है. इस पर ताकतवर से ताकतवर अम्ल भी असरहीन साबित होता है. वैसे धरती के अंदर हीरा बेहद अस्थिर अवस्था में होता है. वह टूट सकता है. ग्रेफाइट में बदल सकता है. हालांकि अब तो हीरे प्रयोगशाला में बनाए भी जा रहे हैं. ऐसे हीरों को सिथेंटिक डायमंड्स कहा जाता है.

रिपोर्टः ओंकार सिंह जनौटी

संपादनः आभा मोंढे

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