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एक महिला की मौत पर क्यों रो पड़ा दक्षिण कोरिया

१ फ़रवरी २०१९

दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में जापानी दूतावास के सामने 1992 से हर हफ्ते विरोध जताने के लिए एक रैली हो रही है. 92 साल की किम बोक दोंग इन रैलियों का प्रमुख चेहरा थीं अब उनकी मौत हो गई है और दक्षिण कोरिया गम में डूबा है.

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Südkorea Kim Bok-dong Trauerfeier
तस्वीर: picture-alliance/YNA

यह कहानी दूसरे विश्वयुद्ध से पहले की है जब जापान ने दक्षिण कोरिया पर कब्जा कर लिया था. किम तब महज 14 साल की थीं और मां बाप के घर से निकाल कर उन्हें युद्ध में काम के लिए जबर्दस्ती मोर्चे पर भेज दिया गया. मोर्चे पर पहुंचने के बाद किम ने खुद को फैक्ट्री की बजाय एक वेश्याघर में पाया जहां सैनिक आते और उनके साथ सेक्स करते. हर रोज सुबह से शाम तक का यह सिलसिला कई सालों तक चला. 2013 में एक इंटरव्यू में किम ने कहा था, "वह सेक्स गुलामी थी, उसके लिए और कोई शब्द नहीं है."

Südkorea Kim Bok-dong Trauerfeier
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Young-Joon

किम जब सालों बाद वापस अपने घर आईं तो उन्होंने अपने परिजनों को नहीं बताया कि उनके साथ क्या हुआ लेकिन जो कुछ उन्हें झेलना पड़ा था उसकी वजह से वो खुद को शादी के लिए तैयार नहीं कर पाईं. उनका कहना था, "मैं एक औरत की तरह पैदा हुई लेकिन औरत की तरह कभी जी नहीं सकी." उनकी मां जब उन पर शादी के लिए ज्यादा दबाव बनाने लगीं तो एक दिन वो रो पड़ीं और फिर सारा हाल बयान कर दिया. किम की मां इस सदमे को सहन नहीं कर सकीं और जल्दी ही उनकी मौत हो गई. किम ने उसके बाद ना तो शादी की ना ही उनके बच्चे हैं. बुसान शहर में एक रेस्तरां की वो मालकिन थीं. 1992 से जापान के दूतावास के पास सड़क पर विरोध जताने के लिए होने वाली रैलियों में वो नियमित रूप से पहुंच रही थीं. वहां एक धातु की मूर्ति है और उसके बगल में बैठे हुए वो दिखती रहीं.

शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग शोक मनाने सोल की सड़कों पर उतरे. किम का शव लेकर जा रही गाड़ी के साथ मौजूद लोगों में ज्यादातर ने काले कपड़े पहन रखे थे और उनके हाथों में पीले रंग की तितलियों के कटआउट थे जो सेक्स गुलामी का प्रतीक माना जाता है. यह गाड़ी जापानी दूतावास के पास रुकी. सैकड़ों लोग जापानी दूतावास के पास जमा हो गए. इनमें शामिल बहुत से लोग बिलख रहे थे. किम की मौत पर चल रहे पांच दिन के शोक का यह आखिरी दिन था. सोल के जिस अस्पताल में किम की मौत हुई वहां एक स्मारक बना दिया गया है. हजारों लोग वहां उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं. इन लोगों में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन भी थे.

Südkorea Kim Bok-dong Trauerfeier
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Young-Joon

यून मिहयांग कार्यकर्ताओं के उस गुट के प्रमुख हैं जो दक्षिण कोरियाई पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करता है. मिहयांग ने कहा कि जंग के दौरान महिलाओं ने क्या झेला यह दिखाने के अभियान में "किम ना सिर्फ जंग से उबरीं बल्कि कोरियाई समाज के पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों से भी."  मिहयांग ने यह भी कहा, "आइए हम सब किम बोक डोंग बन जाएं. जब पीड़ितों की तादाद शून्य हो जाएगी और जापान की सरकार खुद को राहत में महसूस करेगी हमें उम्मीद है तब सैकड़ों, हजारों, लाखों, करोड़ों तितलियां पूरी दुनिया में मंडराएंगी और किम की आवाज में चीख चीख कर कहेंगी, 'सुनो जापान की सरकार, सुनो युद्ध अपराधियों."

सेक्स गुलामी की दास्तान

किम उन 200,000 महिलाओं में एक थीं जिन्हें जापानी सैनिकों का दुर्व्यवहार झेलना पड़ा. इनमें दूसरे एशियाई देशों की महिलाएं भी शामिल थीं. इन्हें "कंफर्ट वीमेन" कहा जाता था. दक्षिण कोरिया की 239 पीड़ित महिलाओं ने सामने आकर इस पीड़ा को बयान किया. इनमें से अब सिर्फ 23 ही जिंदा हैं. इस मुद्दे ने दक्षिण कोरिया और जापान के बीच रिश्तों में कई दशकों तक तनाव बनाए रखा. कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान ने 1910 में ही कब्जा कर लिया था जो 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के रुकने के बाद ही खत्म हुआ. हालांकि इन महिलाओ का मुद्दा 1990 के दशक तक बहुत सुर्खियों में नहीं आया. दक्षिण कोरिया में महिला अधिकारों का मुद्दा गर्म होने के बाद किम समेत मुट्ठी भर महिलाओं ने कोशिश की कि उनके शोषण को भुलाया ना जा सके. ये लोग चाहते हैं कि जापान इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर माफी मांगे और पीड़ित महिलाओं को मुआवजा दे.

Südkorea Kim Bok-dong Trauerfeier
तस्वीर: picture-alliance/dpa//MAXPPP

1991-1993 के बीच जापान की सरकार ने इस मामले की जांच कराई जिसके बाद माना गया कि कई महिलाओं को उनकी मर्जी के बगैर इन वेश्यालयों में रखा गया था. इसके बाद 1993 में जापान ने औपचारिक रूप से इस मुद्दे पर माफी मांगी हालांकि प्रधानमंत्री शिंजो आबे समेत कुछ राजनेता उससे पीछे हटते रहे हैं और यह सवाल उठाते हैं कि क्या सचमुच उन्हें जबर्दस्ती वेश्यावृत्ति पर विवश किया गया. 2007 में शिंजो आबे ने यह कहकर विवाद उठा दिया कि इस बात के कोई सबूत नहीं कि जापान ने सीधे तौर पर महिलाओं को सेक्स गुलाम के रूप में काम करने के लिए विवश किया. जापान का कहना है कि कोरियाई प्रायद्वीप पर औपनिवेशिक शासन से जुड़े सारे मुआवजे निपटा दिए गए हैं. 1965 में दोनों देशों के बीच एक संधि हुई थी जिसके तहत आपस में राजनयिक रिश्ते बहाल किए गए और जापान ने 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रकम और सस्ता कर्ज दक्षिण कोरिया को दिया था.

एनआर/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)