1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

एक साल के बच्चे समझते हैं बड़ों की बातें

१२ जनवरी २०११

केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एमआरआई और एमईजी तकनीक की सहायता से अपने ताजा शोध में पता लगाया है कि एक साल की उम्र के बच्चों में शब्दों को समझने के लिए जरूरी मस्तिष्क संरचना का विकास पूरी तरह हो चुका होता है.

https://p.dw.com/p/zweY
तस्वीर: picture-alliance / Lehtikuva

दूसरे शब्दों में कहें तो एक साल की उम्र के बच्चों में शब्दों को सुनने की प्रक्रिया किसी वयस्क की तरह ही होती है. यहां तक कि एक साल के बच्चे शब्दों को उनकी ध्वनी से पहचानकर उनका अर्थ भी समझने की कोशिश करते हैं. और तो और इस प्रक्रिया में वे उतना ही समय लेते हैं जितना कि कोई वयस्क. शोध से पता चलता है कि एक साल की उम्र में ही बच्चे बड़ों की बातें समझने लगते हैं.

स्कूल ऑफ मेडिसिन में रेडियोलॉजी के प्रोफेसर एरिक हेलग्रेन की देखरेख में हुए इस शोध में संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग में सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर जैफ एलमन, तंत्रिका विज्ञान की प्रोफेसर कैथरीन ई ट्रेविस भी शामिल रही. यह शोध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेस जरनल में हाल ही में प्रकाशित हुआ है.

Flash-Galerie Zwillingskinderwagen
तस्वीर: bilderbox

कैथरीन ई ट्रेविस ने कहा कि बच्चों के मस्तिष्क की शब्दों को ग्रहण करने की प्रक्रिया वयस्कों की तरह होती है और उनके मस्तिष्क में शब्दों का डाटाबेस बन जाता है जो लगातार अपडेट होता रहता है.

इस शोध से पहले यह माना जाता था कि बच्चों के मस्तिष्क में शब्दों को सीखने के लिए प्रारंभिक तौर पर जो प्रक्रिया होती है, वह वयस्कों से अलग होती है, लेकिन यह शोध नई जानकारी लेकर आया है. हालांकि इस शोध में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि विकसित मस्तिष्क के कौन से हिस्से में भाषा के विकास की प्रक्रिया होती है.

ब्रोकास एरिया और वरनिक्स एरिया मस्तिष्क के वे भाग हैं, जहां चोट लगने से व्यक्ति अपना भाषा ज्ञान खो देता है. बचपन में मस्तिष्क के इन हिस्सों पर चोट का असर भाषा के विकास पर हो सकता है.

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार मस्तिष्क का अग्रणी भाग भाषा के विकास के लिए अधिक महत्वपूर्ण है और जैसे-जैसे भाषाई अनुभव होते जाते हैं, वैसे-वैसे मस्तिष्क में उस भाषा के लिए जगह बनती जाती है.

कुछ अन्य शोधों के अनुसार शिशु मस्तिष्क की सरंचना ही इस प्रकार की होती है कि यदि बचपन में मस्तिष्क के सामने वाले भाग में कोई चोट लग जाती है तो दूसरे हिस्से भाषा सीखने के लिए सक्रिय हो जाते हैं.

Kinderarmut in Bosnien-Herzegowina
तस्वीर: DW/Mirsad Camdzic

ताजा शोध में यह जानने की कोशिश की गई कि मस्तिष्क के भाषा तंत्र में मस्तिष्क के विभिन्न भाग किस प्रकार सक्रिय होते हैं. पहले प्रयोग के लिए शिशुओं को शब्दों की सिर्फ आवाज सुनाई गई.

दूसरे प्रयोग में शिशुओं को पहले सुनाए गए शब्दों के चित्र दिखाए गए और यह जांचा गया कि वे अर्थ समझ सकते है या नहीं. जैसे कि बॉल का चित्र दिखाकर बॉल शब्द बोला गया. इसी तरह डॉग शब्द बोलकर बॉल का चित्र दिखाया गया. इस दौरान देखा गया कि बच्चे चित्रों को शब्दों के सापेक्ष पहचानते हैं या नहीं.

इस दौरान मस्तिष्क की क्रियाविधि में देखा गया कि जब बच्चों को डॉग शब्द के साथ बॉल दिखाई गई तो मस्तिष्क ने इस फर्क को पहचाना. यह क्रिया आश्चर्यजनक रूप से उतनी ही तेजी से हुई, जितनी कि वयस्कों में होती है.

प्रोफेसर एरिक हेलग्रेन ने कहा कि हमारा शोध साबित करता है कि जब भी कोई वयस्क एक शब्द सुनता है तो शब्द की पहली स्मृति के आधार पर वह उसे पहचानता है. शोधकर्ताओं के अनुसार इस विषय में उनका यह शोध भविष्य में अन्य शोधों के लिए राह आसान करेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एसके

संपादनः आभा एम