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ऐसा भी होता है

२० अगस्त २०१०

फुटबॉल तो वह पहले भी खेलता था. लेकिन टिन के डिब्बे से. क्लब तो उसका पहले भी था, पर होमलेस क्लब. बेघरों का. कभी फुटपाथ बिस्तर बन जाता तो कभी कचरे के डिब्बे के बगल में रात बितानी पड़ती. लेकिन बेबे के बुरे दिन बीत गए हैं.

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तस्वीर: AP

वह फुटबॉल के स्वर्ग समझे जाने वाले क्लब में पहुंच गया है. लाल जर्सी वाले मैनचेस्टर यूनाइटेड में. क्लब ने इस खिलाड़ी के लिए 90 लाख यूरोप खर्च किए हैं. करीब 55 करोड़ रुपये. ऐसे खिलाड़ी के लिए जो पिछले साल तक होमलेस वर्ल्ड कप खेलता था. पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन के पास एक छोटे से शहर लॉरेस में अनाथालय में रहता था और जिसके पास बस एक ही चीज थी, हिम्मत.

फुटबॉल के लिए यह कहानी किसी परिकथा से कम नहीं. 20 साल के तियागो मानुएल डियास कोरिया को लोग प्यार से बेबे कहते हैं. ज्यादा दिन नहीं बीते हैं, जब उसे फुटपाथ पर सोना पड़ता था या अखबारों में लिपट कर रात बितानी पड़ती थी. आज उसके पास काफी पैसा है और वह लंदन जैसे शहर में आलीशान मकान लेकर रह सकता है लेकिन अनाथालय में उसने अपना कमरा नहीं छोड़ा है. जब वह यहां से जा रहा था, तो अनाथालय में काम करने वाले फूट फूट कर रो रहे थे. लेकिन पुर्तगाल से हजारों मील दूर, मैनचेस्टर यूनाइटेड के फैन पूछ रहे हैं, "बेबे कौन है."

फुटबॉल की दुनिया वाकई बेबे को नहीं जानती है. आम तौर पर सात आठ साल में फुटबॉल शुरू कर देने वाले बड़े खिलाड़ियों के बीच बेबे ऐसा स्टार है, जिसने कभी युवावस्था में फुटबॉल खेला ही नहीं. कुछ दिनों पहले वह मामूली से क्लब एस्त्रेला दा आमादोरा के लिए खेल रहा था, जहां से वितोरिया गुमाइरायस ने उसे 50,000 यूरो में खरीद लिया और अब दुनिया के सबसे मजबूत क्लब इंग्लैंड के मैनचेस्टर यूनाइटेड के हवाले कर दिया है.

Dimitar Berbatov
लाल जर्सी वाली टीम से खेलेगा बेबेतस्वीर: AP

बेबे ने वितोरिया क्लब के सात मैचों में पांच गोल किए हैं और मैनचेस्टर यूनाइटेड के मैनेजर सर एलेक्स फर्गुसन का कहना है, "अगर आप उसकी जिन्दगी की कहानी पढ़ेंगे, तो आपको लगेगा कि आप कोई परिकथा पढ़ रहे हैं." फर्गुसन ने बेबे को एक बार भी खेलते हुए नहीं देखा है लेकिन अपने साथियों की सलाह और पूर्व असिस्टेंट कोच कार्लोस क्वीरोज की बात मानते हुए उसे क्लब में शामिल कर लिया है.

हालांकि फर्गुसन को इस बात का भरोसा है कि बेबे जल्द ही फुटबॉल जगत का बड़ा सितारा बन सकता है. आमादोरा में उसके पूर्व कोच यॉर्गे पाएक्सो को भी उम्मीद है कि बेबे में फुटबॉल जगत पर छाने की सलाहियत है. पाएक्सो का कहना है, "वह बिलुकल अलग तरह का खिलाड़ी है. उसने फुटबॉल के ट्रिक कुछ अजीब सी परिस्थितियों में सीखे हैं और वह एक शानदार खिलाड़ी बन कर उभर रहा है."

बेबे को फुटबॉल खेलते हुए देख चुके लोगों का कहना है कि वह नीदरलैंड्स के महान खिलाड़ी रुड गुलिट और पुर्तगाल के मौजूदा सुपर स्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो का मिला जुला रूप है. लेकिन कम ही लोगों ने उसे खेलते हुए देखा है क्योंकि वह छोटे से शहर में रहा करता था. यहां तक कि फुटबॉल पर नजर रखने वाले खेल पत्रकार भी उसके बारे में ज्यादा नहीं जानते. पुर्तगाल की खेल पत्रिका रिकॉर्ड के डिप्टी एडिटर अनतोनियो मागलहाइस का कहना है कि हाल तक उन्हें नहीं पता था कि बेबे कौन है.

बेबे जिस अनाथालय में पला है, उसकी देख रेख करने वाले फादर अरसेनियो का कहना है, "जब उसे पता चला कि उसे मैनचेस्टर जाना है, तो वह भौंचक्का रह गया. वह दो दिनों तक रोता रहा. वह यहां से बिलकुल नहीं जाना चाहता है. वह घर के एक कोने से दूसरे कोने में चहलकदमी करता रहा. वह यहां के बच्चों के लिए आदर्श भले ही बन गया हो, लेकिन अभी भी स्तब्ध है."

हालांकि बेबे सिर्फ 20 साल का है लेकिन उसने इस उम्र में ही इतनी गुरबत देख ली है, जितनी कई लोग पूरी जिन्दगी में नहीं देख पाते. जब वह 10 साल का था, तो केप वर्डा से पुर्तगाल आए उसके मां बाप ने उसे छोड़ दिया. उसने सड़कों पर दिन बिताई और फुटपाथों पर रात. आमादोरा क्लब ने उसे साइन किया तो 1300 यूरो मिले. करीब 80,000 रुपये. उसने इस पैसे से अनाथालय और सड़कों पर रह रहे बच्चों की मदद की.

मैनचेस्टर यूनाइटेड से जुड़ने के साथ ही उसे हर महीने 65,000 यूरो मिलेंगे. तकरीबन 40 लाख रुपये. वह ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में खेलेगा, जिसे सपनों का थियेटर कहा जाता है. बड़े से बड़ा फुटबॉलर यहां आना चाहता है. उसे हर रोज बेहतर फुटबॉल खेलनी होगी और जमाने से मिल कर चलना होगा. अनाथालय के फादर कहते हैं, "बेबे को लोकप्रियता के साथ जीना सीखना होगा. काम मुश्किल है लेकिन वह कर लेगा."

रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल

संपादनः एन रंजन