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क्वॉड देशों की नौसेनाओं का साझा अभ्यास

चारु कार्तिकेय
२० अक्टूबर २०२०

क्वॉड समूह के चारों देशों ने अगले महीने भारत के समुद्री तट के करीब एक साझा सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने का निर्णय लिया है. नवंबर में मलाबार अभ्यास के लिए भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका अपने अपने जंगी जहाज भेजेंगे.

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Bay of Bengal April 14 2012 The Indian Navy guided missile corvette INS Kulish P63 leads the N
तस्वीर: imago/StockTrek Images

2017 में जब क्वॉड को फिर से खड़ा किया गया था, उसके बाद से भारत, अमेरिका और जापान लगातार इस अभ्यास में हिस्सा लेते रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बाहर रहा है. इस बार ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें भाग लेने का फैसला ले लिया है. इस अभ्यास में नकली युद्ध संबंधी ड्रिल और युद्धाभ्यास किए जाते हैं.

पिछले साल यह अभ्यास सितंबर में जापान के समुद्री तट के करीब आयोजित किया था और इसमें युद्ध के क्षेत्र में सबमरीन से लेकर सतह तक और सतह से ले कर आकाश इन नौसेनाओं की क्षमता देखने को मिली थी. इस साल अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के भी जुड़ जाने से क्वॉड समूह को बल मिलेगा.

इसे इस समूह के देशों की तरफ से चीन के लिए एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जो इस समय भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से एक साथ कई विवादों में उलझा हुआ है. भारत के लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भी भारी तनाव बना हुआ और वहां दोनों देशों की सेनाओं के हजारों सैनिक और सैन्य उपकरण एक दूसरे के सामने तैनात हैं. 

Australien Waldbrände Evakuierungen durch Marine
2017 में जब क्वॉड को फिर से खड़ा किया गया था, उसके बाद से भारत, अमेरिका और जापान लगातार इस अभ्यास में हिस्सा लेते रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बाहर रहा है. इस बार ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें भाग लेने का फैसला ले लिया है.तस्वीर: Reuters/News Corp/I. Currie

भारत-अमेरिका संधि

इसी बीच, भारत ने अमेरिका से साथ अपने सामरिक संबंध बढ़ाने की दिशा में एक अहम सैन्य संधि पर हस्ताक्षर की कोशिशें भी तेज कर दी हैं. 26 और 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच 2+2 फॉर्मेट में मंत्री स्तर पर बैठकें होंगी, जिनमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री आपसी सहयोग पर चर्चा करेंगे.

मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि दोनों देश इस कोशिश में लगे हैं कि इन बैठकों के दौरान उनके बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) पर हस्ताक्षर हो जाएं. इस संधि पर हस्ताक्षर हो जाने से भारत अमेरिका की जीयोस्पेशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर पाएगा और अपने मिसाइल और सशस्त्र ड्रोन जैसे हथियारों और ऑटोमेटेड प्रणालियों की सूक्ष्मता को भी बढ़ा पाएगा.

इसी साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जल्द ही इस संधि पर हस्ताक्षर हो जाने की जरूरत पर जोर दिया था.

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