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और बढ़ेंगे मौसम के गर्म थपेड़े

११ दिसम्बर २०१४

ब्रिटिश वैज्ञानिकों का एक शोध बताता है कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के कारण इस सदी में यूरोप के कुछ हिस्सों में भीषण गर्मी की संभावना दस गुना बढ़ी है.

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तस्वीर: Peter Parks/AFP/Getty Images

वैश्विक औसत की तुलना में मध्य और भूमध्य यूरोप के इलाकों में औसत गर्मियां काफी तेजी से बढ़ी है. 'नेचर क्लाइमेट चेंज' नाम के जर्नल में छपे शोध के मुताबिक कठोर गर्म थपेड़ों का खतरा भी बढ़ा है. यह रिपोर्ट पेरू की राजधानी लीमा में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता के दौरान पेश की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती गर्मी का मतलब अत्यंत भीषण गर्मियां हैं. साल 2000 की शुरूआत में कहा गया था कि ऐसा हर 50 साल में एक बार होगा लेकिन अब अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसा हर पांच साल में हो सकता है.

क्या है चरम गर्मी

शोध में चरम गर्मी को परिभाषित करते हुए उसे गर्मी का वह स्तर बताया गया है जो 1961-90 के औसत तापमान से 1.6 डिग्री ऊपर है. पिछले दशक में यूरोप में औसत गर्मी 0.81 डिग्री अधिक भीषण हुई है. शोध के सह लेखक और ब्रिटेन के मौसम विभाग के पीटर स्टॉट के मुताबिक, "चरम गर्मी के लिए हमारी संवेदनशीलता तेजी से बदल रही है और हमारी उम्मीद इसे जारी रखने की है."

2004 में स्टॉट के एक शोध से निष्कर्ष निकला था कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन ने अत्यधिक गर्म लहर के खतरे को दोगुना किया है, ऐसा ही एक मामला 2003 का है जब यूरोप गर्म थपेड़ों की चपेट में आया था. इस अवधि को 500 सालों में सबसे गंभीर माना गया था, जिसमें करीब 70,000 लोगों की मौत गर्मी के कारण हुई थी. फ्रांस पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा था. शोध कहता है कि 2000 के बाद से इस तरह के गर्म थपेड़ों का जोखिम सौ साल में एक बार हो गया है, पहले यह जोखिम एक हजार में साल हुआ करता था.

सबसे गर्म साल

संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने हाल ही में कहा था कि साल 2014 पिछले कई दशकों का सबसे गर्म वर्ष साबित हो सकता है. तापमान का रिकॉर्ड 19वीं सदी से रखा जा रहा है और इस दौरान 2010 को अब तक का सबसे गर्म साल बताया गया. लेकिन इस साल जनवरी से अक्टूबर तक की अवधि अब तक की सबसे गर्म अवधि बन चुकी है. अमेरिकी और ब्रिटिश आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है. अब तक के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-अक्टूबर 2014 को अमेरिकी नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉसफियरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने सबसे गर्म काल बताया है, जबकि नासा ने इस अवधि को दूसरा सबसे गर्म काल और ब्रिटेन के मौसम विभाग ने इसे तीसरा सबसे गर्म काल कहा है. इन तीनों ही एजेंसियों के आंकड़े विश्व मौसम विभाग लेता है.

एए /आरआर (रॉयटर्स)