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कंडोम में छेद करने वाला प्रेमी दोषी करार

१० मार्च २०१४

प्रेमिका को गर्भवती करने के मकसद से कंडोम में छेद करने वाले एक व्यक्ति को कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराध का दोषी करार दिया है. इस व्यक्ति को निचली अदालत ने दिसंबर 2011 में 18 महीने की सजा सुनाई थी.

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तस्वीर: Fotolia/Sergejs Rahunoks

यह घटना 2006 की है जब 43 वर्षीय क्रेग जैरेट हुचिंसन ने अपनी प्रेमिका को गर्भवती करने के लिए कंडोम में छेद किया था. उनके वकील का कहना है कि जिस समय यह घटना हुई, उस समय उसकी प्रेमिका के साथ उसके संबंध ठंडे थे. उसे डर था कि वह उससे अलग हो जाएगी जिसे रोकने के लिए उसने प्रेमिका को गर्भवती करने के लिए कंडोम में छेद कर दिया.

अभियोजन पक्ष के वकील जिम गंपर्ट ने कहा, "यह मामला इस बात की तह में जाता है कि जब कोई शारीरिक संबंध की सहमति जताता है तो वह उससे संबंधित किन बातों के लिए सहमत है." सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हुचिंसन ने अपनी प्रेमिका के साथ यौन संबंध में उसकी सहमति में अस्पष्टता रखी और उसके साथ धोखाधड़ी की.

महिला की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है. इस घटना के बाद उस महिला ने गर्भपात कराया. लेकिन असली मुश्किलें इसके बाद खड़ी हुईं. उसके गर्भाषय में संक्रमण फैल जाने के कारण दो हफ्तों तक रक्त स्त्राव होता रहा. उसे काफी तकलीफ से गुजरना पड़ा और एंटीबायोटिक्स का इलाज भी काफी समय तक जारी रहा.

अदालत की तरफ से जारी बयान में प्रमुख न्यायाधीश बेवरली मैक लैश्लिन और थॉमस क्रोमवेल ने लिखा, "अभियुक्त द्वारा कंडोम के साथ छेड़ छाड़ किया जाना धोखाधड़ी है. यह स्थापित होता है कि गर्भवती न होना अभियोक्ता का फैसला है. उसे गर्भवती करके उसे इस फैसले से दूर करना, या गर्भनिरोधक के साथ छेड़छाड़ कर उसके लिए गर्भवती होने का खतरा बढ़ाना, उसकी सहमति का दुरुपयोग और धोखा है."

हचिसन पर 2007 में यौन अपराध का आरोप लगाया गया था. उस समय उसे इस मामले में नोवा स्कोटिया की अदालत ने बरी कर दिया था. लेकिन अपील कोर्ट ने इस मामले की फिर से सुनवाई के आदेश दिए गए. दूसरी सुनवाई में उसे दोषी पाया गया. 2011 में उसे निचली अदालत ने 18 महीने की सजा सुनाई जिसकी उसने कनाडा की सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले का समर्थन कर हुचिंसन को यौन अपराध का दोषी करार दिया है.

कनाडा की सुप्रीम कोर्ट में पहले भी सहमति से यौन संबंधों के बीच होने वाले अपराधों के कई मामले सामने आए हैं. अदालत के मुताबिक सहमति से यौन संबंध बनाने वाले जोड़ों में अगर दोनों में से कोई भी खुद के एचआईवी पॉजिटिव होने की बात नहीं बताता है तो यह असल सहमति नहीं है.

एसएफ/आईबी (एपी)