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कंप्यूटर क्रांति को फिजिक्स का नोबेल

९ अक्टूबर २०१२

भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता 68 साल के सर्ज आरोश और डेविड वाइनलैंड ने पदार्थ और प्रकाश के सबसे छोटे कण में कुशलतापूर्वक बदलाव के तरीके ढूंढे और उनके अजीब व्यवहार को देख सके.

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तस्वीर: AP/CNRS

इससे पहले इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक सिर्फ समीकरणों और काल्पनिक प्रयोगों से जानते थे. वाइनलैंड खुद के काम को 'पार्लर ट्रिक' बताते हैं. उन्होंने एक ऑब्जेक्ट को दो जगहों पर इस्तेमाल करने का जादुई काम भी किया. अन्य वैज्ञानिकों ने उनके काम को साइंस फिक्शन के सबसे मुश्किल सपने को पूरा होने जैसा बताया.

2012 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार क्वांटम फिजिक्स में रिसर्च करने वाले फ्रांसीसी वैज्ञानिक सेर्ज आरोश और अमेरिका के डेविड वाइनलैंड को क्वांटम ऑप्टिक्स के लिए दिए जाने की घोषणा की गई है.

Nobelpreis Physik Serge Haroche David Wineland
डेविड वाइनलैंड और आरोश के शोध का ग्राफिक्सतस्वीर: Getty Images/AFP

ब्रिटेन में सरे यूनिवर्सिटी में भौतिकी के प्रोफेसर जिम अल खलीली ने कहा, "इस साल के नोबेल पुरस्कार ने क्वांटम मैकेनिक्स के बहुत अच्छे प्रयोगों को पहचाना है. आज से एक दो दशक पहले ये नतीजे सिर्फ आयडिया या साइंस फिक्शन का हिस्सा थे, क्वांटम फिजिक्स की कोरी कल्पना थी. वाइनलैंड और आरोश की टीम ने दिखाया कि क्वांटम की दुनिया कितनी अजीब है और इसने नई तकनीक की क्षमता खोली है जिसे लंबे समय तक असामान्य माना जाता रहा."

क्वांटम फिजिक्स ब्रह्मांड के मूल कणों का अध्ययन करता है, जो अणु से भी छोटे हैं. लेकिन ये अति सूक्ष्म कण अजीब तरीके से व्यवहार करते हैं जिन्हें एडवांस गणित से ही समझा जा सकता है. वैज्ञानिक काफी समय से क्वांटम कंप्यूटर बनाने का सपना देख रहे हैं जिसमें नए गणित का इस्तेमाल किया जाएगा. ये कंप्यूटर जटिल काम करेंगे और सामान्य कंप्यूटर से ज्यादा डाटा सेव कर सकते हैं. इन कंप्यूटरों को तभी बनाया जा सकता है जब इन छोटे कणों का व्यवहार समझ में आ जाए.

नोबेल कमेटी ने बताया, "एकल कणों को उनके माहौल से बाहर नहीं निकाला जा सकता. जैसे ही इन्हें अपने माहौल से बाहर निकाला जाता है, उनके रहस्यपूर्ण क्वांटम गुण खत्म हो जाते हैं. आरोश और वाइनलैंड ने अपने बनाए लैब में, अपने तरीकों से क्वांटम स्थिति के दौरान इन कणों का सीधे परीक्षण किया. नए तरीकों के जरिए वह कणों का न केवल परीक्षण कर सकते हैं बल्कि उनका नियंत्रण और गिनती भी कर सकते हैं."

दोनों वैज्ञानिक क्वांटम ऑप्टिक्स के क्षेत्र में शोध कर रहे हैं. जिसके दौरान उन्होंने प्रकाश और पदार्थ के बीच पारस्परिक संबंध को समझा. नोबेल कमेटी के मुताबिक दोनों ने एक ही लक्ष्य पाने के दो अलग तरीके ढूंढे. वाइनलैंड अपने प्रयोगों के लिए प्रकाश कण फोटोन इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह पदार्थ के इलेक्ट्रॉन को नियंत्रित कर सकें. आरोश फोटोन को गिनने के लिए इलेक्ट्रॉन का उपयोग करते हैं.

Nobelpreis Physik Serge Haroche David Wineland
स्वीडन में हुई घोषणातस्वीर: Getty Images/AFP

क्वांटम मैकेनिक्स का एक अजीब गुण ऐसा है कि ये कण इस तरह से व्यवहार करते हैं जैसे कि उन्हें दो जगहों पर एक साथ रख दिया गया है. इस पोजिशन को सुपर पोजिशन कहते हैं. लंबे समय तक सोचा जाता रहा कि इसे लैब में साबित करना असंभव है, लेकिन वाइनलैंड की पार्लर ट्रिक के कारण यह संभव हो सका. इस दौरान एक अणु पर लेजर किरण फेंकी जाती है. क्वांटम थ्योरी के हिसाब से अणु के हिलने का 50 प्रतिशत मौका होता है. इससे परमाणु को एक साथ दो जगह पर देखा जा सकता है. एक मीटर के 80 अरबवें हिस्से की दूरी पर.

सामान्य कंप्यूटर या तो बंद होते हैं या चालू होते हैं. लेकिन क्वांटम कंप्यूटर ऐसे बटन के साथ काम करेगा जो वाइनलैंड के प्रयोग की तरह होंगे. जो कई पोजिशन पर एक साथ होंगे. इसका एक उदाहरण यह है कि अगर कंप्यूटर किसी दुकान तक जाने का सबसे छोटा रास्ता ढूंढ रहा है तो सामान्य कंप्यूटर पहले सारे रास्ते देखेगा और फिर सबसे छोटा रास्ता चुनेगा, जबकि क्वांटम कंप्यूटर को ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वह एक कदम में ही सारा काम कर लेगा.

एएम/एमजे (रॉयटर्स)

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