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कड़ाही से आग में गिरती अफगान महिलाएं

१४ फ़रवरी २०११

घरेलू हिंसा से भागकर शरण लेने वाली महिलाओं की जिम्मेदारी अब अफगान सरकार अपने हाथों में लेना चाहती है. मानव अधिकार संगठनों को डर है कि इससे महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी.

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तस्वीर: DW

अब तक संयुक्त राष्ट्र या गैर सरकारी संगठनों पर इन महिला गृहों की जिम्मेदारी है. अफगान सरकार की योजना है कि इन संस्थाओं को महिला कल्याण मंत्रालय के अधीन किया जाए. मानव अधिकार संगठन ह्युमन राइट्स वाच ने सूचित किया है कि सरकारी प्रस्ताव के अनुसार यहां प्रवेश से पहले महिलाओं की डाक्टरी जांच कराई जाएगी और उन्हें संस्था के भवन से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. साथ ही सरकारी प्रस्ताव के मसौदे में कहा गया है कि अगर इन महिलाओं के परिवार उन्हें वापस लेना चाहे, या उनकी "शादी" करवाई जा सके, तो उन्हें वापस जाना पड़ेगा. संबद्ध महिला की रजामंदी के बारे में इसमें कुछ नहीं कहा गया है.

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तस्वीर: AP

अफगानिस्तान की स्थिति का अध्ययन करने वाले ह्युमैन राइट्स वाच के प्रतिनिधि रैषेल रेइड का कहना है कि अफगान सरकार के अंदर रुढ़िवादियों का असर बढ़ता जा रहा है और वे महिलाओं के लिए बनी ऐसी संस्थाओं के खिलाफ हैं, जहां पीड़ित महिलाओं को कुछ हद तक खुली हवा में सांस लेने का मौका मिलता है. अगर इन संस्थाओं की जिम्मेदारी सरकार के पास हो, तो परिवारों और कबीलों को दबाव डालने का अधिक मौका मिलेगा, महिलाओं को वापस भेजा जाएगा और उनकी जान खतरे में होगी.

रूढ़िवादी तबकों का कहना है कि इन संस्थाओं में अनैतिक आचरण का समर्थन किया जा रहा है और वहां जाने वाली महिलाएं "दुश्चरित्र महिलाएं" हैं.

अफगानिस्तान में पांच ऐसी संस्था चलाने वाले महिला संगठन वीमेन फॉर अफगान वीमेन के एक वक्तव्य में कहा गया है कि तालिबान को खुश करने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है. वक्तव्य में ध्यान दिलाया गया है कि कैसा भी फैसला हो, अब तक का अनुभव कहता है कि तालिबान के हाथों में महिलाओं की इज्जत सुरक्षित नहीं होती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/उ भ

संपादन:एम जी

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