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कराची में काले धन का कारोबार

११ अप्रैल २०१३

सियासी उठापटक, हिंसा, आतंकवाद, बम धमाकों और सुलगती सीमाओं के बीच पाकिस्तानी का शेयर बाजार छलांगे मार रहा है. बीते साल दुनिया के सबसे कामयाब शेयर बाजारों में एक कराची स्टॉक एक्सचेंज ने 49 फीसदी का मुनाफा दिया.

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तस्वीर: DW/S.Shams

बीते साल सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाले दुनिया के पांच शेयर बाजारों में कराची स्टॉक एक्सचेंज भी शामिल है. यह वही कराची है जो पाकिस्तान की कारोबारी राजधानी है और जो पूरे साल हत्या, कर्फ्यू और विरोध प्रदर्शनों की वजह से सुर्खियों में बना रहता है. पिछले पांच साल में तीन गुना उछाल हासिल करने वाले शेयर बाजार को अब किसी विदेशी साझीदार की जरूरत है जो इसमें हिस्सेदारी खरीद कर इसका प्रबंधन संभाल ले.

शेयर बाजार की कामयाबी के पीछे सरकार की उस नीति की भी बड़ी भूमिका है जिसमें काला धन बटोर कर बैठे लोगों को इसमें निवेश करने की छूट दी गई है. हालांकि सरकारी अधिकारी कह रहे हैं कि बाजार की सफलता देश की आर्थिक ताकत की निशानी है. उनके मुताबिक यह हालत तब है जब देश आतंकवाद, अल कायदा और जातीय संघर्ष के साथ ही बिजली की कमी और भ्रष्टाचार से जूझ रहा है. बाजार का सूचकांक सालाना 10.34 फीसदी की दर से लगातार बढ़ रहा है और मई में चुनावों के बाद जब नई सरकार आएगी तो इसमें और तेजी आने की संभावना दिख रही है. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार चुनावों के बाद एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार दूसरी लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता सौंपेगी.

Pakistan Karatschi Stadt
तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Images

कराची शेयर बाजार के चेयरमैन नदीम नकवी का कहना है, "पाकिस्तान के पास निवेशकों को देने के लिए बहुत कुछ है और अब हमारे पास मौका है कि हम यह दिखा सकें." नकवी ने प्रचार के लिए कई रोडशो की योजना बनाई है और इसके लिए आने वाले महीनों में वह लंदन, फ्रैंकफर्ट और हॉन्गकॉन्ग जाएंगे. कराची शेयर बाजार में दर्ज कई कंपनियों ने दो अंकों में मुनाफा हासिल किया है. शेयरों की कम कीमत, लचीला बाचार और 18 करोड़ की आबादी नया बाजार ढूंढ रहे निवेशकों  को अपनी ओर खींच रहा है.

काले धन की छाया

अच्छी खबरें देने के बावजूद यह सच्चाई है कि कराची शेयर बाजार की उछाल में काले धन की एक बड़ी भूमिका है और यह बाजार उसे सफेद बना रहा है. पिछले साल जैसे ही सरकार ने लोगों को बिना पैसे का स्रोत बताए उससे शेयर खरीदने की छूट दी बाजार का कारोबार एकाएक उछाल पर आ गया. रोजाना बिकने और खरीदे जाने वाले शेयरों की संख्या 2011 के 7.9 करोड़ से सीधे दोगुनी हो कर 17.3 करोड़ शेयरों तक जा पहुंची. अधिकारियों का कहना है कि इस कदम के जरिए काले धन को कर के दायरे में लाया जा सकेगा. इस देश में कर देने वाले लोगों की संख्या बहुत मामूली है. हालांकि आलोचक इसे भ्रष्ट अधिकारियों और अपराधियों के लिए तोहफा बता रहे हैं जिन्हें इसके जरिए अपने काले धन को सफेद करने का मौका मिल गया है.

Abwracken von Schiffen in Geddani Pakistan
तस्वीर: Roberto Schmidt/AFP/GettyImages

सुप्रीम कोर्ट में वकील और टैक्स कानून पढ़ाने वाले डॉ इकरामुल हक कहते हैं, "राजनीति और काला धन पाकिस्तान में साथ साथ चलते हैं. लोग चाहते हैं कि वो नियमों के दायरे से बाहर रहें जिससे कि टैक्स के जाल में न फंसें." काले धन ने शेयर बाजार में चल रही दूसरी अनैतिक गतिविधियों की ओर भी ध्यान खींचा है. दलालों, नियामकों और बाजार के अधिकारियों के साथ बातचीत से पता चला है कि इनसाइडर ट्रेडिंग और दूसरी गड़बड़ियां भी यहां खूब होती हैं. नियामक संस्थाएं इन्हें रोक पाने में नाकाम हैं. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ऑफ पाकिस्तान यानी एसईसीपी का कहना है कि उसने 2011-12 के बीच 23 गड़बड़ियां पकड़ीं और दोषियों पर जुर्माना लगाया. इसके अलावा 19 मामलों में चेतावनी भेजी गई. बिग ढेढी के नाम से विख्यात अकील करीम ढेढी पाकिस्तान के सबसे बड़े कारोबारी ग्रुप एकेडी के मुखिया हैं. ढेढी पर भी कई गड़बड़ियों के आरोप हैं और वह लंबे समय से गिरफ्तारी से बचते आ रहे हैं. 

एसईसीपी लाइसेंस वापस ले सकता है, भारी जुर्माना लगा सकता है या फिर दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करा सकता है. हालांकि यह बहुत कम ही बार हरकत में आता है. पिछले पांच सालों में उसने केवल आपराधिक मामले दर्ज कराए हैं. यह सभी मामले अभी भी अदालतों में फंसे पड़े हैं. करीब दर्जन भर मामलों में उसने मामूली जुर्माना लगाया है. एसईसीपी के पूर्व मुखिया खालिद मिर्जा का कहना है, ''हमारे पास अच्छे कानून और नियम तो हैं लेकिन उनका पालन ठीक से नहीं हो रहा. एसईसीपी अब तक केवल छोटी मछलियों को ही पकड़ पाया है.''

काले से सफेद

कराची के शेयर बाजार का आकार छोटा है और तरलता की कमी के कारण यहां छल कपट के कई रास्ते खुलते हैं. यहां की बाजार पूंजी महज 41.5 अरब डॉलर है जबकि मुंबई शेयर बाजार इससे 10 गुने से भी ज्यादा 578 अरब डॉलर का है. यहां महज चौथाई फीसदी शेयर ही ऐसे हैं जिन का कारोबार आसानी से हो पा रहा है. यहां के 30 फीसदी शेयर विदेशी निवेशकों या फंड के पास हैं. इनमें फ्रैंकलिन टेम्पलटन, इन्वेस्को लिमिटेड, गोल्डमैन सैक्स जैसे नाम शामिल हैं.

कराची शेयर बाजार में दर्ज 600 कंपनियों में महज 6 फीसदी कंपनियां ही नियमित रूप से कारोबार करती हैं और छोटी छोटी खरीद बिक्री से भी कई बार कंपनी के शेयरों की कीमत में बड़ा अंतर आ जाता है. पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने काले धन को सफेद में बदलने का रास्ता खोल दिया. उन्होंने एक नए कानून को मंजूरी दे दी जिसके तहत यह तय हो गया कि जुलाई 2014 तक शेयर बाजार में निवेश किए जाने वाले धन के स्रोत के बारे में नहीं पूछा जाएगा. यह निवेश कानूनी रूप से वैध होगा.

संयुक्त राष्ट्र के ड्रग एंड क्राइम विभाग के मुताबिक पाकिस्तान में 2010-11 में 34 अरब डॉलर काले धन के रूप में मौजूद था जो यहां की अर्थव्यवस्था का करीब पांचवां हिस्सा है. तस्वीर साफ है और अगर कुछ बाकी रहता है तो एक बानगी देखिए. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने शेयर बाजार में एक ही बारी में 1 करोड़ रुपये के शेयर खरीदने वाले एक शख्स का पता देखा तो वह कराची के झुग्गी बस्ती का था जो तालिबान की घुसपैठ के लिए कुख्यात है.

एनआर/आईबी (रॉयटर्स)

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