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बच्चे परिवार में सीखते हैं बांटने की कला

२ मई २०१६

दूसरों के साथ अपना कुछ भी बांटना, साझा करना इंसानी बर्ताव का महत्वपूर्ण हिस्सा है. औरों के साथ निष्पक्ष होना भी जरूरी है. छोटे बच्चे यह व्यवहार परिवार में सीखते हैं या आस पास के परिवेश में.

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तस्वीर: Imago/Schöning

लेकिन बच्चे आखिर किस उम्र में दूसरों का ख्याल रखना और उनके साथ निष्पक्ष होना या भेदभाव नहीं करना शुरू करते हैं? आपके और हमारे अनुभव चाहे जो हों, वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च कर पाता किया है कि हकीकत क्या है. इसके लिए अलग अलग उम्र के 200 बच्चों को अल्टीमेटम गेम खेलने को कहा गया है. यह ऐसा प्रयोग है जिसके जरिए मनोविज्ञानी निकोलाउस श्टाइनबाइस ने बच्चों में शेयरिंग से जुड़े उनके बर्ताव के बारे में पता किया.

यह खेल इस तरह काम करता है कि कंप्यूटर पर रिचर्ड को फैसला करना है कि वह दूसरे अनजान खिलाड़ी को कितने सिक्के देगा. मजेदार बात यह है कि दूसरे खिलाड़ी के पास भी फैसला करने का मौका होता है. अगर अनुचित लगे तो वह रिचर्ड के ऑफर को ठुकरा सकता है. ऐसी स्थिति में दोनों को कुछ भी नहीं मिलेगा. इसलिए रिचर्ड को सोचना होगा कि कितने सिक्के दूसरे खिलाड़ी को मान्य होंगे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

6 साल के किसी बच्चे के लिए यह बहुत ही मुश्किल सवाल है. हालांकि उन्हें पता होता है कि उचित क्या है, लेकिन अपनी संपत्ति खोना किसी को भी अच्छा नहीं लगता. मनोविज्ञानी डॉ. निकोलाउस श्टाइनबाइस बताते हैं, "अल्टीमेटम गेम जीतने के लिए जरूरी है कि आप दूसरों के नजरिए को समझें. यानि आप यह समझने की स्थिति में हों कि आपका प्रतिद्वंद्वी किस ऑफर को स्वीकार्य ऑफर समझेगा और फिर उसी हिसाब से चलें."

खेल में वयस्क लोग आम तौर पर 40 से 50 प्रतिशत का ऑफर देते हैं. आम तौर पर 30 प्रतिशत से नीचे का ऑफर ठुकरा दिया जाता है. 8 वर्षीय कोंस्टांटिन भी अपने आधे सिक्के दूसरे खिलाड़ी को दे देता है. उसे निष्पक्षता का अहसास है. सिक्कों के निष्पक्ष बंटवारे का मतलब है कि दोनों पक्षों को बराबर फायदा हो. बड़े होने के दौरान बच्चे अपने लोभ और खुदगर्जी पर काबू पाना सीखते हैं और सबसे अच्छा अपने लिए रखने के आवेग को रोक पाते हैं. उन्हें दूसरों के साथ सहानुभूति रखना सीखना होता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Karmann

हम जन्म से निष्पक्ष पैदा नहीं होते, यह धीरे धीरे विकसित होता है. विकास की यह प्रक्रिया कहां शुरू होती है यह जानने के लिए निकोलाउस श्टाइनबाइस ने इस बात की जांच की कि अल्टीमेटम गेम के दौरान दिमाग में क्या होता है. दिमाग के एक हिस्से पर उनका ध्यान गया, जो छोटों की तुलना में बड़े बच्चों में ज्यादा सक्रिय होता है. वे बताते हैं, "विकास के इस चरण के लिए डोर्सोलैटरल प्री-फ्रंटल कॉरटेक्स बहुत महत्वपूर्ण है. यह दिमाग के ठीक सामने का इलाका है, वह हिस्सा जिसकी ओर हम किसी को अत्यंत बुद्धिमान बताने के लिए इशारा करते हैं.

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तस्वीर: Gustavo Caballero/Getty Images for Build-a-Bear

दिमाग के इस हिस्से में योजना बनाने और उस पर अमल करने, लक्ष्यों पर काम करने, आवेश को कंट्रोल करने जैसी विभिन्न प्रकार की क्षमताएं केंद्रित होती हैं. दिमाग का यह हिस्सा देर से विकसित होता है, इसलिए बचपन में होने वाले बदलावों को दिमाग में होने वाले बदलावों का असर बताया जा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे खुदगर्ज व्यवहार इसलिए नहीं करते हैं कि उन्हें पता नहीं होता कि निष्पक्षता क्या है बल्कि इसलिए कि सामाजिक ज्ञान के जरिए दिमाग के परिपक्व होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. दूसरे बच्चों के साथ आने पर ही उन्हें पता चलता है कि न्यायोचित व्यवहार सही है. जो दूसरों की मदद करते हैं उन्हें भी दूसरों से मदद मिलती है.

एमजे/आरआर

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