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कश्मीर में दखल नहीं देगा संयुक्त राष्ट्र

७ अक्टूबर २०१०

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि यूएन कश्मीर मुद्दे पर तब तक बीच बचाव नहीं करेगा जब तक भारत और पाकिस्तान दोनों पक्ष इसके लिए अनुरोध न करें. उधर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा आपस में सुलझाएं मुद्दा.

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तस्वीर: AP

बान की मून ने कहा, "जहां तक अच्छे ऑफिस की भूमिका का सवाल है, संयुक्त राष्ट्र तब ही पहल करेगा जब दोनों पक्ष उससे इस बात करने के लिए कहें. भारत और पाकिस्तान पड़ोसी देश हैं और क्षेत्र में अहम भी. शांति और सुरक्षा का संबंध भी अहम है." पाकिस्तान ने कई बार संयुक्त राष्ट्र के दखल की मांग की है, जिसे भारत ठुकराता आया है.

कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों के बाबत बान ने कहा, "मुझे लोगों के मारे जाने का बहुत दुख है. मैं हिंसा खत्म करने की अपील पहले भी कर चुका हूं. और सभी पक्षों से शांति और संयम की अपील करता हूं. फिलहाल संयुक्त राष्ट्र का यही कहना है."

भारत का अब भी मानना है कि कश्मीर उसका आतंरिक मामला है जबकि पाकिस्तान ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय खासकर संयुक्त राष्ट्र को इसमें बीच बचाव करना चाहिए.

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और वह पाकिस्तान की सहायता से होने वाले चरमपंथ और आतंकवाद का निशाना है. सोमवार को ही पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा कि उनके देश ने कश्मीर में लड़ने के लिए आतंकियों को प्रशिक्षण दिया. जिसका पाकिस्तान ने खंडन किया. इस पर भारत ने प्रतिक्रिया दी पूर्व राष्ट्रपति की हामी से भारत के दावे की ही पुष्टि होती है कि कश्मीर में चरमपंथ पाकिस्तान की सहायता से हो रहा है.

उधर भारत यात्रा की तैयारी कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उम्मीद जताई है कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर को आपसी बातचीत से सुलझा लेंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, "हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष बैठ कर बातचीत करेंगे और सुलझा लेंगे. ये पाकिस्तान और भारत का आपसी मामला है, महत्वपूर्ण है. हाल के दिनों में दोनों के बीच इस पर सार्थक बातचीत भी हुई है."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए जमाल

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