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कश्मीर में सेना की मदद ली, मां बेटी की हत्या

२४ अगस्त २०१०

भारतीय राज्य कश्मीर सड़कों पर चलते पत्थर और गोलियों के अलावा मौत दूसरे बहाने से भी आती है. इस बार तो मां बेटी की मौत इसलिए आ गई क्योंकि वे अपनी जिन्दगी बचाने गई थीं. कसूर इतना कि उन्होंने अस्पताल गलत चुना.

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तस्वीर: UNI

शकीला गोरसी और उनकी नौ साल की बेटी जरीना घाटी में बंद की वजह इलाज नहीं करा पा रही थीं. आखिरकार उन्होंने सेना के अस्पताल में जाकर इलाज कराने का फैसला किया. इलाज तो हुआ, लेकिन बाद में इसकी कीमत बहुत महंगी पड़ी.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुलगाम जिले में रविवार देर रात चार संदिग्ध आतंकवादी मोहम्मद हुसैन गोरसी के घर घुस आए. उनका कहना था कि गोरसी की पत्नी ने सेना के अस्पताल में जाकर बहुत बड़ा पाप किया है और इसकी सजा हुसैन को मिलेगी.

Militärische Operation gegen Maoisten in Indien
सेना से ली मददतस्वीर: picture-alliance/ dpa

पुलिस के मुताबिक हुसैन गोरसी घर पर नहीं थे. उनकी पत्नी और बच्ची ने चारों संदिग्धों से दया की भीख मांगी और कहा कि आगे से वे इस बात का ध्यान रखेंगे. लेकिन संदिग्धों का कलेजा नहीं पसीजा और उन्होंने मां बेटी के कलेजे में गोलियां उतार दीं. उनकी मौके पर ही मौत हो गई.

पुलिस के मुताबिक चारों संदिग्ध लश्कर ए तैयबा से जुड़े हैं और इलाके में सक्रिय रहे हैं. अलगाववादी नेताओं की अपील पर गांव का मेडिकल केंद्र बंद था. लिहाजा मां बेटी इलाज के लिए राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिक अस्पताल में चली गई थीं. यह वही इलाका है, जहां 2003 में 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एम गोपालकृष्णन

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