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स्ट्रीट आर्टिस्ट स्लिंकचु

२ जुलाई २०१५

ब्रिटेन के स्ट्रीट आर्टिस्ट स्लिंकचु की बनाई मूर्तियां इतनी छोटी होती हैं कि सड़क से गुजर रहे लोगों का उस ओर ध्यान नहीं जाता. जब वह कैमरे में इन्हें कैद करते हैं, तब लोगों को समझ आता है कि कैसे वे कहानी बयान कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Wüstneck

स्लिंकचु शहर के अंदर ही ऐसी छोटी छोटी जगहें ढूंढते हैं जहां घास हो, कीचड हो. फिर कभी वे पिघलती हुई आइसक्रीम को स्वीमिंग पूल बना कर अपने मिनिएचर को उसमें कूदते हुए दिखाते हैं, तो कभी बोतल से गिरते कोल्ड ड्रिंक को बहता हुआ झरना बना कर मिनिएचर को उसके पास बिठा देते हैं. अपनी स्ट्रीट इंस्टॉलेशन के बारे में वे बताते हैं, "मेरी कोशिश है कि मैं इन्हें खूबसूरत बना कर पेश कर सकूं, किसी पेंटिंग या तस्वीर जैसा. जब आप इसे थोड़ी दूरी से देखते हैं, तब आपको पूरी कहानी समझ आती है."

स्लिंकचु मिनिएचर्स को अपने हिसाब से अलग अलग रूप देते हैं, खुद इन्हें रंगते हैं और फिर रोजमर्रा की चीजों के साथ इन्हें जोड़ देते हैं. इसके बाद इन्हें इंस्टॉल करने की सही जगह की तलाश में वे घंटों सड़कों पर घूमते रहते हैं. परफेक्ट जगह मिल जाने पर, वे अपना काम पूरा करते हैं, तस्वीर लेते हैं और इसे किस्मत के हवाले कर देते हैं. आसपास से गुजरने वाले अधिकतर लोगों का ध्यान इस ओर देर में ही जाता है.

स्लिंक्चु को अपने इन किरदारों को अकेला छोड़ देने का आइडिया काफी पसंद है, "बहुत बार मैं अपनी तस्वीरों में इन किरदारों को इस तरह से पेश करता हूं जैसे ये अकेले हैं, कहीं छूट गए हैं. और जब मैं खुद इन्हें कहीं छोड़ कर चला जाता हूं, तो मैं ही इनके अकेलेपन का कारण बन जाता हूं. और मुझे ऐसा करना बहुत पसंद है क्योंकि मुझे लगता है कि इससे मेरा पूरा थीम आपस में बंध जाता है."

2006 में 'लिटल पीपल' नाम के प्रोजेक्ट से स्लिंकचु मशहूर हुए और अब बर्लिन, मॉस्को और लंदन समेत दुनिया भर के कई शहरों में उनके इस्टॉलेशन देखे जा सकते हैं. जीवन को दर्शाते स्लिंकचु के छोटे छोटे किरदार हजारों यूरो में बिकते हैं.

लायला गिलहूली/आईबी