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कहीं करोड़ों का ऑफर तो कहीं हाथ से छिना निवाला

प्रभाकर१७ जून २०१६

भारत में स्टूडेंट्स को मिलने वाले जॉब ऑफर अर्थव्यवस्था की रुझान दिखाते हैं. इस समय प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों की ज्वायनिंग टाली जा रही है तो दूसरी ओर छोटी यूनिवर्सिटी के छात्रों को भी बड़े ऑफर मिल रहे हैं.

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Kalkutta Universität
तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

कोलकाता का जादवपुर विश्वविद्यालय पूरे साल धरनों, प्रदर्शनों और छात्रों के आंदोलन के चलते सुर्खियों में रहा है. इससे विश्वविद्यालय की छवि खराब होने और प्लेसमेंट प्रभावित होने का अंदेशा जताया जा रहा था. बावजूद इसके इस साल इसके इंजीनियरिंग विभाग में छात्रों को शानदार प्लेसमेंट मिला है. कंप्यूटर साइंस के एक छात्र को गूगल ने 1.10 करोड़ का पैकेज दिया है. यह हाल के वर्षों में सबसे बेहतरीन प्लेसमेंट है. छात्रों को औसतन 10 से 12 लाख के पैकेज मिले हैं. कई विभागों में यह पैकेज 30 लाख रुपए सालाना तक है. दूसरी ओर कई स्टार्ट-अप कंपनियों ने आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से छात्रों के चयन के बाद या तो उनकी ज्वायनिंग की तारीख आगे बढ़ा दी है या फिर उनके वेतन में कटौती का प्रस्ताव दिया है,

बेहतर प्लेसमेंट सीजन

जादवपुर विश्वविद्यालय के लिए बीते लगभग एक दशक में यह सबसे बेहतर प्लेसमेंट सीजन रहा है. विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एक छात्र आफिफ अहमद को गूगल ने सालाना 1.10 करोड़ रुपए की नौकरी का ऑफर दिया है. वह सिंगापुर में काम करेगा. अबकी तमाम विभागों के औसतन सालाना पैकेज में तीन गुने से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और यह दस लाख तक पहुंच गया है. विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर सुरंजन दास ने इसे विश्वविद्यालय के लिए ‘महान क्षण' करार दिया है. प्लेसमेंट अफसर समिता भट्टाचार्य कहती हैं, ‘इस साल मेकेनिकल, केमिकल और सिविल जैसे कोर इंजीनियरिंग विभागों के छात्रों को भी बेहद आकर्षक ऑफर मिले हैं.'

आफिफ बताता है कि उसके ऑफर में स्टाक ऑप्शन समेत कई अन्य सुविधाएं शामिल हैं. उसने तो कभी इतने भारी-भरकम पैकेज की उम्मीद ही नहीं की थी. बंगाल के नदिया जिले का रहने वाला आफिफ सितंबर में ज्वायन करेगा. उसे अमेजन समेत दो अन्य कंपनियों से भी आकर्षक ऑफर मिले थे. लेकिन उसने गूगल के साथ काम करने को तरजीह दी. सूचना तकनीक इंजनीयिरिंग के छात्र विख्यात खोसला को माइक्रोसॉफ्ट की ओर से 30 लाख का पैकेज मिला है. वह हैदराबाद में काम करेगा. कंप्यूटर साइंस के छात्र जिष्णु मुक्ति को अमेजन ने 30 लाख का पैकेज दिया है. वह भी कंपनी के हैदराबाद स्थित दफ्तर में काम करेगा.

मंदी के बावजूद बेहतर ऑफर

विश्वविद्यालय के लिए सबसे प्रोत्साहित करने वाली बात यह है कि उसके छात्रों को उन क्षेत्रों से भी बेहतर नौकरियों के ऑफर मिले हैं जिनमें मंदी का दौर चल रहा है. प्लेसमेंट अफसर समिता भट्टाचार्य कहती हैं, ‘तेल के बाजार में मंदी के बावजूद कोर इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों को बेहतर नौकरियां मिली हैं. हमने अबकी भारी तादाद में कंपनियों को कैंपस इंटरव्यू के लिए बुलाया था.'

हावड़ा स्थित आईआईईएसटी, जिसका नाम पहले बीई कालेज था, के छात्रों को भी अबकी बेहतर नौकरियां मिली हैं. यहां कंपूयटर साइंस के एक छात्र को सबसे ज्यादा 40 लाख सालाना की नौकरी मिली है. एक अन्य छात्र को भी गूगल में नौकरी मिली है. लेकिन भारत में काम करने की वजह से उसे 35 लाख का ऑफर मिला है. एक अधिकारी बताते हैं कि छात्रों को औसतन 10 से 12 लाख तक के पैकेज मिले हैं.

स्टार्ट-अप कंपनियों ने खींचे हाथ

यह हालत तब है जब देश के नामी-गिरामी भारतीय तकनीकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के छात्रों को स्टार्ट-अप कंपनियों की ओर से मिले ऑफर या तो रद्द हो गए हैं या फिर उनकी ज्वायनिंग की तारीख आगे बढ़ा दी गई है. ऐसे में दूसरी मशहूर कंपनियों के ऑफर छोड़ कर इन कंपनियों के ऑफर स्वीकार करने वाले छात्रों के सामने अजीब स्थिति पैदा हो गई है. सैकड़ों छात्र इस असमंजस के चलते फंस गए हैं. ऐसे छात्रों के लिए अब संस्थान नए सिरे से प्लेसमेंट की तैयारी कर रहे हैं.

ऐसी परिस्थिति से बचने और छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए ऑल आईआईटी प्लेसमेंट कमिटी ने अब स्टार्ट-अप कंपनियों के कैंपस इंटरव्यू के लिए आने की स्थिति में अपने धन के स्त्रोत और बैलेंस शीट का खुलासा करना अनिवार्य बना दिया है. कमिटी के संयोजक कौस्तुभ मोहंती बताते हैं, ‘कई ऐसी कंपनियां भी आती हैं जिनमें महज चार कर्मचारी हैं, लेकिन वे 20-20 लाख की नौकरियों का ऑफर देती हैं. यह बात गले से नीचे नहीं उतरती.' आईआईटी की कमिटी स्टार्ट-अप कंपनियों में प्लेसमेंट की अपनी नई रणनीति तय करेगी.