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गत्ते का घरोंदा

मार्टिन रीबे/आईबी१४ मई २०१५

राहतशिविरों में रह रहे शरणार्थी अधिकतर टेंटों में रहने पर मजबूर होते हैं. जर्मनी की एक टीम अब लोगों को इन टेंटों से मुक्ति दिला कर गत्तों के घर दिलवाने पर काम कर रही है.

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Symbolbild Eigenheim Haus Hand
तस्वीर: Fotolia/drubig-photo

युद्ध, हिंसा और शोषण के कारण दुनिया भर में पांच करोड़ लोग बेघर हैं. कई लोगों को प्राकृतिक आपदाओं के चलते अपना घर छोड़ना पड़ता है. ऐसे में वे कैम्पों में जीने पर मजबूर होते हैं. कई कई लोगों को एक ही टेंट में शरण लेनी पड़ती है. जर्मनी की डार्मस्टाट यूनिवर्सिटी के आरिएल आउसलेंडर इस तरह के चित्रों से बहुत प्रभावित हुए और दो साल पहले उन्होंने एक ऐसा घर बनाने की ठानी जिसे जब चाहें मोड़ कर अलग रखा जा सकता है. इस काम में सहकर्मियों और छात्रों ने उनका साथ दिया. उन्होंने कागज का घरोंदा तैयार किया. एक ऐसा घर जिसे खड़ा करने के लिए किसी उपकरण की जरुरत नहीं और जो हर आपदा में काम आ सके. अपने प्रोजेक्ट के बारे में वे बताते हैं, "हम इसके जरिए मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों को स्थिरता और शांति का भाव देना चाहते हैं. हमें लगता है कि इस तरह की स्थिति में यह बहुत जरूरी होता है. हम परिवार को फिर से एक साथ लाने की कोशिश कर सकते हैं. अगर हम दो घर जोड़ दें तो एक बड़ा परिवार मिल कर वहां रह सकता है. हम लोगों को उनकी रोजमर्रा की जिंदगी के करीब ला सकते हैं, उन्हें वो दे सकते हैं, जो उन्होंने खो दिया है."

बच्चों का खेल

घर को खड़ा करना बच्चों के खेल जितना आसान है. चार लोग मिल कर गत्ते की दीवारों को खींचते हैं. ये करीब छह मीटर ऊंची हैं. किसी ग्रीटिंग कार्ड की तरह घर खुल कर खड़ा हो जाता है. अंदर की ओर बनी दीवारें घर को स्थिरता देती हैं. इन दीवारों में से ही कई रैक भी निकल आते हैं, जो फर्नीचर का काम करते हैं. दरवाजे और खिड़कियों को पकड़ कर बंद किया जा सकता है. रिसर्च टीम अब बाकी के फर्नीचर पर काम कर रही है. जाहिर है वह भी गत्ते का ही बना होगा. घर में दो बेंच और एक बिस्तर लगाने की योजना है.

लेकिन गत्ता पानी को सोखता है. रिसर्च टीम के लिए यह एक बड़ी समस्या थी. गत्ते में ऐसे छोटे छोटे छिद्र होते हैं जिन पर अगर काम जाए तो वे पानी को अपने अंदर खींच लेते हैं. लेकिन इसका समाधान भी है. गत्ते के ऊपर बायोसिंथेटिक की एक बेहद पतली परत लगाई जाती है. टीम के मार्कस बीजाल्स्की बताते हैं, "हमने इसके ऊपर बायोसिंथेटिक की एक परत लगाई है. और अगर हम इस पर पानी डालें, तो यह सतह से ही अलग हो जाता है, जबकि यह परत सिर्फ कुछ हजार मिलीमीटर की ही है. आप इस पर कई घंटे पानी चलता रहने दे सकते हैं, गत्ता गीला नहीं होगा."

गत्ते के ये चौकोर घर स्थिर भी हैं और खराब मौसम में भी आश्रय देते हैं. इन घरों में रहने वाले अपना दर्द तो नहीं भुला सकते लेकिन काफी हद तक साधारण जीवन व्यतीत कर सकते हैं.