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काई उड़ाएगी जहाज

१७ जून २०१६

इस बात की चिंता लगातार बनी हुई है कि वायुयानों में कार्बन उत्सर्जन को कैसे कम किया जाए. ऐसे में वैज्ञानिक काई से हवाई जहाज उड़ाने की सोच रहे हैं.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Rahman

कुछ वैज्ञानिक जर्मनी में म्यूनिख शहर के पास ही ऑटोब्रुन में मौजूद एयरबस साइट पर एक बड़े खुले टैंक में काई उगाने में मशगूल हैं. म्यूनिख टेक्निकल यूनिवर्सिटी की इस परियोजना में बायोईंधन के लिए यह काई उपजाई जा रही है. योजना है इस काई से बायोईंधन तैयार करने की जिससे हवाई जहाज उड़ाया जा सके. हालांकि व्यापारिक स्तर पर इसके उत्पादन की बात अभी दूर है लेकिन इस तरीके से बहुत उम्मीदें लगाई जा रही हैं.

म्यूनिख टेक्निकल इंस्टिट्यूट में इंडस्ट्रियल बायोकैटेलिसिस के एसोसिएट प्रोफेसर थोमास ब्रुएक बताते हैं कि 2050 तक कृषि क्षेत्र से पैदा हुआ बायो ईंधन इस्तेमाल होने वाले जेट ईंधन में 3 से लेकर 5 प्रतिशत तक का योगदान देने लगेगा.

Polen Wald von Bialowieza
आसानी से उगती है काईतस्वीर: Getty Images/AFP/J. Skarzysnki

हालांकि विमानन जैव ईंधन के लिए पहले से ही दूसरी फसलों का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन महंगा होने के चलते कुछ ही एयरलाइंस मसलन लुफ्थांसा और केएलएम ही प्रयोग के बतौर इनका इस्तेमाल कर रहे हैं.

मिट्टी में पैदा होने वाले पौधों के बजाए काई 12 गुना तेजी से पैदा होती है और उससे सफेद सरसों की तुलना में 30 गुना अधिक तेल निकलता है. ऐसे में दूसरी फसलों के बजाए वैज्ञानिकों का ध्यान काई पैदा करने पर है.

ब्रुएक कहते हैं, ''अभी इस्तेमाल होने वाले कैरोसिन के 100 फीसद विकल्प के तौर पर हम केवल अकेले काई का प्रयोग नहीं करेंगे. हमें इसके लिए एक साथ कई अलग अलग तकनीकें अपनानी होंगी.''

इस तकनीक पर एक करोड़ यूरो से अधिक खर्च किया गया है. यह अभी अपनी शुरुआत में है और य​ह एयरलाइनों के लिए इसे अपनाना आर्थिक रूप से संभव नहीं है. लेकिन इस प्रयोग को कर रही विमान निर्माता कंपनी एयरबस के प्रवक्ता का कहना है, ''लेकिन हम जानते हैं कि कुछ समय बाद हम काई से बना कैरोसिन सही कीमत पर दे पाने में कामयाब हो जाएंगे.''

यूनिवर्सिटी के इस प्रयोग को यूरोपीय एरोस्पेस संघ की ओर से भी कुछ वित्तीय मदद मिली है.

आरजे/ओएसजे (रायटर्स)