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कामोत्तेजना बढ़ाएगी सिलोन चाय

१६ मई २०१३

चाय की एक प्याली आराम और सुकून की सबब होती है लेकिन श्रीलंका अब अपनी चाय को कामोत्तेजना बढ़ाने वाली बनाना चाहता है. सिलोन चाय दुनिया भर में मशहूर है.

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तस्वीर: Fotolia/gaai

श्रीलंका का चाय उद्योग सिलोन चाय की कामोत्तेजना बढ़ाने वाले गुण को सामने लाना चाहता है और चाय के बारे में नजरिया बिलकुल बदल देना चाहता है. उत्पादकों का कहना है कि कहीं कहीं चाय पानी से भी सस्ती है. हालांकि एचवीए फूड्स कंपनी के रोहन फर्नांडो बेहतरीन क्वालिटी की सिलोन चाय के 60 ग्राम का मर्तबान 350 डॉलर (करीब 20,000 रुपये) में बेचते हैं. वह बताते हैं, "हम चाय के और गुण सामने ला रहे हैं. एक चाय जो बेडरूम में आपकी मदद करेगी. चाय सामान्य तौर पर गरीब आदमी का पेय मानी जाती है, हम इसे सप्लाई चेन में सबसे ऊपर पहुंचाना चाहते हैं."

चाय उद्योग के पास हालांकि अभी इस बात का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि यह यौन उत्तेजना पैदा करता है. लेकिन श्रीलंका के चाय प्रेमी लंबे समय से ऐसा मानते हैं.

सफेद चाय का कमाल

सर्वश्रेष्ठ क्वालिटी वाली व्हाइट टी यानी सफेद चाय कामोत्तेजक मानी जाने वाली समझी जाती है, जिन्हें सिल्वर और गोल्डन टिप्स के नाम से जाना जाता है. ये चीनी व्यापारियों के अलावा सऊदी अरब और जापान के अमीरों में काफी लोकप्रिय है.

पारंपरिक चाय के विपरीत सफेद चाय कोमल पत्तियों से बनाई जाती हैं. इन्हें तब तक सूर्य की रोशनी में सुखाया जाता है, जब तक ये रुपहले या सुनहरे रंग के नहीं हो जाते.

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दक्षिण पूर्वी एशिया में चाय दीवानगी कम नहींतस्वीर: STR/AFP/Getty Images

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के करीब ही कोंडाना शहर है, जहां फर्नांडो की चाय फैक्ट्री है. यहां वह चीनी मिट्टी की एक केतली दिखाते हैं जो काले वेलवेट में लिपटी है और जिसे सुनहरे रिबन से सील किया गया है. वह बताते हैं कि एक चाय की प्याली सिर्फ यौन स्वास्थ्य के लिए ही अच्छी नहीं, बल्कि इसमें पोलिफेनोल्स, फ्लेवोनॉइड्स और एंटी ऑक्सीडेंट भी होते हैं जो रक्त संचार और शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.

वर्जिन टी

श्रीलंका के अग्रणी चाय निर्माता हेरमन गुणारत्ने भी इन गुणों को अपनी व्हाइट वर्जिन टी में पेश करना चाहते हैं. वह इसे वर्जिन कहते हैं क्योंकि उत्पादन के दौरान इन्हें दूसरी चाय की पत्तियों की तरह हाथों से नहीं तोड़ा जाता. फ्रांस के मैरिएट फ्रेरेस टी इंपोरियम में इसकी 20 ग्राम की डिब्बी 88 डॉलर बिकती है. यानी 4400 डॉलर (लगभग ढाई लाख रुपये) प्रति किलो.

गुणारत्ने बताते हैं, "मेरी वर्जिन टी में लगभग 10 फीसदी एंटी ऑक्सीडेंट हैं, जो किसी भी चाय की तुलना में सबसे ज्यादा है. अगर आपका सेहत अच्छा है तो आपका यौन जीवन भी बेहतर ही होगा."

श्रीलंका के लोग पहले चाय नहीं उगाते थे. ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान स्कॉटलैंड के जेम्स टेलर ने पहली बार 1843 में यहां चाय उगाई. उस वक्त ब्रिटिश श्रीलंका को सिलोन कहते थे. इसके बाद चाय श्रीलंका का प्रमुख निर्यात उत्पाद बन गया. सिलोन चाय इतनी मशहूर हुई कि 1972 में देश का नाम बदल कर श्रीलंका कर दिया गया लेकिन यहां की चाय अब भी सिलोन टी के ब्रांड से मशहूर है.

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तस्वीर: Fotolia/M. Wischnewski

सेक्सी सिलोन टी

श्रीलंका में दुनिया की सबसे बड़ी चाय नीलामी भी होती है. यहां 50 से 60 लाख किलो चाय नीलाम की जाती है. देश ने पिछले साल 32 करोड़ किलो चाय निर्यात की थी.

गुणारत्ने चाहते हैं कि श्रीलंका की छवि साफ चाय बनाने वाले की हो. एक ऐसा उत्पाद जिसमें कोई खाद न हो या दूसरे प्रदूषण भी न हों, "हमें चाय को नई पहचान देने की जरूरत है. हम चाय से अपनी आय बहुत बढ़ा सकते हैं."

श्रीलंका का चाय बोर्ड बड़ी अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग करना चाहता है. यह चाय को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक दिखाना चाहता है. फिलहाल सिर्फ 42-43 फीसदी सिलोन चाय का निर्यात किया जाता है. इन्हें आम तौर पर तीन तीन किलो के पैकेट में पैक किया जाता है. लक्ष्य है इसे 60 फीसदी करना.

एएम/एजेए (एएफपी)

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