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कार्बन टैक्स के विरोध में भारत भी, ईयू की मुश्किलें बढ़ी

२४ फ़रवरी २०१२

युरोपीय संघ के कार्बन उत्सर्जन टैक्स का भारत ने भी कड़ा विरोध शुरू कर दिया है. भारत ने साफ कहा है कि प्रदूषण के नाम पर जिस तरह से यह टैक्स थोपा गया है वह कतई मंजूर नहीं है.

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तस्वीर: cc-by-sa/Juerg Vollmer/maiak.info

चीन, अमेरिका और रूस सहित 21 दूसरे देशों ने भी कार्बन उत्सर्जन टैक्स का विरोध करते हुए इसे चुकाने में असहमति दिखाई है. चीन ने तो अपनी एयरलाईन कंपनियों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि यदि उन्होंने टैक्स चुकाया तो कड़े कानूनों का सामना करना पड़ेगा.

यूरोपीय संघ ने साल 2005 में अपने यहां एमिशन ट्रेडिंग स्कीम (ईटीएस) लागू की थी. इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में कमी लाना था. यूरोपीय संघ के अनुसार कार्बन उत्सर्जन में तीन प्रतिशत भागीदारी विमानों से फैलने वाले प्रदूषण की है. इसे रोकने के लिए संघ ने यूरोप के हवाई अड्डों का इस्तेमाल करने और वहां के आकाश से गुजरने वाले विमानों पर कार्बन उत्सर्जन टैक्स लगाने की घोषणा की थी. संघ ने तर्क दिया था कि एयरलाइन कंपनियां टिकट पर कर लगा कर इस खर्च की भरपाई कर सकते हैं.

एलान के बाद से ही युरोपीय संघ के इस कदम का विरोध शुरू हो गया था. चीन ने यह कहते हुए सबसे पहले इसका विरोध किया कि इससे उसके विमानन उद्योग को सालाना 12 करोड़ डालर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ेगा. चीन ने यह चेतावनी भी दी है कि यूरोपीय संघ के इस कदम से विमानन उद्योग में नई जंग छिड़ जाएगी.

Flugzeuge von Air China in Beijing
तस्वीर: REUTERS

भारत भी एकतरफा कर के विरोध में

यूरोपीय संघ की ओर से एकतरफा कर लगाए जाने का भारत ने भी कड़ा विरोध किया है. भारत की वन और पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने कहा कि " पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के नाम पर हवाई जहाजों पर लगाए जाने वाले एक तरफा कर का हम विरोध करते हैं." भारत, रूस और चीन ने यूरोपीय संघ के इस कर को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया है.

बुधवार को मास्को में हुई बैठक में भारत, चीन, रूस, ब्राजील अमेरिका सहित 21 देशों ने एक स्वर में इस टैक्स के विरोध का ऐलान कर दिया. बैठक में यह भी तय किया गया कि यूरोपीय संघ अगर यह कर थोपता है तो यूरोप से आने वाली उड़ानों पर भी अतिरिक्त कर लगाया जाएगा. इसका खमियाजा हवाई यात्रियों को भुगतना होगा. उन्हें महंगी हवाई यात्रा के साथ ही उड़ानों की कमी का भी सामना करना पड़ेगा. उधर यूरोपीय संघ को साल 2013 में डेढ़ अरब यूरो की अतिरिक्त आमदनी होगी. आने वाले सालों में इसमें तेजी से इजाफा भी होगा. बैठक में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय विमानन समझौते की परवाह किए बिना ही यूरोपीय संघ ने कर थोपने का जिद्दी निर्णय लिया है.

संभावना जताई जा रही है कि चीन की तरह ही भारत भी अपनी सरकारी कंपनी इंडियन एयरलाईंस को कर नहीं चुकाने के लिए कह सकता है. ब्राजील और रूस भी इसी तरह के कड़े कदम उठा सकते हैं.

अगर भारत इन उपायों को लागू कर देता है तो यूरोप से भारत आने वाले और भारत से यूरोप जाने वाले यात्रियों को अतिरिक्त कर चुकाना पड़ सकता है. बैठक में यह फैसला भी किया गया कि यूरोपीय संघ के इस फैसले को शिकागो समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय मंच के सामने उठाया जाए.

रिपोर्टः पीटीआई, एपी, एएफपी / जितेन्द्र व्यास

संपादनः एन रंजन

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