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कार्बन लेवी से जमा पैसा वापस चाहते हैं लोग

५ फ़रवरी २०१९

ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम लगाने के लिए कई देशों में कार्बन लेवी लगाई जा रही हैं. लेकिन लोग इस नए टैक्स को मानने के बदले लेवी से जमा राजस्व की वापसी और उसका इस्तेमाल स्वच्छ ऊर्जा के प्रोत्साहन के लिए चाहते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Rumpenhorst

दक्षिणी फ्रांस में स्पेनिश सीमा के पास एक ग्रामीण घाटी में रहने वाली ओडेसा रोएट्ग का काम मुश्किल है. वे कोशिश कर रही हैं कि लोग अपनी गाड़ी छोड़ पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का अधिक उपयोग करें. युवा अधिकारी ने बताया कि दस कम्यूनों वाले शहर सेरे ने दिसंबर में नई जलवायु परिवर्तन योजना बनाई है, जिसमें सार्वजनिक बस सेवा को बेहतर बनाने और लोगों को कार पूल करने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही गई है. प्रशासन अपने कुछ कामों के लिए भी इलेक्ट्रिक बाइक और वाहनों का उपयोग करता है.

मगर फ्रांस के इस कम विकसित इलाके में, जहां आने जाने के बहुत ज्यादा साधन नहीं हैं, लोगों का येलो वेस्ट आंदोलन को समर्थन देना रोएट्ग को समझ में आता है. उनका कहना है, "लोगों को थोड़ा गुस्सा आता है जब सरकार उनसे पर्यावरण और टिकाऊ विकास की बात करती है क्योंकि इसके लिए ज्यादा टैक्स देना पड़ता है और चीजे महंगी हो जाती हैं जबकि वे सस्ती होनी चाहिए."

पोलैंड में दिसंबर में वार्षिक यूएन जलवायु सम्मेलन के लिए जमा आधिकारी येलो वेस्ट आंदोलन की वजह से चिंतित थे. उनमें से कुछ सामाजिक असंतोष उकसाए बिना धरती को गर्म करने वाले उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के कदमों की तलाश में थे. वाशिंगटन स्थित विश्व संसाधन संस्थान की सहयोगी मैथिल्डे बौये का कहना है कि ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी की फ्रांस की विफल कोशिश की घोषणा रईसों के करों में कटौती के साथ हुई थी. "ये गरीब परिवारों के लिए आखिरी तिनका था. ये बराबरी की बात है. कार्बन मूल्य निर्धारण के खिलाफ कोई नहीं है."

Frankreich | Protestmarsch gegen Klimawandel in Paris
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Tucat

लेकिन लोग बढ़ते खर्च का बोझ नहीं उठाना चाहते हैं क्योंकि उनको लगता है कि बड़ी बड़ी कंपनियों को भी बोझ उठाना चाहिए. मैथिल्डे बौये ने कहा कि येलो वेस्ट आंदोलन ने शिपिंग और विमानों पर ज्यादा टैक्स लगाने की बात कही है. दूसरी समस्या ये थी कि तेल के दामों को बढाने की वजह से मिलने वाला धन सरकार के बजट में जा रहा था, उसे लोगों के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने वाले प्रोजेक्ट में लगाने की योजना नहीं थी. सामाजिक असंतोष को देखते हुए फ्रांस में ग्रैंड डिबेट नाम का देशव्यापी अभियान शुरु किया गया हैं. इसमें चार मुद्दों पर चर्चा होगी जिसमें "पर्यावरण संक्रमण" और कराधान शामिल है. जनता आपने विचार ऑनलाइन या नगर निगम की बैठकों में दे सकती है. 

खराब संचार

कार्बन मूल्य निर्धारण पर विश्व बैंक गाइड के प्रमुख लेखक जॉर्ज मार्शल का कहना है कि लोगों से यदि जीवाश्म इंधन के लिए ज्यादा घन लेना है तो उनसे बात करना जरुरी है, और ये अक्सर नहीं किया जाता. मार्शल यूके स्थित क्लाइमेट आउटरीच के संस्थापक हैं. ये संगठन जलवायु परिवर्तन से जुड़े संचार को बेहतर बनाने के लिए काम करता है. "हम खराब तरीके से बनाई हुई नीति को नहीं बेच सकते." ग्रैंड डिबेट में सबसे ज्यादा लोगों ने वायु प्रदूषण की बात की है जिसको कम करने से उत्सर्जन भी कम किया जा सकता है.

Irland Dublin Kinder-Demo für das Klima
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Widak

मार्शल का कहना है, "लोगों को सबसे पहले फायदे की बात बतानी चाहिए. कार्बन लेवी से जो पैसा आएगा उसका क्या इस्तेमाल होगा ये बताकर लोगों का समर्थन पाया जा सकता है." कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में लोगों से जो पैसा कार्बन टैक्स के रुप में वसूला जाता है उसे जलवायु एक्शन टैक्स क्रेडिट के रुप मे वापस दिया जाता है. अमेरिका में भी संसद में दोनों पार्टियों के सांसदों ने जीवाश्म इंधन पर टैक्स का विधेयक पेश किया है. बदले में अमेरिकी नागरिकों को हर महीने कार्बन लाभांश दिया जाएगा.

जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी और ओस्लो स्थित CICERO सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट रिसर्च ने 2017 में पांच देशों में 5,000 लोग से पूछा कि काल्पनिक वैश्विक कार्बन टैक्स का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए. ये लोग ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और भारत के थे. जिन तीन तरीकों को पांच देशों में 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले, वे हैं आयकर में कमी, नागरिकों के बीच राजस्व का बंटवारा और विश्व भर में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में धन का निवेश. नेचर पत्रिका में सर्वे के बारे में लिखते हुए रिसर्चरों ने बताया कि लोगों को राजस्व वापस देने का विकल्प सबसे ज्यादा पसंद आ रहा है.

एनआर1/एमजे (रॉयटर्स)

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