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किराये के कोख के नए नियम

१८ जनवरी २०१३

भारत ने किराये की कोख के इस्तेमाल पर नए नियम तय किए हैं. विदेशी समलैंगिक जोड़ों और अविवाहितों के बच्चा पाने के लिए किराये की कोख के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.

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तस्वीर: Sam Panthaky/AFP/Getty Images

बच्चे के लिए परायी औरत की कोख का व्यावसायिक कारोबार भारत में तेजी से फल फूल रहा है. हाल के दिनों में संतानहीन विदेशी जोड़ों में समलैंगिक युगलों और अकेले लोगों की तादाद भी बढ़ी है. ये सस्ते में संतान सुख पाना चाहते हैं. पिछले साल के अंत में भारतीय दूतावासों को भेजे गए नए नियमों में कहा गया है कि भारत में सरोगेसी समझौता करने वाले विदेशी जोड़ों को विवाहित पुरुष और महिला होना होगा. इसके अलावा उनका कम से कम दो साल से शादीशुदा होना भी जरूरी है.

भारतीय गृह मंत्रालय के निर्देश में कहा गया है कि वीजा के आवेदन में यह भी बताना होगा कि क्या इन जोड़ों का मुल्क सरोगेसी को मान्यता देता है. इसके अलावा उन्हें इस बात का आश्वासन देना होगा कि उनका देश भारतीय महिला के किराये के कोख से पैदा हुए बच्चे को देश में घुसने की अनुमति देगा या नहीं. हाल के दिनों में बहुत सी ऐसी घटना हुई है जिनमें इस तरह के बच्चे नागरिकता विवाद में उलझ कर रह गए हैं क्योंकि उनके माता-पिता के देश ने बच्चों के लिए पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया.

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तस्वीर: AP

गृह मंत्रालय ने सरोगेसी के नए नियम अपने वेबसाइट पर डाले हैं. उसमें कहा गया है कि विदेशी जोड़ों को अब सामान्य टूरिस्ट वीजा के बदले मेडिकल वीजा लेना होगा. विदेशों में भारतीय कंसुलेटों के वेबसाइट पर कहा गया है कि किसी भी दूसरे वीजा के तहत सरोगेसी समझौता करना भारतीय कानून के अनुसार दंडनीय होगा. किराये की कोख से संबंधित नियमों में बदलाव का प्रचार नहीं किया गया है. वे भारतीय मीडिया में छपी रिपोर्टों की वजह से प्रकाश में आए हैं. नियमों में संशोधन पिछले साल ही कर दिया गया था.

भारत आम तौर पर कंजरवेटिव देश है और वहां दो साल पहले ही समलैंगिक जोड़ों के बीच राजीनामे से हुए सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर निकाला गया है, लेकिन हाल के वर्षों में संतान चाहने वाले समलैंगिक जोड़ों के लिए वह महत्वपूर्ण लक्ष्य बन गया है. सरोगेसी उद्योग के नियमन के लिए संसद ने अभी तक कोई कानून पास नहीं किया है. आलोचकों का कहना है कि कोई कानून नहीं होने की वजह से युवा और गरीब भारतीय महिलाओं का किराये की कोख के लिए शोषण को बढ़ रहा है.

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तस्वीर: AP

भारत के विपरीत पश्चिमी देशों में बच्चे को गोद लेने के नियमों का आसान बनाया जा रहा है. अब समलैंगिक जोड़ों को भी बच्चा गोद लेने की छूट मिल रही है. इसके प्रमुख उदाहरणों में 65 वर्षीय ब्रिटिश पॉप स्टार एल्टन जॉन और उनके 50 वर्षीय पार्टनर डेविड फरनिश हैं जो दूसरी बार पिता बने हैं. उनकी दूसरी संतान का जन्म शुक्रवार को लॉल एंजेलिस में सरोगेट मां के गर्भ से हुआ. 2010 में उनके पहले बेटे का जन्म भी कैलिफोर्निया में किराये की कोख से ही हुआ था. जॉन और फरनिश बीस साल से साथ हैं और 2005 से सिविल पार्टनरशिप में हैं.

जर्मनी में सरोगेट मातृत्व पर प्रतिबंध है. 2011 में एक जर्मन अदालत ने फैसला सुनाया था कि भारत में किराये की कोख से पैदा हुए बच्चे को जर्मन बाप होने के बावजूद नागरिकता का अधिकार नहीं है. हालांकि भारत में सरोगेसी पर रोक नहीं है, लेकिन जर्मन और भारतीय कानून के अनुसार मां का पति ही बच्चे का कानूनी पिता होता है.

एमजे/ओएसजे (एएफपी)

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