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जर्मनी पर सिविल मुकदमा

२० मार्च २०१३

बॉन की प्रांतीय अदालत में बुधवार को जर्मन सरकार के खिलाफ एक सिविल मुकदमा शुरू हो रहा है. अफगानिस्तान के कुंदूस में दो टैंकरों पर हुए हवाई हमले में मारे गए लोगों के रिश्तेदार मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

मोहम्मद अग्बद अपने छोटे से गांव में अकेला था जो पढ़ लिख सकता था. वह रोज दो किलोमीटर दूर पड़ोस के गांव के स्कूल जाता था. शाम को 12 साल अग्बद अक्सर मस्जिद के सामने के पेड़ पर बैठता और पाकिस्तान या ईरान में रहने वाले रिश्तेदारों के लिए गांव वालों की तरफ से चिट्ठियां लिखता. 3 सितंबर 2009 की रात मोहम्मद अपने गांव के पास सूखी नदी की ओर गया जहां दो टैंकर फंसे हुए थे.

शायद वह अपने परिवार वालों के लिए मुफ्त का तेल लाना चाहता था. या फिर कौतूहल की वजह से वह उत्सुक था और उन बड़े टैंकरों को देखना चाहता था जो रात में उसके गांव के निकट नदी की मिट्टी में फंस गए थे. 4 सितंबर के सुबह दो बजे वहां पर बमबारी हुई. मोहम्मद की बमबारी में मौत हो गई. तालिबान के कब्जे वाले टैंकरों पर हवाई हमला नाटो के लड़ाकू विमानों ने किया.

बॉन की अदालत में मुकदमा

हमले का आदेश जर्मनी के कर्नल गियोर्ग क्लाइन ने दिया था. उसमें 91 से 141 लोग मारे गए. आंकड़ें इस बात पर निर्भर करते हैं कि सवाल पीड़ितों के वकील करीम पोपल से पूछा जाता है या जर्मनी के रक्षा मंत्रालय से. तालिबान के लड़ाकों ने 3 सितंबर की दोपहर को एक जाली चेकपोस्ट पर टैंकरों पर कब्जा कर लिया था और एक ड्राइवर को मार डाला था. नाटो के अमेरिकी विमानों ने तब कार्रवाई की जब जर्मन कमान ने इलाके में दुश्मन से मुठभेड़ की सूचना दी थी, हालांकि कार्रवाई के समय नाटो का कोई सैनिक टैंकर के पास नहीं था.

यह भी साफ नहीं है कि क्या जर्मन अधिकारियों ने हवाई तस्वीरों में टैंकर के पास ढेर सारे लोगों को देखा था. लेकिन यह कहा गया था कि वहां कुछेक खोजे जा रहे तालिबान लड़ाके थे. तय है कि अमेरिकी विमानों ने रात 1 बजकर 49 मिनट पर टैंकरों पर दो बम फेंके जिसमें बहुत सारे लोग मारे गए. बुधवार को बॉन में शुरू हो रहे मुकदमे में हमले में मारे गए लोगों के दो रिश्तेदार जर्मन सरकार के खिलाफ पेश होंगे. पोपल 137 मृतकों के लिए 20,000 से 75,000 यूरो के मुआवजे की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि कर्नल क्लाइन ने लोगों को जानबूझकर मरवाया. रक्षा मंत्रालय के वकील मार्क सिम्मर मुकदमे को खारिज करने की मांग कर रहे हैं.

जिम्मेदारी का मुद्दा

मुकदमे में 79 लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे पोपल का कहना है कि सबसे ज्यादा बच्चे और किशोर मारे गए जो जिज्ञासा की वजह से टैंकर देखने गए थे. पोपल त्रासदी के लिए कर्नल क्लाइन को जिम्मेदार मानते हैं. उनके खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया है, लेकिन
इसके खिलाफ अपील दायर की गई है. पोपल का कहना है, "कर्नल क्लाइन ने गलत कार्रवाई की. उन्होंने खुद फैसला लिया और उन्होंने असैनिक लोगों को देखा." पोपल का कहना है कि वे जरूरत पड़ने पर यूरोपीय मानवाधिकार अदालत तक जाएंगे.

पोपल का कहना है कि कर्नल क्लाइन ने जर्मन सरकार की ओर से कार्रवाई की, इसलिए जर्मन सरकार को मुआवजा देना होगा. रक्षा मंत्रालय के वकील मार्क सिम्मर इससे इनकार करते हैं. उनका कहना है, "कर्नल क्लाइन नाटो की संरचना का हिस्सा थे. इसलिए उनके अधिकारी भी नाटो के थे." सिम्मर के अनुसार इस मुकदमे में जर्मन सरकार को प्रतिवादी बनाना गलत है. पोपल पद की जिम्मेदारी के कानून का सहारा ले रहे हैं लेकिन सिम्मर का कहना है कि घटना युद्धक्षेक्ष में हुई है, इसलिए यह कानून लागू नहीं हो सकता. अदालत को इसका फैसला करना होगा.

वरवारिन का पुल

कुंदूस मुकदमा जस्टिस हाइंस सोनेनबर्गर की अदालत में चलेगा. वे 2003 में भी इस तरह के एक मुकदमे की सुनवाई कर चुके हैं. कोसोवो विवाद के अंतिम दिनों में सर्बिया के वरवारिन इलाके में एक पुल पर हुए नाटो के एक हमले में 10 लोग मारे गए थे, 17 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. सर्बिया के 35 लोगों ने 5,000 से 1,00,000 यूरो के मुआवजे का मुकदमा किया था. जस्टिस सोनेनबर्गर ने मुकदमे को खारिज कर दिया था. उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि न तो अंतरराष्ट्रीय कानून में और न ही जर्मन कानून में ऐसा कोई प्रावधान है कि एकल आदमी किसी सरकार पर युद्ध के नतीजों की जिम्मेदारी के लिए मुकदमा कर सके.

बुधवार को कुंदूस मामले की सुनवाई शुरू होगी. पहले दिन दोनों पक्ष अदालत के सामने अपनी अपनी बात रखेंगे. जस्टिस सोनेनबर्गर इस संभावना पर विचार करेंगे कि क्या अदालत के बाहर सहमति संभव है. यदि ऐसा नहीं होता है तो सुनवाई की अगली तारीख तय होगी. यह देखने के लिए कि क्या सोनेनबर्गर वरवारिन जैसा फैसला ही सुनाते हैं, कुछ दिन इंतजार करना होगा.

रिपोर्ट: कार्ला क्रिस्टीना ब्लाइकर/एमजे

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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