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कुरुप बना सकते हैं अनुभवहीन ब्यूटीशियन

७ जून २०१५

अनुभवहीन सौंदर्य विशेषज्ञों द्वारा चलाए जा रहे ब्यूटी पार्लरों के तौर तरीकों से ग्राहकों को स्वास्थ्य संबंधी दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. महिलाओं की तरह पुरुष भी आकर्षण बढ़ाने के लिए उनकी शरण में जाने लगे हैं.

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तस्वीर: Fotolia/VILevi

पिछले दो दशक से महिलाओं को सुंदर व जवान दिखने तथा बढ़ती उम्र के लक्षणों को छिपाने की चाहत को प्रत्येक गली, मुहल्ले में खुले ब्यूटी पार्लरों के माध्यम से भुनाया जा रहा है. वहीं पिछले एक दशक से पुरुषों की इसी चाहत को भुनाने के लिए जगह जगह खुले ब्यूटी पार्लरों के जरिए उनकी जेबों को खंगाला जा रहा है. पुरुष ब्यूटी पार्लरों में भी महिला ब्यूटी पार्लर की तरह थ्रेडिंग, फेशियल, मसाज, मैनिक्योर, पैडिक्योर, वैक्सिंग, ब्लीचिंग, स्किन थेरैपी, हेयर डाई व हेयर कटिंग की जाती है.

हेयर कटिंग सैलून से ब्यूटी पार्लरों में बदल चुकी सौंदर्य की दुकानें व्यावसायिक दृष्टि से फल फूल रही हैं लेकिन इनमें काम करने वालों की जिंदगी में कोई खास असर नहीं आया है. ज्यादातर पार्लरों में प्रशिक्षण प्राप्त, योग्य व कुशल विशेषज्ञों की कमी है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ब्यूटी पार्लरों में प्रयुक्त प्रसाधन जैसे हेयर डाई कई रसायनों से बने होते हैं, जो क्रियाशील कार्बनिक यौगिक होते हैं. इन रसायनों की अत्यधिक मात्रा से कई प्रकार के रोगों का शिकार होना पड़ सकता है. धन के लालच में सस्ते प्रसाधनों के इस्तेमाल से चेहरा सुंदर बनने की बजाय कुरुप बन सकता है और शरीर पर भी इसका प्रतिकूल असर हो सकता है.

नीम हकीम खतरा ए जान

एक्सपर्ट ब्यूटीशियन नामक किताब की लेखिका व सौंदर्य विशेषज्ञ उमा दीपक का कहना है कि जिस प्रकार कोई नौसिखिया व नीम हकीम डॉक्टर मरीज को मौत के मुंह में ले जा सकता है, उसी प्रकार अकुशल ब्यूटीशियन भी चेहरे के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं. उच्च वर्ग तथा मध्यम उच्च वर्ग के परिवार ऐसे पार्लरों के प्रमुख ग्राहकों में हैं. ज्यादातर सैलूनों को चलाने वालों ने बताया कि उनके ग्राहकों में 35 साल से कम उम्र के 60 प्रतिशत, 36 साल से 50 साल के 30 प्रतिशत तथा 51 साल से ऊपर की उम्र के लोग दस प्रतिशत हैं.

कई देशों में ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति आवश्यक है. चिकित्सा की भांति यह व्यवसाय भी स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है और ब्यूटी पार्लर खोलने पर नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जाता है. लेकिन भारत में अभी कोई बाध्यता नहीं है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ब्यूटी पार्लर खोलने की अनुमति उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जिन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया हो तथा सभी प्रसाधनों तथा उपचार में प्रयोग की जाने वाली औषधियों के प्रयोग करने की जानकारी तथा प्राथमिक उपचार के बारे में अनुभव प्राप्त हो.

गर्भावस्था में हेयर डाई नहीं

प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ आरएल शाह का कहना है कि बगैर जांच किए हेयर डाई का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए घातक भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि हेयर डाई बनाने में अमीनो नाइट्रोफिनाल मेटा, पैरा फिनाइलिन डाई अमीन तथा मेटा टाल्पीन डाई अमीन जैसे क्रियाशील यौगिकों का प्रयोग किया जाता है, जो रक्त में पहुंचकर विभिन्न प्रकार के चर्म रोग या अन्य रोग पैदा कर सकते हैं. भौहों पर इनका प्रयोग आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है. इसी प्रकार ब्लीचिंग में रसायनिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है. रसायन अधिक लग जाने या त्वचा के अधिक संवेदनशील होने की दशा में चर्मरोग हो सकते हैं तथा इसी प्रकार फेस पैक या अंडे के इस्तेमाल के कारण एलर्जी हो सकती है. बहुत सी महिलाएं भी यह नहीं जानती कि गर्भावस्था के दौरान हेयर डाई के इस्तेमाल से भ्रूण पर असर पड़ सकता है.

इसी तरह वैक्सिंग में प्रयोग की जाने वाली वैक्स का तापमान अधिक होने से त्वचा जल सकती है जिसे दवाओं के इलाज से भी पुरानी स्थिति में नहीं लाया जा सकता है. थ्रेडिंग में असावधानी बरतने पर त्वचा के कट जाने पर घाव बन सकता है. इसका असर महीन रक्तवाहिनियों पर पड़ता है जिसमें रुकावट से आंखों पर असर पड़ सकता है. इन खतरों से बेखबर युवा वर्ग का आकर्षण पार्लरों की तरफ बढ़ता जा रहा है.

आईबी/एमजे (वार्ता)