केरी का कारोबारी दौरा
२५ जुलाई २०१४दक्षिण एशिया मामलों की अमेरिकी विदेश उप मंत्री निशा बिस्वाल का कहना है, "साल 2000 के मुकाबले हमारा ट्रेड पहले ही पांच गुना बढ़ गया है और अब यह 1000 अरब डॉलर सालाना तक पहुंच गया है." उनका कहना है कि आने वाले दिनों में इसे कई गुना और बढ़ाया जाएगा और बिजनेस में किसी तरह के मतभेद को बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया कि केरी अगले हफ्ते 31 जुलाई को भारत जा रहे हैं. वह पांचवें सालाना अमेरिका भारत रणनीतिक वार्ता में हिस्सा लेंगे. उनके साथ वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिस्कर भी होंगी. मंत्रालय की उप प्रवक्ता मेरी हार्फ का कहना है, "भारत में नई सरकार बनने के बाद यह अमेरिका की पहली कैबिनेट स्तर की यात्रा होगी. यह अमेरिका भारत के रिश्तों की अहमियत दिखाती है."
उन्होंने इशारा किया कि सबसे जरूरी बातों में भारत की बढ़ती बिजली जरूरतों को पूरा करने में उसकी मदद करना है. समझा जाता है कि इस दौरान दोनों देशों में कई समझौते होंगे. इस दौरान अमेरिकी अधिकारी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रिश्ते बेहतर करने की भी कोशिश करेंगे. गुजरात के 2002 दंगों की वजह से मोदी का अमेरिका ने एक तरह से बायकॉट कर रखा था और उन्हें वीजा तक नहीं दिया गया था. लेकिन अब उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका का नजरिया बदल चुका है.
मोदी को कारोबार का पैरोकार समझा जाता है और इस लिहाज से अमेरिका भारत पर खास नजर रख रहा है. अमेरिका के वाणिज्य उप मंत्री अरुण कुमार का कहना है, "भारत एक विशाल बाजार है लेकिन उसके साथ वाणिज्यिक संबंध अभी भी क्षमता से कम है. नई सरकार के साथ यह मौका है कि हम अपने द्विपक्षीय कारोबारी संबंध बेहतर करें. 2000 से 2013 के बीच कारोबार 19 अरब डॉलर से बढ़ कर 97 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और अभी काफी क्षमता बाकी है." हालांकि उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा संरक्षण जैसे मामलों में अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है.
एजेए/एमजी (एएफपी)