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कैलिफोर्निया के कर्मचारियों को जबरन छुट्टी

२९ जुलाई २०१०

आम लोगों के पास पैसा नहीं होता तो खाने में कटौती करती हैं, सरकारों के पास पैसा नहीं हो तो वे क्या करें? अमेरिकी प्रांत कैलिफोर्निया ने अपने कर्मचारियों को तीन दिन की जबरी छुट्टी पर भेजने का फैसला किया है.

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रिपब्लिकन गवर्नर श्वार्त्सेनेगरतस्वीर: AP

कैलिफोर्निया के गवर्नर आरनोल्ड श्वार्त्सेनेगर ने बुधवार को वित्तीय आपात स्थिति की घोषणा कर दी और अपने कर्मचारियों को बिना वेतन की छुट्टी पर जाने का आदेश दिया है. गवर्नर ने कहा है कि सरकार को दिवालिया होने से बचाने के लिए उन्हें अगस्त से हर महीने तीन दिन की जबरी छुट्टी लेनी पड़ेगी जिसके लिए उन्हें तनख्वाह नहीं मिलेगी.

मिस्टर यूनिवर्स और हॉलीवुड स्टार रहे श्वार्त्सनेगर ने एक बयान में कहा, "हमारी वित्तीय स्थिति मेरे लिए सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने के अलावा और कोई रास्ता नहीं छोड़ती, जब तक कि विधान सभा ऐसा बजट पास करे जिस पर मैं हस्ताक्षर कर सकूं."

इससे पहले पहली जुलाई से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए कैलिफोर्निया की विधान सभा बजट पर सहमत नहीं हो पाई. धन बचाओ अभियान के इस कड़े क़दम से प्रांत के 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी प्रभावित होंगे. सिर्फ यातायात पुलिस, दमकल कर्मचारियों और कर वसूली अधिकारियों को इससे बाहर रखा गया है. कैलिफोर्निया वित्तीय और आर्थिक संकट से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है.

श्वार्त्सेनेगर ने हाल ही में साढे 12 अरब डॉलर की बचत वाला एक बजट पेश किया है, जिसमें मुख्य रूप से सामाजिक खर्चों में भारी कटौती की गई है. नए बजट में कर बढ़ाने की कोई योजना नहीं है. बजट पास होने में पिछले साल की तरह काफी समय लगने की आशंका है. कैलिफोर्निया में लगभग हर साल बजट पर खींचतान और देरी होती है. पिछले साल भी कर्मचारियों को जबरी छुट्टी पर भेजा गया था.

प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि बजट पास करने की प्रक्रिया के लंबा खिंचने की वजह कैलिफोर्निया का संविधान है जिसमें बजट और कर में बढ़ोत्तरी का बिल पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की ज़रूरत होती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन