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कैसे दिए जाते हैं नोबेल पुरस्कार

१३ सितम्बर २०१३

गर्मियों में सैलानियों से भरा स्टॉकहोम. यहां आने वाला हर पर्यटक पुराने शहर के बीचों बीच बने नोबेल म्यूजियम तक जरूर जाता है. 19वीं शताब्दी में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत यहीं से हुई. जानिए कि विजेताओं का चयन कैसे होता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

डायनामाइट बनाने वाले मशहूर स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में 1901 में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई. इनकी परंपरा के बारे में गुस्ताव काल-श्ट्रैंड से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. नोबेल म्यूजियम के अधिकारी गुस्ताव कहते हैं, "आप अपनी लैब में पूरी जिंदगी कड़ी मेहनत करते हैं, और अंत में अगर आप वाकई भाग्यशाली हैं तो आपको नोबेल पुरस्कार मिल सकता है. कभी कभार कुछ लोगों को पुरस्कार दो बार भी मिला है, जैसे लाइनस पॉलिंग."

म्यूजियम में 800 से ज्यादा नोबेल विजेताओं की तस्वीरें हैं. कुछ विजेताओं की तो निशानियां भी यहां हैं. 2012 में केमिस्ट्री के नोबेल जीतने वालों के दस्तखत भी हैं यहां.

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कुर्सी पर नोबेल विजेताओं के दस्तखततस्वीर: AP

गलत जगह भी लगता है फोन

म्यूजियम से ही कुछ ही दूर उस जगह को भी देखना जरूरी है, जहां असली फैसले होते हैं. इस इमारत में हर साल अक्तूबर में रॉयल अकेडमी ऑफ साइंस भौतिकी और रसायन विज्ञान के विजेताओं का नाम तय करती है. गुस्ताव कहते हैं, "स्टेज में एक बॉक्स होता है और हर सदस्य वहां ऊपर जाकर अपना वोट देता है और नीचे आता है."

यहां वह टेलीफोन भी है जिससे विजेताओं को फोन कर बताया जाता है कि वो नोबेल हो चुके हैं. गलतियां इंसानी स्वभाव का हिस्सा हैं, नोबेल पुरस्कार भी इससे अछूता नहीं. यहां भी एक कभी कभार गलत लोगों को फोन लग जाते हैं. एक ऐसे ही किस्से का जिक्र करते हुए गुस्ताव कहते हैं, "ऐसा भी हो चुका है कि उनसे गलत फोन नंबर लगा, एक बार तो नोबेल विजेता के नाम वाले ही किसी दूसरे व्यक्ति को फोन लग गया. वह भौतिक विज्ञानी नहीं, एक ट्रक ड्राइवर था. उससे कहा कि वो नोबेल पुरस्कार जीत चुका है, उसने दुख के साथ इससे इनकार किया."

11.07.2013 DW Projekt Zukunft Nobel Museum
नोबेल म्यूजियमतस्वीर: DW

ऐसे होता है फैसला

चुनाव के बाद हॉल से विजेताओं का एलान किया जाता है. केमिस्ट्री के लिए नोबेल देने वाली समिति के चैयरमैन प्रोफेसर स्वेन लिडिन कहते हैं, "हम हमेशा एक राय से फैसला करते हैं. लेकिन एक राय तक पहुंचने में हमेशा गर्मागरम बहस तो होती ही है."

प्रोफेसर लिडिन की टीम नाम सुझाती है. उम्मीदवारों के चयन में कई विशेषज्ञ मदद करते हैं लेकिन लिस्ट फाइनल करने की जिम्मेदारी इन्हीं की समिति की है. इसके बाद और आखिरी फैसला अकादमी करती है. पुरस्कारों की अहमियत के बारे में प्रोफेसर लिडिन कहते हैं, "इससे कुछ दिनों तक कुछ वैज्ञानिकों को रॉक स्टार जैसी शोहरत मिलती है और इसकी वजह से समूचा विज्ञान सुर्खियों में आ जाता है. मुझे लगता है कि ये नोबेल पुरस्कार की अहम भूमिका है."

दिसंबर में विजेता वैज्ञानिकों को आधिकारिक रूप से स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में पुरस्कार सौंपे जाते हैं. फिलहाल सैलानियों से भरा सिटी हॉल दिसंबर में नोबेल पुरस्कार आयोजन में शरीक होने वाले एक हजार से ज्यादा मेहमानों से भर जाएगा. स्वीडन का राज परिवार भी यहां आता है.

रिपोर्ट: क्रिस्टियान उलिष/ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: ईशा भाटिया

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