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जानिए कोरोना से जुड़े कई सवालों के जवाब

यूलिया फैर्गिन
२४ मार्च २०२०

कोरोना वायरस कई महीनों से सुर्खियों में है लेकिन इसे लेकर अब भी लोगों के जेहन में बहुत से सवाल हैं. ऐसे ही कुछ अहम सवालों के जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/Geisler/C. Hardt

इस लेख में जिन सवालों को शामिल किया गया है उनमें से कुछ हमारे पास फेसबुक और ट्विटर के जरिए पहुंचे. इसके अलावा हमने यह भी देखा कि जब लोग SARS-CoV-2 और इससे होने वाली बीमारी कोविड-19 के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वे गूगल में क्या खोज रहे हैं.

आखिर कहां से आया SARS-CoV-2?

जिस कोरोना वायरस ने दुनिया भर में कोहराम मचा रखा है उसका वैज्ञानिक नाम SARS-CoV-2 है. बहुत से लोग मानते हैं कि यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में पहुंचा. लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि चमगादड़ से यह वायरस किसी अन्य जानवर को लगा और फिर इंसानों तक पहुंचा. लेकिन इन सभी बातों के बारे में अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.

फिर भी, इतना तय है कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में आया है. जानवरों में यह वायरस ऐसी कई जेनेटिक प्रक्रियाओं से गुजरता है कि यह इंसानों को संक्रमित कर सके और उनमें तेजी से फैले.

फरवरी में साइंस पत्रिका नेचर में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि जीनोम के स्तर पर नोवल कोरोना वायरस चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस से 96 प्रतिशत तक हूबहू मिलता है. लेकिन रिसर्चर इस बात से पूरी तरह इनकार करते हैं कि इस वायरस को किसी प्रयोगशाला में जानबूझ कर तैयार किया गया है. इस बात के मजबूत सबूत हैं कि चीन के शहर वुहान में SARS-CoV-2 जानवरों से इंसानों में फैला है.

क्या कोविड-19 से मेरी मौत हो सकती है?

इस सवाल का जवाब 'हां' या 'नहीं' में नहीं दिया जा सकता. ठीक वैसे ही जैसे फ्लू या फिर कार दुर्घटना में मौत होने के बारे में पक्के विश्वास से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती.

लंदन के स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मेडिसिन में गणितज्ञ और महामारी विशेषज्ञ एडम कुचारस्की की गणना बताती है कि इस वायरस से मरने की दर 0.5 प्रतिशत से दो प्रतिशत के बीच होती है. इसका मतलब है कि हर संक्रमित 100 लोगों में से एक या दो लोगों की मौत.

यह वायरस कितनी देर तक हवा या सतह पर रह सकता है?

कोरोना वायरस से सांस संबंधी बीमारी होती है. यह वायरस बुनियादी तौर पर उन छोटी छोटी बूंदों के जरिए फैलता है जो खांसी या फिर झींक के दौरान हवा में छोड़ी जाती हैं.

जर्मनी के फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ रिस्क एसेसमेंट (बीएफआर) के अनुसार शुरुआती लैब टेस्ट बताते हैं कि SARS-CoV-2 हवा में तीन से चार घंटे रहने के बावजूद संक्रमित करने की ताकत रखता है. तांबे की सतह पर यह चार घंटे तक, कार्डबोर्ड पर 24 घंटे तक और स्टेनलेस स्टील और प्लास्टिक पर यह दो से तीन दिन तक रह सकता है.

लेकिन अच्छी बात यह है कि इस वायरस को बने रहने के लिए किसी जीवित प्राणी की जरूरत होती है. जीवित मेजबान ना मिलने पर यह वायरस मर जाता है क्योंकि यह अपने जैसे और वायरस तैयार नहीं कर पाता. किसी चीज की सतह पर कई घंटे और कई दिन रहने के बाद इसके संक्रमण की क्षमता भी कम होती है.

इतना ही नहीं, इस वायरस की क्षमता को परखने वाले टेस्ट प्रयोगशाला की आदर्श परिस्थितियों में हुए हैं, जिनमें तापमान में बदलाव और धूप जैसे बाहरी कारकों को शामिल नहीं किया गया है जबकि ये भी वायरस की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं.

मैं कोरोना वायरस से खुद को कैसे बचाऊं?

जब भी आप खांसें या झीकें तो अपनी कोहनी मुंह के आगे रख लें. नियमित तौर पर हाथ धोते रहें. जब भी बाहर से घर आएं, खाना बनाने से पहले और उसके दौरान, खाना खाने से पहले, खांसने और झींकने के बाद, जानवरों को छूने के बाद, बीमार लोगों के संपर्क में आने से पहले और उसके बाद और शौच के बाद जरूर हाथ धोएं. लोगों के बहुत ज्यादा करीब ना जाएं और सामाजिक दूरी बना कर रखें. इस तरह से ना आप सिर्फ अपने आपको बचाते रह सकते हैं बल्कि इस वायरस को फैलने से रोकने में भी मदद दे सकते हैं.

चूंकि यह वायरस बहुत ही तेजी से फैल रहा है, इसलिए जरूरी है कि सब लोग पूरी सावधानी से काम लें और देश के स्वास्थ्य तंत्र पर बोझ ना बढ़ाएं. जर्मनी में कोविड -19 की रोकथाम और नियंत्रण से जुड़ी संघीय एजेंसी रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष लोथार वीलर कहते हैं कि एहतियाती उपायों पर बिना किसी लापरवाही के अमल होना चाहिए. वरना जर्मनी जैसे देश में दो से तीन महीनों में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर एक करोड़ तक हो सकती है. जर्मनी जैसे साफ सुथरे और विकसित देश में स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है तो सोचिए गरीब और विकासशील देशों में क्या हालात होंगे जहां स्वास्थ्य सेवाएं बहुत अच्छी नहीं हैं.

अब तक वैक्सीन क्यों नहीं बनी?

किसी भी प्रभावी और सुरक्षित टीके को तैयार होने में कई साल का समय लगता है. जर्मनी के एसोसिएशन ऑफ रिसर्च बेस्ड फार्मास्यूटिकल कंपनीज के अनुसार कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने के लिए दुनिया भर में कम से कम 47 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में से एक है जर्मनी की क्यूरवेक.

जर्मन सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च (डीजेडआईएफ) भी कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम करने वाले संस्थानों में शामिल है. हालांकि वैज्ञानिक बहुत दबाव में काम कर रहे हैं, फिर भी यह संभव नहीं है कि वैक्सीन इस साल बाजार में आ पाए.

वैक्सीन तैयार करने की कोशिशों के साथ साथ, कुछ रिसर्चर एक पैसिव इम्यूनाइजेशन की विधि तैयार करने पर भी काम कर रहे हैं. ब्लड सीरम से एंटीबॉडी लेकर इस बीमारी से लड़ने की कोशिश की जा रही है. यह एंटीबॉडी उन लोगों के शरीर से ली जा रही हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण का कामयाबी से सामना किया और ठीक हो गए. वैज्ञानिक मानते हैं कि उनके रक्त में मौजूद एंटीबॉडी इस वायरस से लड़ सकती है.

इसे पैस्सिव इम्यूनाइजेशन इसलिए कहते हैं क्योंकि जिस व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी डाली जाएंगी, वे किसी और से ली गई है. लेकिन इस तरीके से कुछ समय तक ही इंफेक्शन का मुकाबला किया जा सकता है. कोरोना वायरस से लंबे समय तक सुरक्षा एक वैक्सीन यानी टीका ही दे सकता है.

कोरोना वायरस लगने पर इबुप्रोफेन खाना ठीक है या नहीं?

इस सवाल को लेकर बहुत ही भ्रम की स्थिति है.

लांसेट रेस्प्रिरेट्री मेडिसिन में 11 मार्च 2020 को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया कि जो लोग डायबिटीज की नियमित दवाएं ले रहे हैं, उन्हें कोरोना संक्रमण की स्थिति में इबुप्रोफेन लेने से बचना चाहिए क्योंकि इससे उनको संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

लेकिन फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मामले पर दुविधा को और बढ़ा दिया. पहले उसने कोरोना संक्रमण में इबुप्रोफेन ना लेने की हिदायत दी. डब्ल्यूएचो के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिंडमायर ने कहा कि SARS-CoV-2 के मरीजों को डॉक्टर की सलाह के बिना इबुप्रोफेन नहीं लेनी चाहिए. इसके बजाय उन्होंने पैरासिटामोल लेने की सलाह दी. लेकिन दो दिन बाद डब्ल्यूएचओ अपनी बात से पलट गया. उसने कहा कि वह संक्रमित लोगों को इब्रुप्रोफेन लेने से मना नहीं कर रहा है.

क्या मेरे पालूत जानवर को कोरोना वायरस लग सकता है?

हां. इसीलिए स्विस फेडरल फूड सेफ्टी एंड वेटेनरी ऑफिस ने क्वारंटीन में रहने वाले लोगों को सलाह दी है कि वे घर में रहने वाले जानवरों के ज्यादा संपर्क में ना रहें. लेकिन अभी तक की जानकारी के अनुसार कुत्तों और बिल्लियों में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखे हैं. वे बीमार नहीं हुए हैं. ऐसे में इससे होने वाले जोखिम का मूल्यांकन करना और कठिन हो जाता है.

बीएफआर के अनुसार, सैद्धांतिक रूप से एक संक्रमित जानवर सांस की हवा के जरिए वायरस को फैला सकता है. आखिरकार SARS-CoV-2 जानवरों से ही इंसानों में पहुंचा है.

मैं गर्भवती हूंक्या कोरोना वायरस मेरे और मेरे बच्चे के लिए खतरनाक है?

इस बारे में जितनी भी जानकारी अब तक वैज्ञानिकों के पास है, उसके मुताबिक बच्चों में कोरोना वायरस का खतरा उतना ज्यादा नहीं है. इसका मतलब है कि संक्रमित बच्चे बस कुछ समय के लिए बीमार रहेंगे. कुछ ऐसे मामले जरूर सामने आए हैं जब नवजात शिशुओं में SARS-CoV-2 का पता चला है. हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि उनमें संक्रमण गर्भावस्था के दौरान पहुंचा या फिर जन्म के दौरान या उसके बाद.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और जर्मनी के फेडरल सेंटर फॉर हेल्थ एजुकेशन के अनुसार गर्भवती महिलाओं में वायरस का ज्यादा खतरा नहीं है. फिर भी जल्द मां बनने वाली महिलाओं को खास तौर से सावधान रहने की जरूरत है. इस बारे में बहुत सी बातें अभी स्पष्ट नहीं है, इसलिए सावधानी ही बचाव है.

एके/एमजे (डीपीए)

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