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समाज

कोरोना लॉकडाउन से शादियों का कारोबार भी प्रभावित

क्रिस्टीने लेनन
२७ अप्रैल २०२०

देशव्यापी तालाबंदी ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की कमाई पर बुरा असर डाला है. भारत में ये समय बड़े पैमाने पर शादियों का होता है. पूजा-पाठ और शादियां कराने वाला पुरोहित समुदाय भी कोरोना की मार से बच नहीं पाया है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Solanki

भारत में ये समय बड़े पैमाने पर शादियों का होता है. देश में कोई भी काम शुरू करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है. अक्षय तृतीया एक ऐसा ही शुभ दिन माना जाता है. इस दिन देश भर में लाखों जोड़े शादी के बंधन में बंधते है. लेकिन इस साल देशव्यापी तालाबंदी के चलते देश में लाखों शादियां टल गयीं हैं. इसके साथ ही शादी से जुड़े काम धंधों से कमाई कर अपना परिवार चलाने वाले लाखों लोगों के सामने अभूतपूर्व आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. शादियों के मौसम में बैंड बाजा वालों से लेकर टेंटवाले तक व्यस्त रहते हैं. शादियों का मौसम उनके लिए अच्छी कमाई का मौसम होता है. कमाई के ऐन मौके पर कोरोना वायरस की मार ने शादी के बाजार को फीका कर दिया है.

पुरोहिती पर कोरोना का असर

पंडित महेश उपाध्याय एक पूर्णकालिक पुरोहित हैं. नवी मुंबई में सैकड़ों परिवारों के धार्मिक आयोजनों और अनुष्ठानों को पूर्ण कराने में हमेशा व्यस्त रहते हैं लेकिन इन दिनों अपने रोजमर्रा के कामकाज से दूर एकांत में शास्त्रों के अध्ययन में लीन रहते हैं.वर्षों बाद उनके जीवन में ऐसा पहली बार हुआ है जब अप्रैल के महीने में कोई शादी नहीं कराई. वे बताते हैं, "इस महीने 8 शादियों की बुकिंग थी लेकिन लॉकडाउन की वजह से सभी स्थगित हो चुकीं हैं."

मुंबई के काकड़वाड़ी आर्यसमाज में पुरोहित पंडित विजय शास्त्री बताते हैं कि पिछले एक महीने से उनके मंदिर में कोई शादी नहीं हुई है. पंडित विजय शास्त्री के अनुसार, "अक्षय तृतीया के दिन देश में लाखों शादियां सम्पन्न होती है. आर्यसमाज के देशभर में मौजूद मंदिरों में भी इस शुभ मुहूर्त पर सैकड़ों शादियां होती हैं." उनका कहना है कि अप्रैल ही नहीं अपितु मई महीने में तय शादियां भी अब टलने लगी हैं.

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पंडित प्रिय शरण त्रिपाठीतस्वीर: privat

हाल ही में ऑनलाइन शादी करा कर चर्चा में आने वाले रायपुर के पंडित प्रिय शरण त्रिपाठी का कहना है, "अक्षय तृतीया के बाद विवाह का मुहूर्त शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार मुहूर्त के बाद भी कोरोना के चलते विवाह टल रहे हैं." मई महीने में ही विवाह के 16 मुहूर्त हैं. पिछले 45 सालों से पुरोहिती का काम कर रहे पंडित प्रिय शरण त्रिपाठी बदलते वक्त के साथ वर्चुअल शादी की वकालत करते हैं. पंडित भास्कर आर्य कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से पुरोहितों को भी आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है. पूजा पाठ और शादियों के स्थगित होने से उन्हें 25 से 30 हजार रुपए का नुकसान हुआ है. वह कहते हैं, "पुरोहित को भी तो परिवार चलाना होता है."

शादी से जुड़े काम धंधों पर असर

शादी के लिए हॉल किराए पर देने वाले कुणाल तुलसियान मार्च से मई के बीच अच्छी खासी कमाई कर लेते थे लेकिन इस सीजन में तालाबंदी के चलते शादियां स्थगित होने से उनकी कमाई भी जाती रही. कुणाल तुलसियान कहते हैं, "इन दो महीनों की भरपाई आगे हो पाएगी, इसकी कोई संभावना नहीं दिखती." इस बार शादियों के मौसम में कोरोना के प्रकोप ने टेंट वालों और फोटोग्राफी करने वालों का व्यापार भी चौपट कर दिया है. केटरिंग सेवाएं प्रदान करने वाले लोगों के लिए शादियों का मौसम पैसा बनाने का होता है. बैंड बाजा वाले से लेकर ब्यूटी पार्लर चलाने वाले की उम्मीद शादियों के मौसम से रहती है लेकिन इस बार न बैंड बाजा की गूंज है और न ही सजने संवरने के लिए ब्यूटी पार्लर जाने वालों में कोई हलचल. मेकअप आर्टिस्ट बिलकुल खाली बैठे हैं. मेकअप आर्टिस्ट दीपाली कहती हैं, "अक्षय तृतीया पर उनकी 3 बुकिंग थी जो रद्द हो गयी." इसी तरह गहना कारीगरों या सोना कारोबारियों के लिए भी यह साल अच्छा नहीं जा रहा है.

शादी की वीडियोग्राफी करने वाले आशीष को पिछले दो महीनों में बुकिंग रद्द होने से लगभग 5 लाख का नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले 5 साल से इस पेशे से अच्छी कमाई करने वाले आशीष को आर्थिक नुकसान की चिंता सता रही है, वह कहते हैं, "कोरोना के बाद भी लोग भीड़ भाड़ और लक्जरी से बचना चाहेंगे. ऐसे में यह पूरा साल यूं ही चला जाएगा." केटरर के काम के साथ चाइनीज फूड का स्टॉल लगाने वाले प्रदीप साहू को भी इस बार शादियों के सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद थी. वह कहते हैं, "कमाई तो हुई नहीं बल्कि कामगारों को बिना काम के ही वेतन देना पड़ रहा है." कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रकोप मुंबई में है. मार्च के दूसरे हफ्ते यानी होली के बाद सरकारी पाबंदी के चलते न कार्यक्रम हो रहे हैं और ना ही कोई ऑर्डर मिल रहा है. प्रदीप के साथ काम करने वाले कारीगर भविष्य को लेकर चिंतित हैं. प्रदीप को लगता है कि आने वाला समय उनके धंधे के लिए अच्छा नहीं लगता.

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दुकानों में नहीं हैं खरीदार तस्वीर: privat

फूलों के कारोबार को जबरदस्त झटका

कोई भी धार्मिक काम हो फूलों के बिना अधूरा ही रहता है. दैनिक पूजा-पाठ, हवन- अनुष्ठान और शादियों में फूल-माला की खूब खपत होती है. इस बार नवरात्र के पहले से ही शुरू हो चुके देशव्यापी तालाबंदी ने फूल माला बेचकर अपना परिवार पालने वाले हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से फूलों के कारोबार को जबरदस्त झटका लगा है. जहां फुटकर विक्रेताओं के सामने घर चलाने की चुनौती है तो वहीं फूलों के थोक कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. नवी मुंबई के फूल कारोबारी रंजीत मंडल हर महीने 4 से 5 लाख का फूल बेचते हैं. उन्होंने 6 और लोगों को रोजगार भी दिया है. वह बताते हैं, "शादियों के सीजन, नवरात्र और अक्षय तृतीया पर फूलों की अधिक मांग रहती है. इस बार कोरोना वायरस की दस्तक ने उनके कारोबार को शून्य पर लाकर रख दिया है."

रंजीत मंडल जैसे कारोबारी हों या अस्थाई ठिकानों पर फूल माला बेचने वाले, सभी इन दिनों आर्थिक नुकसान का दर्द झेल रहे हैं. वैसे, आर्थिक झटका तो शादी कारोबार से जुड़े सभी लोग झेल रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल लगभग 1 करोड़ से ज्यादा शादियां होती हैं. इसका सालाना बाजार लगभग एक लाख करोड़ रुपये का है. औसतन 25 फीसदी वार्षिक दर से बढ़ रहे शादी के बाजार में लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं. शादियां तो इक्का दुक्का हो रही हैं, और वायरस का प्रकोप खत्म होने के बाद होंगी भी. लेकिन इस कारोबार से जुड़े सभी लोगों का डर यही है कि वे उतने भव्य पैमाने पर नहीं होंगी, जितनी अभी हो रही थीं.

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