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कोरोना वायरस राहत पैकेज पर चौथे दिन भी ईयू की बातचीत जारी

२० जुलाई २०२०

यूरोपीय संघ के देश शुक्रवार, 17 फरवरी से ब्रसेल्स में बैठक कर रहे हैं. दो दिनों के लिए आयोजित की गई बैठक चौथे दिन में पहुंच गई है लेकिन नतीजे अब भी दिखाई नहीं दे रहे.

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EU-Sondergipfel zur Bewältigung der Corona-Wirtschaftskrise
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/Reuters Pool/F. Lenoir

शुक्रवार और शनिवार को जब यूरोपीय संघ के नेता किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए, तो रविवार को रात भर बैठक चलती रही. कुछ देर आराम करने के बाद अब नेता सोमवार शाम चार बजे फिर से चर्चा शुरू करेंगे. हालांकि अब भी यह साफ नहीं है कि बैठक के अंत में किसी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर हो सकेंगे या नहीं. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने बैठक की अवधि बढ़ाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि ब्रसेल्स में आज भी बातचीत जारी रहे. इससे पता चलता है कि सभी पक्ष उपाय खोजना चाहते हैं, इस समस्या से मुंह नहीं फेरना चाहते. लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि मिल कर यूरोप को एक बार फिर मजबूत बनाने में कितने ज्यादा प्रयासों की जरूरत है."

कहां अटका है मामला?

इस बैठक में ईयू के 27 देश कुल 1.8 ट्रिलियन यूरो के पैकेज पर चर्चा कर रहे हैं. इसमें 750 अरब यूरो का रिकवरी फंड शामिल है. जर्मनी और फ्रांस अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ग्रांट देने के पक्ष में हैं, जबकि ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स, स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड चाहते हैं कि मदद की राशि ज्यादा से ज्यादा ऋण के रूप में दी जाए, ग्रांट या दान के रूप में नहीं. राहत पैकेज के पहले प्रस्ताव में 500 अरब यूरो के ग्रांट की बात कही गई थी. रविवार रात हुई चर्चा के बाद इसे घटा कर 390 अरब यूरो कर दिया गया. लेकिन अगर इस राशि पर सहमति बनती भी है, तो भी यूरोपीय देशों को और कई सवालों के जवाब खोजने हैं.

कोरोना संकट के कारण जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था इस वक्त मंदी की दिशा में बढ़ रही है, वहीं यूरोपीय संघ के नेता देर से ही सही लेकिन एकता का प्रदर्शन करते हुए विश्व भर को दिखाना चाह रहे हैं कि वे इस संकट से भी जूझने की हालत में हैं. लेकिन देशों के आपसी मनमुटाव इसमें रोड़ा डाल रहे हैं. खास कर इटली और ग्रीस जैसे देश, जो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे, उनके लिए इस स्थिति से निपटना काफी मुश्किल हो गया है.

जब माक्रों को आया गुस्सा

फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर ने सोमवार को फ्रांस के एक चैनल से बात करते हुए साफ शब्दों में कहा, "समझौता इस वक्त की जरूरत है." बैठक में मौजूद एक राजनयिक ने बताया कि इस दौरान एक मौका ऐसा भी आया जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों नीदरलैंड्स, स्वीडन, डेनमार्क और ऑस्ट्रिया की दलीलों के सामने अपना आपा खो बैठे और गुस्से में उन्होंने अपना हाथ जोर से मेज पर दे मारा. एक अन्य राजनयिक ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि तनाव इतना बढ़ चुका था कि बेल्जियम की प्रधानमंत्री सोफी विल्मेस को बीच बचाव के लिए उतरना पड़ा.

वहीं ऑस्ट्रिया के चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स ने स्थानीय रेडियो चैनल से बात करते हुए खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा, "यह यकीनन बहुत अच्छा फैसला था कि हम देशों ने मिल कर समूह बनाया. पहले हम चार थे. अब (फिनलैंड के साथ) हम पांच हो गए हैं. हम बहुत छोटे देश हैं, जो कि अगर अकेले रहते तो कोई हमारी आवाज नहीं सुनता." नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूटे ने भी इसे एक उपब्धि बताया, "हम अब तक वहां पहुंचे नहीं हैं. लेकिन पिछली रात से हालात बेहतर हैं. तब मुझे लगा था कि अब कुछ नहीं हो सकता."

वहीं यूरोपियन सेंट्रल बैंक की अध्यक्ष क्रिस्टीन लगार्द ने कहा कि देशों को जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहिए और सोचने के लिए और वक्त की जरूरत पड़े, तो उससे भी संकोच नहीं करना चाहिए.

आईबी/सीके (डीपीए, रॉयटर्स)

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