1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कोलंबो में संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर का घेराव

७ जुलाई २०१०

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सरकार समर्थित लोगों की भीड़ संयुक्त राष्ट्र के दफ़्तर के बाहर जमा हो गई है. लोग एलटीटीई के साथ हुई जंग में फौज की कथित ज्यादतियों की जांच का विरोध कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र नाराज.

https://p.dw.com/p/OCiO
तस्वीर: AP

तमिल विद्रोही संगठन एलटीटीई के साथ हुई लड़ाई में सैनिकों की कथित ज्यादती की जांच के लिए पैनल बनाने के फैसले पर श्रीलंका सरकार की नाराज़गी खुलकर सामने आ गई. संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर के बाहर बुधवार को भी लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. इससे पहले मंगलवार को भी प्रदर्शन हुए. हालांकि दफ्तर के मुख्य दरवाजे को खुला रहने दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने अपने कर्मचारियों को दफ्तर आने से मना कर दिया है. लोगों की भीड़ के साथ राजपक्षे सरकार में आवास मंत्री विमल वीरवानसा भी मौजूद हैं.

आवास मंत्री ने कहा है कि जब तक संयुक्त राष्ट्र का पैनल बनाने का फैसला वापस नहीं ले लिया जाता वो विरोध करते रहेंगे. इन लोगों ने विदेशों में रह रहे श्रीलंकाई लोगों से भी विरोध प्रदर्शन करने की अपील की है. विरोधियों ने संयुक्त राष्ट्र को जवाब देने के लिए बुधवार शाम तक का वक्त दिया है. मंगलवार को तो संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर की घेरेबंदी ही कर दी गई थी. संयुक्त राष्ट्र का एक कर्मचारी सात घंटे तक अंदर फंसा रहा बाद में पुलिस के आने के बाद उसे बाहर निकाला गया.

Ban / UN / New York / Klima
बान की मून ने बनाया जांच के लिए पैनलतस्वीर: AP

श्रीलंका सरकार ने भी बयान जारी कर लोगों के विरोध प्रदर्शन को सही ठहराया है.राजपक्षे सरकार ने जांच के लिए बने पैनल के साथ सहयोग करने से इंकार कर दिया है. सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से जांच पैनल के गठन पर दोबारा विचार करने की अपील भी की है. हालांकि देश की विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त राष्ट्र की जांच का समर्थन किया है.

संयुक्त राष्ट्र ने लोगों की इस हरकत पर कड़ा विरोध जताया है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के सहायक प्रवक्ता फरहान हक़ ने कहा ' नागरिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सम्मान करते हुए हम बताना चाहते हैं कि इस तरह की हरकतों से संयुक्त राष्ट्र के जरूरी कामों में बाधा पहुंच रही है.' अमेरिका ने भी संयुक्त राष्ट्र के कदम को सही ठहराते हुए लोगों की कार्रवाई का विरोध किया है.

पिछले साल अलगाववादी संगठन एलटीटीई और सरकार के बीच हुई जंग में फौज पर ज्यादतियों के आरोप लगे थे. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जंग के दौरान 7,000 आम नागरिक भी मारे गए. लड़ाई खत्म होने के तुरंत बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने प्रभावित इलाके का दौरा किया था. इस दौरान श्रीलंकाई सरकार ने सैनिकों की ज्यादतियों के शिकायतों की जांच कराने पर सहमति जताई थी. सैनिकों की ज्यादतियों के जांच के लिए पिछले महीने बान की मून ने इंडोनेशिया के पूर्व अटॉर्नी मार्ज़ुकी दारुसमान के नेतृत्व में एक पैनल बनाया.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एस गौड़