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क्या है इबोला का इलाज

आईबी/एएम६ नवम्बर २०१४

इस बार मंथन में आप देख सकेंगे इबोला के बारे में जानकारी. साथ ही जानेंगे कैसे बनाई जा रही है उष्मा से बिजली. साथ ही चलेंगे चेक गणराज्य और जर्मनी के लाइपजिग में.

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Ebola Virus in Electronmicroscope
तस्वीर: Reuters/NIAID

मंथन 110 में खास

इबोला वायरस एक बार शरीर पर हमला कर दे, तो बचने की उम्मीद बहुत कम होती है. इस बीमारी से बचने के लिए इसकी जड़ को समझना जरूरी है.

पश्चिमी अफ्रीका में हजारों लोगों की जान लेने वाले इस संक्रमण की शुरुआत किसी भी वायरल इंफेक्शन की तरह बुखार और सरदर्द से होती है. फिर पेट में दर्द, चक्कर और उल्टी दस्त से कमजोरी आने लगती है. 90 फीसदी मामलों में इबोला के शिकार लोगों की मौत हो जाती है. दवाओं और टीकों पर काम चल रहा है, पर अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है. अब इबोला का पहला टीका जानवरों पर टेस्ट पास कर चुका है. कोशिश की जा रही है कि है इसे जल्द से जल्द इंसान के लिए भी बना दिया जाए.

बिजली बनाने का नया तरीका

स्कूल में भौतिकी का नियम सिखाया जाता था.. उर्जा का न तो निर्माण सम्भव है न ही विनाश; इसका केवल रूप बदला जा सकता है. इसी सिद्धांत पर बिजली बनाने का एक अनोखा तरीका ढूंढा गया है. जर्मनी में कारों से निकलने वाली ऊष्मा के जरिए ऊर्जा पैदा करने की कोशिश हो रही है. सफल होने पर इससे पर्यावरण को तो फायदा होगा ही, इसकी मदद से कई उद्योगों के लिए ऊर्जा का इंतजाम भी हो सकेगा. इसके लिए बनाया गया है एक थर्मोइलेक्ट्रिकल जेनरेटर जो ताप में आने वाले अंतर को बिजली में बदलता है.

सुंदर शहर लाइपत्सिष

यूक्रेन में सरकार और अलगाववादियों के बीच जो तनाव चल रहा है, उससे पूरे यूरोप पर असर पड़ रहा है. चेक गणराज्य का कारलोवी वारी शहर कभी रूसी पर्यटकों का ठिकाना हुआ करता था. सुंदर स्पा के लिए मशहूर यह शहर आज सुनसान पड़ा है. यूक्रेन संकट की वजह से यहां आने वालों की तादाद अचानक कम हो गई है.

वहीं जर्मनी की राजधानी बर्लिन से कुछ दो सौ किलोमीटर दूर है लाइपत्सिष. बीएमडब्ल्यू और पोर्शे जैसी कंपनियों की मौजूदगी इस शहर को तकनीक के लिहाज से अहम बनाती हैं. लेकिन इस शहर ने देश के इतिहास को भी बनते देखा है. यह शहर जर्मनी के इतिहास को बयान करता है.

देखना नहीं भूलिएगा मंथन शनिवार सुबह साढ़े दस बजे डीडी-1 पर.