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गांधी परिवार के ट्रस्टों की होगी जांच

चारु कार्तिकेय
८ जुलाई २०२०

केंद्र सरकार ने गांधी परिवार द्वारा संचालित तीन ट्रस्टों के खिलाफ धन-शोधन कानून और दूसरे कई कानून के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है.  

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Indien Gandhi Ashram in Ahmedabad | Rahul Gandhi & Sonia Gandhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky

चीन के साथ सीमा-विवाद के प्रति सरकार के रवैये को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा की जा रही रही परस्पर आलोचना के बीच केंद्र सरकार ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के परिवार द्वारा संचालित तीन ट्रस्टों के खिलाफ धन-शोधन कानून और दूसरे कई कानून के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है. 

यह समिति इन ट्रस्टों के खिलाफ सरकार की अलग-अलग एजेंसियों और अलग अलग विभागों द्वारा की जा रही जांच के बीच समन्वय का काम करेगी. इसके अध्यक्ष प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष निदेशक होंगे.

क्या करती हैं ये तीनों ट्रस्ट

इन तीनों ट्रस्टों के नाम हैं राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ), राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट (आईजीएमटी). आरजीएफ का गठन कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल में 21 जून, 1991 को किया गया था. यह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विचारों के अनुकूल कई तरह के शोध और सामाजिक सुधार के कार्य करती है. सोनिया गांधी इसकी अध्यक्ष हैं और उनके पुत्र राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम इसके ट्रस्टियों में शामिल हैं.

आरजीसीटी की स्थापना बीजेपी के कार्यकाल में 2002 में की गई थी. यह ट्रस्ट भी सामाजिक सुधार के ही क्षेत्र में काम करती है, लेकिन कुछ समय से ट्रस्ट का ध्यान उत्तर प्रदेश और हरियाणा में दो कार्यक्रमों पर केंद्रित है. ये कार्यक्रम हैं राजीव गांधी महिला विकास परियोजना और इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर. सोनिया गांधी इसकी भी अध्यक्ष हैं और राहुल गांधी ट्रस्टियों में से एक.

आइजीएमटी की स्थापना कांग्रेस के कार्यकाल में 1985 में की गई थी. इसका उद्देश्य पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की विरासत को जिंदा रखना और उसका प्रचार प्रसार करना है. ट्रस्ट इंदिरा गांधी स्मारक संग्रहालय और इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित एक इंटरएक्टिव वेबसाइट 'आई ऐम करेज' का संचालन करती है. इसकी अध्यक्ष भी सोनिया गांधी ही हैं. ट्रस्ट हर साल इंदिरा गांधी प्राइज फॉर पीस, डिसारमामेन्ट एंड डेवलपमेंट भी देती है.

Bundesrat | Bundeskanzlerin Angela Merkel
2013 में इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट का इंदिरा गांधी प्राइज फॉर पीस, डिसारमामेन्ट एंड डेवलपमेंट जर्मनी  की चांसलर अंगेला मैर्केल को दिया गया था.तस्वीर: picture-alliance/Flashpic/J. Krick

अभी तक देश और दुनिया की 30 बड़ी हस्तियों को ये पुरस्कार दिया जा चुका है जिनमें जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति लूला डासिल्वा, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर, पूर्वववर्ती शामिल सोवियत यूनियन के नेता मिखाइल गोर्बाचेव इत्यादि शामिल हैं. पुरस्कार में 25 लाख रुपए की नकद राशि और एक साइटेशन दिया जाता है.

क्या आरोप हैं इनके खिलाफ

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर जानकारी दी इन ट्रस्टों के खिलाफ धन-शोधन कानून, आय कर कानून और विदेशी योगदान कानून के प्रावधान के उल्लंघन का आरोप है. सरकार ने इन आरोपों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है, लेकिन राजीव गांधी फॉउंडेशन पर पिछले दिनों सत्तारूढ़ बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने कई आरोप लगाए.

कांग्रेस पार्टी द्वारा भारत-चीन सीमा पर चीन के आगे सैन्य और कूटनीतिक विफलता को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी पर आरजीएफ के नाम पर 2005 से 2009 तक चीन के दूतावास से चंदा लेने का आरोप लगाया.

इतना ही नहीं, इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस और आरजीएफ पर वित्तीय अनियमितता के कई आरोप लगाए. बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के ही कार्यकाल के दौरान 2005-06 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से भी पैसा आरजीएफ को दिया गया. बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि 1991 में बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय बजट में सरकारी खजाने से आरजीएफ को 100 करोड़ रुपए आबंटित किए.

कांग्रेस ने इन आरोपों के जवाब में कहा है कि यह आरोप बीजेपी इसलिए लगा रही है क्योंकि "चीनी अतिक्रमण पर करारा जवाब देने" में सरकार की विफलता पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. 

आरजीएफ को लेकर कांग्रेस ने कहा है कि संस्था के सभी वित्तीय पहलुओं को लेकर ऑडिट की हुई सारी जानकारी सार्वजनिक है. इसके साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार आरएसएस और उससे जुड़े संस्थानों जैसे विवेकानंद फाउंडेशन, इंडिया फाउंडेशन और ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी फाउंडेशन से इस तरह के सवाल नहीं पूछती.

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि सीमा विवाद को लेकर भारत सरकार की प्रतिक्रिया में कमियां जरूर रही हैं और इसी बात पर कांग्रेस की आलोचना से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने गांधी परिवार के ट्रस्टों के खिलाफ आरोपों का मुद्दा उठाया है.

वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "सरकार किसी भी तरह के विरोध को अप्रिय मानती है, इसलिए जो भी सरकार से सवाल पूछता हो उसे नैतिक रूप से भ्रष्ट दिखा दिया जाता है. कांग्रेस ने चीन को लेकर सरकार की आलोचना की, तो सरकार ने उसे चीन का हमदर्द बता दिया."

संजय कपूर का यह भी मानना है कि इस तरह से सिविल सोसाइटी और लोकतंत्र को चोट पहुंचती है. लेकिन साथ ही समीक्षक यह भी कह रहे हैं कि ट्रस्टों को लेकर अनियमितता के आरोप गंभीर हैं और इन पर कांग्रेस को पूरी जानकारी सामने रखनी चाहिए.

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