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कौन लेगा रिजर्व बैंक गवर्नर की जगह

आरपी/एमजे (पीटीआई, एएफपी)२० जून २०१६

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने की घोषणा के साथ ही उनकी जगह लेने वालों के नामों पर अटकलें लगनी शुरु हो गईं. राजन क्यों छोड़ रहे हैं पद और कौन आ सकता है उनकी जगह?

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Indien Notenbankchef Raghuram Rajan 30.09.2014
तस्वीर: Reuters/Danish Siddiqui

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल, सीएजी के पूर्व प्रमुख विनोद राय या फिर एसबीआई चीफ अरुंधति भट्टाचार्य - अटकलों के बाजार में यह सभी नाम प्रमुखता से सुनाई दे रहे हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जल्दी ही इस बाबत आधिकारिक घोषणा करने की बात कही है.

राजन का उत्तराधिकारी बनने की दौड़ में प्रमुख हैं अर्थशास्त्री और बैंकर उर्जित पटेल, जिन्हें भारत के सेंट्रल बैंक में राजन के 'इनफ्लेशन लेफ्टिनेंट' के रूप में भी जाना जाता है. वहीं स्टेट बैंक की प्रमुख भट्टाचार्य का कार्यकाल भी राजन की ही तरह सितंबर में खत्म होने के कारण भी उनके नाम पर मुहर लगने की उम्मीद जताई जा रही है. सीएजी के पूर्व प्रमुख विनोद राय, जिन्हें 2जी स्कैम सामने लाने का श्रेय मिलता है, फिलहाल नवगठित बैंक्स बोर्ड ब्यूरो का नेतृत्व कर रहे हैं. यह ब्यूरो सर्वजनिक बैंकों के प्रमुखों को नियुक्त करने और बैंकिंग सुधारों पर सरकार को सलाह देने के लिए बनाया गया है.

प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु समेत ऐसे दर्जनों नामों की चर्चा हैं. बसु ने वर्तमान गवर्नर राजन के बारे में ट्विटर पर अपने विचार व्यक्त किए लेकिन अपनी उम्मीदवारी के बारे में कुछ नहीं कहा.

1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से आरबीआई गवर्नर के रूप में अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल बिताने वाले राजन गवर्नर बनने वाले कुछेक गैरनौकरशाहों में भी शामिल हैं. उनके पहले ज्यादातर गवर्नर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हुआ करते थे.

देश के अन्य रेगुलेटरी जिम्मेदारी वाले पदों की तरह आरबीआई गवर्नर के पद के लिए अभ्यर्थियों के प्रार्थना-पत्र मंगवाने की परंपरा कभी नहीं रही. रिपोर्टों की मानें तो फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी सर्च कमेटी नाम के एक उच्च-स्तरीय पैनल को इस पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाने का काम दिया गया है. नए प्रमुख के नाम पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेगी.

अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी में फाइनेंस के प्रोफेसर राजन ने आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के लिए तीन साल की छुट्टी ली थी. अब वे फिर से अकादमिक क्षेत्र में वापस जाना चाहते हैं. राजन ने कहा कि "मुद्रास्फीति पर काबू पाने और बैंक बुक्स को साफ करने" का काम अभी पूरा करना बाकी है. इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि नए रिजर्व बैंक प्रमुख के सामने काफी बड़ी चुनौतियां होंगी.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राजन के पद छोड़ने की घोषणा को अच्छा फैसला बताया. राज्य सभा के लिए हाल ही में मनोनीत किए गए स्वामी पहले से ही राजन को दूसरा कार्यकाल ना दिए जाने की मांग कर रहे थे. स्वामी ने इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई चिट्ठियां लिखी थीं और उनमें राजन को पद से हटाए जाने के लिए तर्क दिया था कि वे "मानसिक तौर पर पूर्ण भारतीय" नहीं हैं. स्वामी ने आरोप लगाया था कि राजन गोपनीय और संवेदनशील वित्तीय जानकारियां दुनिया भर में भेज रहे हैं.

मोदी सरकार के साथ केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों को कम करने को लेकर राजन के मतभेदों की खबरें भी आई थीं. पिछले 18 महीने में राजन ब्याज दरें घटाकर 2011 के बाद से सबसे कम स्तर पर लाए हैं. लेकिन सत्ताधारी बीजेपी आर्थिक विकास को गति देने के लिए इनमें और भी बड़ी कमी चाहती है. राजन ने अपने कार्यकाल में दो अंकों में पहुंच चुकी मुद्रास्फीति की दर को 5 फीसदी के आसपास ला दिया. अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक स्थिर वातावरण तैयार करने का श्रेय भी रघुराम राजन को दिया जाता है. आम जनता में बेहद लोकप्रिय माने जाने वाले राजन को दूसरा कार्यकाल दिए जाने के लिए लाखों लोगों ने ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए थे.