क्यों मनाएं हिन्दी दिवस
१४ सितम्बर २०१५14 सितंबर को पिछले पांच दशकों से हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. लेकिन इंटरनेट के इस युग में ऐसा लग रहा है मानो योगा दिवस की तरह हिन्दी दिवस का भी यह पहला साल हो.
#हिन्दी_में_बोलो के साथ ट्विटर और फेसबुक पर लोग हिन्दी पर अपनी राय रख रहे हैं. कुछ का कहना है कि हिन्दुस्तान में रहना है, तो हिन्दी में बात करो, तो कुछ का सवाल है कि जब हिन्दी हमारी मातृभाषा ही नहीं, तो आखिर हिन्दी क्यों बोलें.
भारत जब आजाद हुआ, तब आधिकारिक भाषा पर बहस शुरू हुई. जाहिर है अंग्रेजों के शासन के दौरान अंग्रेजी में ही सब आधिकारिक काम होते थे.
14 सितंबर 1949 को हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाने का फैसला लिया गया. लेकिन इसे अमल में लाया गया 1950 में संविधान के बनने के बाद.
अंग्रेजी को रातों रात नहीं हटाया जा सकता था, इसलिए 15 साल की अवधि तय की गयी. इस दौरान हिन्दी और अंग्रेजी, दोनों ही आधिकारिक भाषाएं रहीं.
1965 में अंग्रेजी को हटाया जाना था लेकिन गैर हिन्दी राज्यों के विरोध के चलते ऐसा नहीं किया जा सका.
आज हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा संविधान में 22 अन्य भाषाओं को मान्यता दी गयी है. हर राज्य अपने अनुसार अपनी आधिकारिक भाषा तय कर सकता है.
हिन्दी को राष्ट्र भाषा कहना एक अवधारणा है. 2010 में गुजरात हाईकोर्ट ने कहा, "आम तौर पर भारत में अधिकतर लोगों ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार लिया है.. लेकिन ऐसा कोई प्रमाण मौजूद नहीं है, जो सिद्ध कर सके कि हिन्दी को देश की राष्ट्र भाषा घोषित किया गया है."
हिन्दी शब्द फारसी से आया है जिसका मतलब है सिंधु नदी के देश में बोली जाने वाली भाषा.