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'क्रीमिया की संप्रभुता रूस की जिम्मेदारी'

१८ मार्च २०१४

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्र को संबोधित कर क्रीमिया में रूस को शामिल करने की कोशिश को सही ठहराया है.

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तस्वीर: Reuters

सोवियत संघ के इतिहास की दुहाई देते हुए पुतिन ने कहा, "सोवियत संघ के पतन के बाद रूसी जनता दुनिया के सबसे विभाजित समुदायों में शामिल हो गई. लाखों लोगों ने सोने से पहले एक देश देखा और दूसरे देश में आंखें खोलीं, जहां वह अल्पसंख्यकों में गिने जाने लगे." पुतिन के मुताबिक पिछले दस साल से यूक्रेन में चल रहे राजनीतिक संकट ने वहां रह रहे रूसी मूल के लोगों को "तबाह" कर दिया है. "यूक्रेन में षड़यंत्र राष्ट्रवादियों, रूस से डरने वालों और यहूदियों के खिलाफ लोगों के द्वारा किया गया. यह वही लोग हैं जो अब देश के वर्तमान जीवन को तय कर रहे हैं."

पुतिन का कहना है कि क्रीमिया में रूसी हस्तक्षेप नहीं हुआ, क्योंकि इतिहास में अब तक "हस्तक्षेप बिना एक भी गोली चलाए और बिना किसी की हत्या के" संभव नहीं हुआ है. रूस के राष्ट्रपति का मानना है कि क्रीमिया क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अहम है और उसकी संप्रभुता केवल रूस सुरक्षित कर सकता है.

पश्चिमी देशों के रवैये की निंदा कर रहे पुतिन ने कहा कि शीत युद्ध के वक्त को भूल जाना होगा और रूस को एक स्वायत्त देश के रूप में देखना होगा जो अपनी सुरक्षा करना चाहता है. पुतिन के भाषण के बाद जर्मन और अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी आई है.

पश्चिम के प्रतिबंध

यूक्रेन में विरोध और यूरोपीय संघ सहित अमेरिका और जापान के प्रतिबंधों को अनदेखा करते हुए पुतिन ने एलान किया था कि रूस क्रीमिया को अपने देश में शामिल करेगा. उन्होंने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें रूसी संघ और क्रीमिया गणतंत्र के बीच समझौते के मसौदे पर सहमति की बात कही गई है. क्रीमिया गणतंत्र फिर रूसी संघ का हिस्सा बन जाएगा.

रविवार को क्रीमिया में विवादित जनमत संग्रह के लिए मतदान हुआ जिसमें 97 प्रतिशत लोगों ने रूस में शामिल होने के लिए वोट किया. 60 साल से वह यूक्रेन का हिस्सा रहे हैं. इसके बाद यूरोपीय संघ ने रूस के कुछ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए. जापान ने भी रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं और कहा है कि निवेश और रूस के साथ वीजा प्रणाली में ढील लाने की बात को स्थगित कर दिया है.

क्रीमिया पर विरोध जताने के बावजूद यूरोपीय संघ और अमेरिका मॉस्को के साथ कूटनीतिक हल ढूंढने को तैयार हैं. अमेरिका ने भी 11 रूसी और यूक्रेनी नेताओं पर क्रीमिया के सिलसिले में प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच और पुतिन के करीबी दो राजनयिक व्लादिसलाव सुरकोव और सेरगे ग्लासयेव शामिल हैं.

अमेरिका को इस बीच डर है कि रूस पूर्वी यूक्रेन को भी अपने कब्जे में करने की कोशिश करेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "अगर रूस यूक्रेन में हस्तक्षेप जारी रखता है तो हम और प्रतिबंध लगाएंगे." ब्रसेल्स में भी यूरोपीय संघ के 28 विदेश मंत्रियों ने तय किया है कि 21 रूसी और यूक्रेनी अधिकारियों पर पाबंदी लगाई जाएगी और उनकी संपत्ति को जब्त किया जाएगा.

पश्चिमी रणनीति की आलोचना

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तस्वीर: Reuters

इस बीच यूरोपीय संघ के पूर्व आयुक्त गुंटर फेरहॉयगेन ने यूक्रेन मामले में जर्मनी की भूमिका की आलोचना की है. उन्होंने कहा, "परेशानी मॉस्को या हमारे यहां नहीं है. परेशानी कीव में है जहां 21वीं सदी में पहली बार फासीवादी सरकार में बैठे हैं." उनका कहना है कि रूस और पश्चिमी देशों के बीच मामला सुलझाने के लिए अब भी वक्त बाकी है.

फेरहॉयगेन का कहना है कि रूस पर प्रतिबंध लगाने बंद करने होंगे क्योंकि इससे सचमुच दोबारा शीत युद्ध शुरू हो सकता है. यूरोपीय संघ को रूस के करीब आने की कोशिश करनी होगी. फेरहॉयगेन के मुताबिक रूस के साथ ईयू को एक मुक्त व्यापार इलाका घोषित करना चाहिए जिसकी मदद से पूर्वी यूरोप में और विवाद भी खत्म होंगे.

वहीं, रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि रूस को अपनी रक्षा करने का अधिकार है और अगर पूर्व सोवियत संघ देशों में रूसी नागरिक हैं और उन्हें खतरा है तो मॉस्को हस्तक्षेप करेगा. पुतिन ने लगातार कहा है कि कीव में नए नेता यूक्रेनी दक्षिणपंथियों से रूसी मूल के यूक्रेनी नागरिकों को बचाने में असमर्थ है. पुतिन ने पश्चिमी देशों के साथ बातचीत के लिए एक खास सहयोग समूह का प्रस्ताव रखा है जो क्रीमिया में जनमत संग्रह को मान्यता दिलाने की कोशिश करवाएगा और यूक्रेन के लिए नए संविधान की बात रखेगा.

एमजी/एएम (रॉयटर्स, डीपीए)

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