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क्रूरता के कैंप हैं चीन के चिड़ियाघर

१० अगस्त २०१०

चिड़ियाघरों और सफारी पार्कों को जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है. लेकिन चीन में ऐसा नहीं है. वहां क्रूर तरीके से सूअरों को पानी में फेंका जाता है, भालू लड़ाए जाते हैं. बेरहमी से बाघ और शेर भी नहीं बचे.

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तस्वीर: AP

हांगकांग की एनीमल एशिया फाउंडेशन का दावा है कि चीन के 13 चिड़ियाघरों और सफारी पार्कों में जानवरों पर सितम ढाए जा रहे हैं. शोध के बाद जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है, ''जानवरों के साथ क्रूरता की जा रही है.'' सर्कस में हाथियों को दो पांवों पर खड़े हुए अकसर देखा गया है, लेकिन चीन में हाथी को सिर के बल खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. जब हाथी ऐसा करने में नाकाम होता है तो उसे बांधकर पीटा जाता है.

सूअर तैरना पंसद नहीं करते हैं. लेकिन इससे बावजूद उन्हें पानी में फेंका जा रहा है. बंदरों को मार मारकर साइकल पर बैठाया जा रहा है. कई बाघों और शेरों को बेइंतिहां दर्द दिया गया. उनके दांत और नाखून निकाल लिए गए हैं. हैरानी की बात है कि यह हरकतें सर्कस में नहीं, बल्कि चिड़ियाघरों में हो रही हैं.

एनीमल एशिया के डॉयरेक्टर डेविड निएल कहते हैं, ''पब्लिक के सामने जानवरों से नौटंकी करवा कर वह लोगों में जानवरों के प्रति संवेदनशीलता खत्म कर रहे हैं. ऐसा करने से लोगों को सिर्फ जानवरों के आकार और रंग का ही पता चल पाता है.'' रिपोर्ट में कहा गया है कि नौटंकी का यह नमूना डर पर आधारित होता है. जानवरों को सजा देकर इतना डराया जाता है कि वह लोगों की मनमर्जी के मुताबिक चलने लगता है.

BdT Sibirische Tigerjunge mit ihrer Mutter in Bekesbourne England
बाघ को भी बेरहमी नहीं बख्शातस्वीर: AP

ज्यादातर चिड़ियाघरों में जानवरों को अंधेरी कोठरियों में रखा जाता है. एनीमल एशिया का कहना है, ''ज्यादातर पशुओं को पीने का पानी भी नहीं मिलता, कई जानवरों को एक साथ कोठरी में बंद रखा जाता है.'' रिपोर्ट के मुताबिक 90 फीसदी पार्कों और चिड़ियाघरों में काले भालू की नुमाइश की जाती है. 75 फीसदी चिड़ियाघरों और पार्कों में बंदरों और बाघों को परेशान किया जाता है. तीन चिड़ियाघर तो ऐसे भी हैं जो भालूओं को जबरदस्ती मोटरसाइकल पर बिठाते हैं. कुछ जगहों पर बकरी को रस्सी पर खड़ा किया जाता है और उसकी पीठ पर बंदर को चढ़ाया जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकार ने हाल ही में पशु अधिकारों के लिए अभियान चलाया है. लेकिन यह साफ नहीं है कि इस अभियान में जानवरों पर होने वाली बदसलूकी को रोकने का प्रावधान है या नहीं. चीन पर लंबे समय से आरोप लगते हैं कि वह वन्य जीव संरक्षण को लेकर सिर्फ तमाशेबाजी करता है. भारतीय वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोग आरोप लगाते हैं कि इंसानी फायदे के लिए चीन अब भी जानवरों की हत्याएं करने से बाज नहीं आया है.

रिपोर्ट: डीपीए/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार