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खिताब की भूख थीः विजेंदर

२७ नवम्बर २०१०

एशियाई खेलों में सोने का मुक्का जड़ देने वाले विजेंदर सिंह का कहना है कि उनमें खिताब की भूख थी. भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के बाद विजेंदर ने कहा कि अब उनका अगला लक्ष्य 2012 ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतना है.

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तस्वीर: AP

अपने घर में खेले गए कॉमनवेल्थ गेम्स की सारी कसक विजेंदर ने चीन में निकाली. स्वर्ण के लिए हुए युद्ध में विजेंदर ने उजबेकिस्तान के दो बार के वर्ल्ड चैंपियन अब्बास अतोयेव को धूल चटा दी और 7-0 से साफ सुथरी जीत हासिल की.

जीत के बाद विजेंदर ने कहा, "मुझे वर्ल्ड चैंपियन को हरा कर मजा आया और मेरे अंदर खिताब की भूख थी. मैंने फौरन ताड़ लिया कि मेरा प्रतिद्वंद्वी किस तरह की रणनीति अपना रहा है और फिर मैंने इसका काट निकाल लिया."

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तस्वीर: AP

अपने सुंदर नैन नक्श की वजह से "भारत के डेविड बेकहम" कहे जाने वाले 25 साल के विजेंदर ने बॉक्सिंग के अलावा मॉडलिंग और एक्टिंग भी शुरू कर दी है. चार साल पहले दोहा एशियाड में उन्होंने भारत के लिए कांस्य पदक जीत कर अपना सफर शुरू किया. उसी साल कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने रजत पदक जीता, जबकि 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य जीत कर उन्होंने तहलका मचा दिया. किसी भारतीय मुक्केबाज ने पहली बार ओलंपिक में कोई पदक हासिल किया. इसके बाद 2009 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी उन्हें कांस्य मिला और वह अंकों के आधार पर वर्ल्ड चैंपियन भी बने. लेकिन इस साल दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्हें पदक हाथ नहीं लगा.

फिर भी विजेंदर ने बड़ी आसानी से मुकाबला किया. उनका कहना है, "हालांकि मेरे सामने दो बार का वर्ल्ड चैंपियन मुक्केबाज था लेकिन मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था."

हाल के दिनों में विजेंदर भारत के सबसे सफल मुक्केबाज बन कर उभरे हैं और अब उनका निशाना ओलंपिक पर है. उन्होंने कहा, "मेरा अगला लक्ष्य 2012 के लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः वी कुमार

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