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खींचतान के बीच हॉकी इंडिया के चुनावों पर स्टे

२८ जुलाई २०१०

बॉम्बे हाई कोर्ट के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट ने भी हॉकी इंडिया के चुनावों पर स्टे लगा दिया है. सरकार की तरफ से हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी संघ (आईएचएफ) के दर्जे के बारे में स्पष्टीकरण न दिए जाने के बाद यह फैसला आया है.

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तस्वीर: AP

हॉकी इंडिया की मुश्किलें बढ़ाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसके चुनावों पर तीन हफ्तों तक रोक लगा दी है. यह फैसला मुंबई हॉकी संघ की तरफ से दायर याचिका पर दिया गया है.

खेल संघ की मान्यता के लिए तय दिशानिर्देशों के विपरीत केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि हॉकी इंडिया और आईएचएफ, दोनों ही खेल की मान्य संस्थाएं हैं. वहीं दिशानिर्देश कहते हैं कि मान्यता प्राप्त संस्था एक ही हो सकती है. ऐसे में, जस्टिस एस मुरलीधरन ने कहा, "अदालत के पास अगले आदेश तक चुनावों पर रोक लगाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं है."

हाई कोर्ट ने हॉकी इंडिया की मान्यता के बारे में अदालत के फैसले पर अमल न करने के लिए सरकार की तीखी आलोचना की है. हाई कोर्ट ने हॉकी इंडिया को एक निजी संगठन बताते हुए कहा था कि आईएचएफ ही हॉकी के लिए मान्य संस्था है. लेकिन भारतीय खेल मंत्रालय दोनों को ही मान्य संस्था बता रहा है.

सरकार के रुख पर नाराजगी जताते हुए जस्टिस मुरलीधरन ने कहा कि यह अदालत के आदेश का उल्लंघन है और सरकार को नया पत्र भेजने का आदेश दिया. लेकिन सरकार दोनों संस्थाओं को मान्यता देने के अपने रुख पर कायम है. अदालत में पेश हुए संयुक्त सचिव (खेल) इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि सरकार ने हॉकी इंडिया को भी मान्यता दी है.

अदालत ने कहा कि हॉकी इंडिया के चुनाव तब तक नहीं हो सकते, जब तक यह भ्रम दूर नहीं हो जाता.

मंगलवार को हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार हॉकी इंडिया के चुनावों में किसी तरह की भूमिका न निभाए क्योंकि यह एक प्राइवेट संस्था है और भारतीय हॉकी संघ ही मान्यता प्राप्त संस्था है. अदालत ने हॉकी इंडिया के नियुक्त सरकारी पर्यवेक्षक को हटाने का भी आदेश दिया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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