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'खुशी में नर्वस' नए हीरो

१४ जुलाई २०१३

जाने-माने निर्माता और कैसेट कंपनी टिप्स इंडस्ट्रीडज के मालिक कुमार तौरानी के पुत्र गिरीश कुमार प्रभुदेवा के निर्देशन में बनी पहली फिल्म रमैया वस्तावैया के जरिए अपना फिल्मी सफर शुरू करने के लिए तैयार हैं.

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तस्वीर: DW/P. M. Tewari

वह कहते हैं कि महज पिता के रसूख के चलते उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में कदम नहीं रखा है बल्कि अभिनय उनका बचपन का सपना था. यह सपना पूरा होने पर वह काफी खुश हैं. पहली फिल्म के लिए बाकायदा स्क्रीन टेस्ट देने के बाद ही उनका चयन किया गया. अपनी पहली फिल्म के प्रमोशन के लिए कोलकाता पहुंचे गिरीश ने डायचे वेले के कुछ सवालों के जवाब दिए. पेश हैं उसके कुछ अंश

अभिनय में उतरने का फैसला कैसे किया ?

मुझे बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. बचपन में जब पिता से इस बारे में कहता तो वह झिड़क देते थे. लेकिन बाद में जब उनको पता चला कि मैं इस मामले में सचमुच गंभीर हूं तो उन्होंने हामी भर दी. लेकिन फिल्म सिर्फ पिता के रसूख की वजह से से नहीं मिली. भले इसके निर्माता वह ही हैं. प्रभुदेवा ने आडिशन के बाद जब कहा कि इस लड़के में दम है. इसे एक मौका दिया जाना चाहिए. उसके बाद ही पिता ने हरी झंडी दिखाई.

कहा जा रहा है कि फिल्म से जुड़े परिवार के कारण आपको आसानी से मौका मिला ?

यह सही नहीं है. अब तक का मेरा सफर आसान नहीं रहा है. मुझे मौका आसानी से जरूर मिला. लेकिन उसके बाद मुझे अपनी प्रतिभा साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. दूसरों की तरह मुझे भी स्क्रीन टेस्ट जैसी तमाम प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. मैं चाहता था कि बाद में लोग यह नहीं कहें कि तौरानी का पुत्र होने की वजह से ही मुझे आसानी से अभिनय का मौका मिल गया.

Girish Kumar and Regissure Prabhu Deva in Kalkutta
गिरीश कुमार प्रभु देवा और प्रोड्यूसर कुमार तौरानी के साथतस्वीर: DW/P. M. Tewari

पहली फिल्म और वह भी प्रभदेवा जैसे कलाकार के साथ. कैसा रहा अनुभव ?

प्रभु सर के साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा. वह जितने बेहतरीन कलाकार हैं उसने ही बेहतर इंसान हैं. वे अनुशासन पसंद करने वाले लोगों में हैं. फिल्म की शूटिंग के दौरान वह कलाकारों से अपनी मर्जी के मुताबिक काम कराने में माहिर हैं. उनसे काफी कुछ सीखने को मिला. यह अनुभव आगे के सफर में काम आएगा.

शूटिंग का पहला दिन कैसा रहा ?

पहले दिन एक गाने की शूटिंग थी. लेकिन मैं बेहद नर्वस था. अपना बचपन का सपना हकीकत में बदलते देख कर मैं खुशी से नर्वस हो गया था. हालांकि शूटिंग बिना किसी खास दिक्कत के पूरी हो गई.

पहली फिल्म के अनुभव के दौरान क्या-क्या सीखने को मिला ?

यह पूछिए तो ज्यादा सही होगा कि क्या-क्या सीखने को नहीं मिला. मैंने गाय का दूध दुहने और ट्रैक्टर चलाने से लेकर खेत जोतने तक का काम किया. इसके अलावा अभिनय और डांस की बारीकियां सीखने का मौका मिला.

पहली फिल्म की शूटिंग से पहले कैसी तैयारी करनी पड़ी ?

काम सीखने की प्रक्रिया में मैं कई फिल्मों के सेट पर गया और वहां अलग अलग कलाकारों को काम करते देखा. फिल्म निर्माण की प्रक्रिया समझने के लिए यह जरूरी था. इसके अलावा कैमरे के पीछे से मैं कलाकारों के काम को बारीकी से पढ़ता रहा.

पहली फिल्म के रिलीज होने के मौके पर कोई दबाव ?

हां, दबाव तो रहता ही है. सबसे बड़ा डर यही है कि दर्शक मुझे हीरो के तौर पर किस नजरिए से देखेंगे. किसी भी फिल्म के लिए कलाकार को कड़ी मेहनत करनी होती है. इसके बावजूद अगर दर्शक उसे स्वीकार नहीं करे तो खराब लगता है.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे