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खुश हैं धूमकेतु 67पी को खोजने वाली

इंटरव्यू: एफिम शूमन/एमजे१२ नवम्बर २०१४

यूरोपीय अंतरिक्ष यान रोजेटा के साथ भेजा गया रोबोट फीले धूमकेतु 67पी चुर्युमोव गेरासिमेंको पर उतरा. ताजिकिस्तान की अंतरिक्षयात्री स्वेतलाना गेरासिमेंको को भी इसका बेसब्री से इंतजार था. उन्होंने ही इस धूमकेतु की खोज की.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

डॉयचे वेले: आप दस साल पहले मौजूद थीं जब यूरोपीय अंतरिक्षयान रोजेटा को अंतरिक्ष में भेजा गया था. अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए ने आपको कोलोन बुलाया है ताकि फीले के आपके द्वारा खोजे गए धूमकेतु पर उतरने के समय आप मौजूद रहें. क्या आप उत्तेजित हैं?

स्वेतलाना गेरासिमेंको: बहुत. मैं सिर्फ उसी के बारे में सोच रही हूं और भगवान से प्रार्थना कर रही हूं कि सब कुछ ठीकठाक रहे. आप कल्पना कीजिए, रोजेटा दस साल से अंतरिक्ष के अनंत में यात्रा कर रहा है. अब एक रोबोट को धूमकेतु के सतह पर उतारना है जो लंदन की हीथ्रो हवाई अड्डे जितना बड़ा है.

कहा जाता है कि आपने और आपके साथ चुर्युमोव ने धूमकेतु 67पी को, जो अब आप लोगों के नाम पर है, अचानक ही खोजा...

हां, लगभग. उस समय 1969 में, मैं पीएचडी कर रही थी, कीव यूनिवर्सिटी में खगोलविद्या संस्थान में वैज्ञानिक थी और कजाकिस्तान में एक टेलीस्कोप से दूसरे धूमकेतु को देख रही थी. मैंने उसकी एक तस्वीर खींची, उसे डेवलप कराया, लेकिन वह इतना खराब था कि मैं उसे फेंक देना चाहती थी, ताकि कोई उसे देख न सके. लेकिन मैंने उसे अपने पास रखा. उस पर धूमकेतु को देखा जा सकता था. फिर हमने मिशन के प्रमुख क्लिम चुर्युमोव के साथ इस और दूसरी तस्वीरों का विश्लेषण किया. हमने पाया कि धूमकेतु 32पी/कोमास सोला, दरअसल हम जिसे देख रहे थे, वह अपनी जगह पर नहीं है. दो डिग्री का अंतर था. यह सच नहीं लग रहा था. तब हमने समझा कि हमने एक नए धूमकेतु की खोज कर ली है.

कुछ पत्रकारों का कहना है कि रोजेटा मिशन और उसके दौरान जुटाई गई जानकारी एक वैज्ञानिक क्रांति जैसी होगी. आप क्या समझती हैं?

Efim Schuhmann und Svetlana Gerassimenko
तस्वीर: DW/Yulia Siatkova

मैं नहीं मानती कि यह क्रांति जैसा होगा. लेकिन मुझे विश्वास है कि रोबोट फीले हमें बहुत सारा मटेरियल देगा. पहली बार एक धूमकेतु पर उतरा जाएगा और उसकी सतह पर से सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी. धूमकेतु पर उतरना बहुत ही लाजवाब है. जब कोई धूमकेतु सूरज के नजदीक आता है तो वह सक्रिय हो जाता है. वहां गैस, धूल और दूसरी चीजें बाहर निकलने लगती हैं. इसलिए हम मूल धूमकेतु को नहीं देख पाते, सिर्फ उसको जो उसके इर्द गिर्द होता है. अब हमें पता चलेगा कि वहां क्या है. उसकी सतह की संरचना और उसके गर्भ में क्या है इसके बारे में जानकारी मिलेगी. धूमकेतु वह सामग्री है जो सौर पद्धति के बनने के समय बच गए थे. नई सूचनाओं से हम सौर पद्धति के बनने और उसके विकास के बारे में जान सकेंगे.

शायद जीवन के विकास के बारे में भी?

सब कुछ संभव है. धूमकेतुओं में कार्बनिक तत्व मिलते हैं. लेकिन मैं बहुत शांत हूं. विज्ञान में बहुत सारी अवघारणाएं होती हैं, बहुत सारी अविश्वसनीय भी.

रोजेटा मिशन पर जिसमें 17 देश शामिल हैं, एक अरब यूरो का खर्च हुआ है. क्या इस तरह के प्रोजेक्ट पर इतना खर्च करना उचित है?

मैं समझती हूं हां. ज्ञान अर्जित करने के लिए खर्च होगा ही, इसमें बचत नहीं करनी चाहिए.