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खोपड़ियों और चूहों के साथ किसान करते विरोध

२८ मार्च २०१७

सूखे और कर्ज की मार झेल रहे किसान अपने दर्द को उन साथियों की खोपड़ियों से बयां कर रहे हैं, जिन्होंने सूखे और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली. नई दिल्ली में किसानों ने कुछ इस अंदाज में प्रदर्शन किया.

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Indien Dürre Farmer Protest Ratten
तस्वीर: Reuters/N.Bhalla

विरोध दर्ज कराते ये किसान जिंदा चूहों को अपने मुंह में रखकर बैठे हैं और प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगा रहे हैं वे उन्हें भूखे मरने से बचा लें. तमिलनाडु के इन किसानों के मुताबिक पिछले साल बारिश की कमी के चलते इनकी फसल बर्बाद हो गई थी, जिसके चलते मजबूरन इन्हें बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेना पड़ा था. साउथ इंडियन रिवर्स लिकिंग फारमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी अयाकन्नू ने बताया कि ये इंसानी खोपड़ी के जो अवशेष बचे हैं यह उनके किसान भाइयों के हैं जिन्होंने कर्ज न चुका पाने के चलते आत्महत्या कर ली. उन्होंने कहा, "हम ऐसे दौर में आ गये हैं जहां किसान दवाब और कर्ज न चुका पाने के डर से खुद को मारने के लिये मजबूर है और प्रधानमंत्री भी इस ओर कम ध्यान दे रहे हैं. इसलिये हम यहां प्रधानमंत्री से मदद मांग रहे हैं."

हालांकि अब तक यह पुष्टि नहीं की गई है कि जो खोपड़ियां प्रदर्शन में रखी गई थी वह वाकई उन्हीं किसानों की हैं जिन्होंने खुदकुशी कर ली थी.

पिछले एक दशक के दौरान किसानों की आत्महत्या के हजारों मामले सामने आये हैं. अधिकतर किसानों ने कीटनाशक पीकर तो कुछ ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. किसानों पर सबसे अधिक मार बेमौसम बारिश और सूखे से पड़ती है और कई बार दाम गिरने से भी इनकी कमाई पर असर पड़ता है.  

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा मुताबिक साल 2015 में ही तकरीबन 12 हजार से भी अधिक किसान और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी. एनसीआरबी के मुताबिक इनमें से 60 फीसदी मामलों में उन किसानों ने खुदकुशी की है जो कर्ज से दबे थे या दिवालिया हो गये थे.

Indien Dürre Farmer Protest Ratten
तस्वीर: Reuters/N.Bhalla

चूहे खाते किसान

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय फसल क्षति बीमा योजना शुरुआत की है, जिसके तहत सिंचाई व्यवस्था सुधारने का वादा किया गया है साथ ही एक तिहाई फसल खराब होने कि स्थिति में सब्सिडी का भी वादा किया गया है. लेकिन किसान संगठन बताते हैं कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन सुस्त है. दिन की चिलचिलाती धूप में 100  से भी अधिक किसान हरी पगड़ी बांधे, सीना ताने बैठे विरोध प्रदर्शन करते हुये नारे लगा रहे थे. कुछ लोग सफेद चूहों को पकड़कर दांतों में दबाते हुये कह रहे थे कि अब उन्हें भुखमरी से बचने के लिये मजबूरन इन्हें ही खाना पड़ेगा.

उत्तर भारत के किसान संगठन, भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि यह सिर्फ तमिलनाडु के किसानों की ही कहानी नहीं है बल्कि पूरे देश के किसान आज इन्हीं बदतर हालातों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमारे लोन माफ कर दें, कृषि वस्तुओं के लिये फायदेमंद योजनायें बनाये और सूखे से निपटने के लिये मुआवजा दें."

एए/ओएसजे (रॉयटर्स)