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गंगा के नाविक मोदी पर क्या सोच रहे हैं?

ऋषभ कुमार शर्मा
१७ मई २०१९

नाविकों का सबसे ज्यादा काम गंगा से होता है. 2014 में नरेंद्र मोदी खुद को गंगा का बेटा बताकर वाराणसी चुनाव लड़ने आए थे. इस गंगा के पानी में रोटी कमाने वाले नाविक उनके बारे में क्या विचार रखते हैं.

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Indien Fischer in Varanasi
तस्वीर: DW/R. Sharma

बनारस की जब बात होती है तो सबसे पहले याद आती है गंगा. हिन्दू धर्म में गंगा नदी का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि गंगा में स्नान कर लेने से किसी भी मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं. इसी गंगा से बनारस शहर में ही हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. इन रोजगार पाने वालों में एक बड़ी संख्या है नाविकों की. नाविक अधिकांश मल्लाह जाति से ताल्लुक रखते हैं. बनारस के हर घाट पर नाव और नाविक मिल जाते हैं जो अपनी नाव पर पर्यटकों को गंगा की सैर करवाते हैं. वाराणसी का नाम वरुणा और अस्सी नदी की वजह से ही वाराणसी बताया जाता है. ये दोनों गंगा की सहायक नदियां हैं जो अब लगभग नाले में तब्दील हो गई हैं.

Indien Fischer in Varanasi
तस्वीर: DW/R. Sharma

दोपहर का समय है. नाविक अभी आराम कर रहे हैं. कुछ घाटों पर नावों तक पहुंचने के लिए तैरते हुए प्लेटफॉर्म बना दिए हैं. दीपक साहनी की नाव की मरम्मत चल रही है. मरम्मत कर रहे संदीप के अलावा तीन और नाविक वहां बैठे हैं. दीपक साहनी का कहना है पीएम मोदी, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी और एक विदेशी राष्ट्रपति ने उनकी नाव पर सवारी की थी. विदेशी राष्ट्रपति का नाम उन्हें नहीं पता है. चुनाव के बारे में पूछते ही वो कहते हैं कि हम तो भैया मोदी के साथ हैं. क्यों का जवाब देते हुए कहते हैं कि पहले भारत आठवें नंबर पर था अब दूसरे नंबर पर आ गया है. जब पूछा गया किस रैंकिंग में आठवें से दूसरे नंबर पर आया तो वो इसका कोई जवाब नहीं दे पाते. बस कह देते हैं कि फोन में पढ़ा था तो सही ही होगा.

Indien Fischer in Varanasi
तस्वीर: DW/R. Sharma

पास में बैठे राजेश भी युवा हैं. वो पास के जिले मिर्जापुर के रहने वाले हैं. राजेश कहते हैं कि मोदी ने हमें गैस दी और घर दिया है. घर के लिए तो हमने पिछली सरकार में आवेदन किया था लेकिन मिला नहीं. इस सरकार में हमारे सरपंच ने हमारा नाम घर के लिए दिया तो घर मिल गया. हालांकि वो कहते हैं कि सरपंच हमारा पड़ोसी था तो सारे पैसे उन्हें मिले हैं बाकी लोगों को मिलने वाले पैसों में से कुछ पैसे सरपंच ने भी खाए हैं. गैस मिलने की बात पर राजेश कहते हैं कि कनेक्शन फ्री मिला था. अभी 700-800 का सिलेंडर मिलता है पर वो गैस का इस्तेमाल करते हैं. आयुष्मान कार्ड उनका नहीं बना है पर उसके फायदे उन्हें पता हैं.

करीब 35 साल के रामप्रकाश इन सब बातों के बीच जोश में आकर कहते हैं कि सबसे पहले तो मोदी ने पाकिस्तान को सबक सिखाया. आज तक कांग्रेस वालों की हिम्मत नहीं हुई पाकिस्तान को कुछ बोलने की. लेकिन वहीं मछलियों को आटा डाल रहे उनके साथी सत्यनारायण कहते हैं कि आज कल के लड़कों को कोई जानकारी नहीं है. इंदिरा ने 40 साल पहले ही दो टुकड़े कर दिए थे पाकिस्तान के. गंगा की सफाई को लेकर सत्यनारायण कहते हैं कि पहले से तो गंगा साफ हुई है पर जब तक नाले गंगा में गिरते रहेंगे कैसे साफ हो सकेगी. गंगा सफाई का काम मल्लाहों को दे देना चाहिए क्योंकि उनका ही सबसे ज्यादा काम गंगा से पड़ता है वो अपने आप साफ कर लेंगे.

Indien Fischer in Varanasi
तस्वीर: DW/R. Sharma

मोदी के बारे में पूछने पर सत्यनारायण कहते हैं कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के पहले तक वो मोदी को वोट ना देने का मन बना चुके थे क्योंकि मोदी ने जो कहा वो किया नहीं. पर अब वो मोदी को वोट देंगे. उसने 36 के बदले 360 मारे हैं. ये सब लोग मोदी के तो साथ हैं लेकिन योगी से नाराज हैं. रामप्रकाश कहते हैं कि योगी ने जानवर इतने खुले छोड़ दिए हैं कि खेती करने वालों को बहुत परेशानी है. योगी कुछ कर नहीं रहे हैं बस "दांत चियार" देते हैं. गुंडागर्दी भी बढ़ रही है. गुंडो पर लगाम तो मायावती ने कसी थी. अखिलेश के समय तो बहुत गुंडे बढ़ गए. योगी ने शुरू में तो कम किए पर अब फिर वही हाल होने लगा है.

ये सारे लोग बात तो कर रहे हैं लेकिन अपनी तस्वीरें नहीं खिंचवाना चाहते. उन्हें लगता है कि इससे उन्हें परेशानी हो सकती है. गंगा में नाव चलाने वाले अधिकांश लोग भाजपा के समर्थन में हैं. ये कहते हैं कि घाटों की सफाई हुई है. मोदी की वजह से बनारस का प्रशासन भी चाक चौबंद रहता है. बनारस में इस बार तो कम से कम मोदी को चुनौती मिलती नहीं दिख रही है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी खाते में सीधा पैसा आने से गरीब लोगों को उम्मीद जगी है कि उनका पैसा उन तक पहुंच रहा है. हालांकि इसमें अभी कई कमियां हैं जिन्हें दूर किया जाना है. पुलवामा हमले के बाद हुई एयर स्ट्राइक से चुनावी माहौल बहुत बदला है. कम पढ़े लिखे लोगों के बीच सोशल मीडिया के मैसेजों का असर भी है.

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