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गांधी के देश में नस्लवादी सोच

७ फ़रवरी २०१४

भारत में अलग अलग नस्लों, भाषाओं और संस्कृतियां यहां की शान हैं लेकिन हाल ही में नस्ली हिंसा ने विविधता को लेकर आम लोगों की सहनशीलता पर सवाल उठाया है.

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तस्वीर: Bijoyeta Das

दिल्ली में हजारों छात्र 20 साल के नीदो तानया की मौत का विरोध करने सड़कों पर उतरे. तानया अरुणाचल प्रदेश का था और दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था. 29 जनवरी को वह अपने दोस्त से मिलने जा रहा था. उसने इलाके में एक दुकानदार से रास्ता पूछा. सीधा जवाब देने के बजाय दुकानदार ने उसका मजाक उड़ाया. तानया और आसपास के लोगों में लड़ाई हो गई और कुछ लोगों ने उसे बुरी तरह पीटा. अगले दिन उसकी मौत हो गई.
भेदभाव के शिकार
पूर्वोत्तर भारत के कई लोगों की तरह तानया की शक्ल भी उत्तर भारतीयों से अलग है. वह दक्षिण एशियाई लोगों की तरह दिखता है, उसकी आंखें छोटी हैं और मजाक में भारत के बाकी हिस्सों से आ रहे लोग उन्हें "चिंकी" कहते हैं.
मणिपुर की थर्मिला जाजो पर पिछले हफ्ते हमला हुआ. "हमें सबके सामने थप्पड़ मारा गया और हमें पीटा गया. अपने देश में हमसे गैरों जैसा बर्ताव होता है. हम भारतीय हैं, हमारे साथ इस तरह का सलूक क्यों किया जाता है, हम जैसे दिखते हैं, जिस तरह के कपड़े पहनते हैं, हमारी नस्ल की वजह से." जाजो जैसे करीब 10 लाख लोग हैं जो पूर्वोत्तर भारत से निकलकर भारत के बड़े शहरों में नौकरी ढूंढ रहे हैं. देश के बाकी हिस्सों में इनके खिलाफ नस्ली भेदभाव और संघर्ष इस वजह से भी बढ़ा है.
'गांधी का देश'
पूर्वोत्तर सपोर्ट सेंटर की आलाना गोमेई कहती हैं कि नस्ली वजहों से होने वाले बलात्कार या हत्याओं के बारे में बात नहीं होती. सरकार भी चुप है. गोमेई कहती हैं, "हमारे घर से निकलने के साथ ही भेदभाव शुरू हो जाता है. दुकानदार और रिक्शावाले हमसे ज्यादा पैसे मांगते हैं. कर्मचारियों को पूरा पैसा नहीं मिलता. खास कर उत्तर भारत में हमारे साथ दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह सलूक किया जाता है." टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्वे के मुताबिक पूर्वोत्तर भारत से बड़े शहरों में आई महिलाओं में से 60 प्रतिशत महिलाओं को यौन शोषण का सामना करना पड़ा है.
सोनिया गांधी ने इन मामलों को देश के समाज में धब्बा बताया है, लेकिन इन बयानों के बावजूद भारत में नस्ली हमले आने वाले चुनावों का मुद्दा बन सकते हैं. हाल ही में दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने दिल्ली में अफ्रीकी नागरिकों के घर पर छापा मारा और वहां की महिलाओं पर सेक्स रैकेट चलाने के आरोप लगाए. पिछले साल अक्टूबर में गोवा के कुछ सरकारी दफ्तरों ने नाइजीरियाई नागरिकों को ड्रग्स के लिए जिम्मेदार "कैंसर" का नाम दिया. इसके बाद नाइजीरिया सरकार ने वहां से भारतीयों को निकालने की धमकी दी.
भारत सरकार के विदेशी दूत 20 अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों से मिल कर उन्हें सांत्वना देने और मनाने की कोशिश में हैं. लेकिन भारत में पढ़ रहे सैकड़ों अफ्रीकी छात्रों को चिंता है. 2012 में पंजाब में बुरुंडी के छात्र को बुरी तरह पीटा गया. तब से वह कोमा में है. भारत में अफ्रीकी छात्र संघ के प्रमुख क्रिस्टोफ ओकियो कहते हैं, "इन घटनाओं से भारत की छवि खराब होती है. हम नहीं सोच सकते कि महात्मा गांधी के देश में ऐसी घटनाएं घटेंगीं."
एमजी/एजेए (डीपीए)

Symbolbild - Indien Afrika Wirtschaftsbeziehungen
बुरुंडी के राष्ट्रपति पियेर कुरुनसीसा के साथ मनमोहन सिंहतस्वीर: Getty Images
Somnath Bharti
सोमनाथ भारती ने अफ्रीकी महिलाओं के घर पर छापा मारातस्वीर: UNI
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