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डोसा किंग को मिली उम्रकैद लेकिन जेल जाते ही आ गई मौत

१८ जुलाई २०१९

दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसने वाले शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां सर्वणा भवन के मालिक पी राजगोपाल की उम्रकैद की सजा सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी थी. उस पर एक आदमी की हत्या करवाने का आरोप था जिसकी पत्नी से वह शादी करना चाहता था.

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Indien P. Rajagopal
तस्वीर: Creative Commons

साल 1981 में जब राजगोपाल अपना कारोबार शुरू करने उतरे थे तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन सर्वणा भवन दुनिया की एक बड़ी रेस्तरां चेन बन जाएगा. वहीं एक दिन ऐसा भी आएगा जब डोसा किंग के नाम से मशहूर सर्वणा भवन के मालिक पी राजगोपाल को उम्र कैद की सजा होगी. और इस सजा के बाद उसकी असमय मौत हो जाएगी.

पी राजगोपाल पर एक ऐसे आदमी की हत्या करवाने का आरोप था जिसकी पत्नी से वह खुद शादी करना चाहता था. यह मामला साल 90 के दशक में शुरू हुआ. उस वक्त पी राजगोपाल का एक कर्मचारी रामास्वामी अपने परिवार के साथ चेन्नई में शिफ्ट हुआ था. रामास्वामी के परिवार में उसकी पत्नी, बेटी और बेटा था. अपने बेटे की गणित पढ़ाई के लिए रामास्वामी ने संथाकुमार नाम के एक शिक्षक को रखा, जिसे बाद में उसकी बेटी जीवज्योति से प्यार हो गया. लेकिन परिवार इस शादी के खिलाफ रहा क्योंकि संथाकुमार ईसाई था.

परिवार की नाराजगी के बावजूद प्रेमी युगल ने अप्रैल 1999 में शादी कर ली. कुछ महीनों बाद शादीशुदा जोड़े ने ट्रैवल एजेंसी शुरू करने के लिए पी राजगोपाल से मदद मांगी. लेकिन उस वक्त तक राजगोपाल पर जीवज्योति से शादी करने का जुनून सवार हो चुका था. कहा जाता है कि एक भविष्यवक्ता की सलाह मानते हुए राजगोपाल 20 साल की जीवज्योति को अपनी तीसरी पत्नी बनाना चाहता था. लेकिन जब तमाम कोशिशों के बाद बात नहीं बनी तो राजगोपाल ने संथाकुमार की हत्या करवा दी.

2001 में निचली अदालत में पी राजगोपाल को संथाकुमार का अपहरण और बाद में हत्या का दोषी पाया गया. 2009 में मद्रास हाईकोर्ट ने राजगोपाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके पहले हत्या में शामिल राजगोपाल के पांच अन्य साथियों को 10 दस साल कारावास की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में डोसा किंग पी राजगोपाल की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार को रखते हुए 7 जुलाई तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. राजगोपाल ने सरेंडर कर दिया. 13 जुलाई को राजगोपाल को हार्ट अटैक के चलते अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां उसकी मौत हो गई.

शाकाहारी भोजन परोसने वाले सवर्णा भवन के आज दुनिया के 21 देशों में 80 से भी ज्यादा रेस्तरां चलते हैं. अब राजगोपाल के दोनों बेटे पीआर शिवकुमार और आर सरवनन अधिकतर कारोबार संभालते हैं. राजगोपाल का जन्म साल 1947 में तमिलनाडु के एक गांव में हुआ था. अपना स्वयं का कारोबार शुरू करने से पहले राजगोपाल चेन्नई के एक किराने की दुकान में काम करते थे. लेकिन जब उन्हें महसूस हुआ कि शहर में अच्छे फास्ट फूड की मांग है तो उन्होंने छोटे से रेस्तरां के रूप में सवर्णा भवन को शुरू किया. अपनी आत्मकथा में राजगोपाल ने लिखा है कि डोसा, इडली और तरह-तरह की चटनी के सीमित मेन्यू के चलते उनके कारोबार ने बहुत तेजी से वृद्धि की. रेस्तरां चेन में तकरीबन आठ हजार लोग काम करते हैं और साल 2017 में कंपनी का कुल राजस्व तकरीबन 1 करोड़ डॉलर का था.

एए/आरपी (डीपीए)

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