1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गाना गाने से भागेगी बीमारी

२२ नवम्बर २०१२

गाना गाकर स्वस्थ, सेहतमंद और लंबे जीवन का स्वामी हुआ जा सकता है. चाहे आप किसी शारीरिक बीमारी के शिकार हों या फिर मानसिक या फिर यूं ही थोड़े उदास. ऊंची आवाज में झूम झूम कर गाना गाएं तो चुटकियों में परेशानी हल हो जाएगी.

https://p.dw.com/p/16o4g
तस्वीर: picture-alliance/dpa

गाने के बोल बिल्कुल आसान हैं बोबो माले शू, शू माया, फ्रांत्स बर्विंड आस पास घेरा बना कर बैठे 20 लोगों के साथ जोर जोर से गा रहे हैं. उनमें से कुछ शर्माते हुए फर्श की तरफ देख रहे हैं और गाने को बोलों को बस बुदबुदा कर रह जाते हैं. करीब एक घंटे तक चलने का बाद गाने का यह कार्यक्रम खत्म होता है तो सबका मूड बदल चुका होता है. इसके बाद तो सारे गाने की धुन पर थिरक रहे होते हैं और सबके गले से आवाज पुरजोर निकल रही होती है.

यह संगीत से इलाज की कोशिश है जो बड़ी कारगर साबित हो रही है. जर्मनी में श्वाइनफुर्ट के पास वेर्नेक कासल के अस्पताल में इलाज के लिए गाना गवाया जाता है. मानसिक और मनोवैज्ञानिक रोगों के शिकार लोगों को इस उपचार से काफी फायदा हो रहा है और लोग इस पर भरोसा करने लगे हैं. लोग गाना गाने के बाद अच्छा महसूस करते हैं. यह अस्पताल इस सिद्धांत पर चलता है कि गाना गा कर रोगों को दूर भगाया जा सकता है. संगीत के अलग अलग रूपों का इस्तेमाल इंसान के इलाज में किया जा रहा है. जर्मनी में इस अस्पताल के अलावा कम से कम 13 और अस्पताल हैं जो इस सिद्धांत पर चल रहे हैं और इन अस्पतालों का एक बकायदा संगठन भी है.

अस्पताल में वैकल्पिक चिकित्सा के निदेशक पॉल स्ट्रोबल कहते हैं, "ऐसा नहीं होता कि गाने के बीच से कोई अचानक उठ कर अपनी बैसाखियां फेंक दे और चिल्ला उठे की मेरी बीमारी ठीक हो गई है." इसका साथ ही वह कहते हैं कि फिर भी लोगों पर संगीत के अच्छे असर को देखा और महसूस किया जा सकता है.

गाने वाले अस्पतालों का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी है जो लोगों को बेहतर रहने के लिए कुशल निर्देशकों की देख रेख में गाना गवाने के काम में जुटा है. जर्मनी के आउग्सबुर्ग में संगीत और स्वास्थ्य शोध संस्थान के निदेशक टोनियस टिमरमान बताते हैं कि शरीर और दिमाग पर गाने के अच्छे असर की कई रिसर्चों के जरिए पुष्टि हो चुकी है. टिमरमान ने कहा, "यह सांस लेने की गति को तेज कर देता है और दिमाग को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगता है. गाना गाने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता मजबूत होती है और यह हिंसा को रोकने में कारगर है क्योंकि यह नर हारमोन टेस्टोस्टेरॉन को तोड़ देता है." इसके अलावा यह इंडॉर्फिन को बढ़ाने में भी मददगार है.

टिमरमान के मुताबिक अच्छा महसूस कराने वाले हारमोन का स्तर बढ़ने से दर्द घटने का अनुभव होता है और मन अच्छा होता है. उनके मुताबिक गाना गाने से रक्त संचार बेहतर होता है, जोड़ ज्यादा गतिशील होते हैं, पित्त घटता है और नाड़ियों की गति स्थिर होती है. ज्यादा गाना गाने वाले लोग एक स्वस्थ और ज्यादा लंबी जिंदगी जीते हैं.

संगीत के जरिए इलाज करा रहे लोग भी डॉक्टरों के इन दावों से सहमति जताते हैं. कई साल तक चिंता और निराशा से जूझने के बाद 54 साल की महिला ने कहा, "जब से मैं यहां गाने लगी हूं जिंदगी में बहुत सी अच्छी बातें होने लगी हैं." वह बताती हैं कि उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और चीजों को वह ज्यादा शांत हो कर देखने लगी हैं. वह कहती हैं, "इसके अलावा मैं उन लोगों के साथ हूं जो मुझे समझते हैं और यह अच्छा है."

संगीत के साथ लोग अपने पंजे थपकाते हैं और ऊंगलियां चलाते हैं. बर्विंड कहते हैं कि अच्छा होता है कि लोग जोर जोर से गाएं और सही की बजाय गलत गाएं. कई लोगों ने यह सब करते हुए खुद को ढूंढा है. बर्विंड जान बूझ कर ऐसे गीत चुनते हैं जो अलग अलग आवाजों में गाया जा सके. गायक चाहते हैं कि कोई उन्हें चुनौती दे.

वर्नेक के गायकों का दल केवल मरीजों के लिए नहीं है. उम्मीद की जा रही है कि बाहर के लोग भी इसमें शामिल होंगे और मनोचिकित्सा के प्रति अपनी धारणाओं से बाहर निकलेंगे. गाने से इलाज करने वाले अस्पतालों का नेटवर्क वृद्धाश्रम, विकलांग और बच्चों के स्कूलों में भी अपनी गतिविधियों को शुरू करना चाहता है. उनका सिद्धांत बस एक ही है जितने ज्यादा लोग साथ में गाएंगे उतना बेहतर होगा.

एनआर/एएम (डीपीए)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें